मध्यम किसान और लागत-मूल्य का सवाल बहस का सम्पादकीय समाहार
लागत मूल्य घटाने के सवाल का तो हम किसी भी सूरत में समर्थन नहीं कर सकते, मध्यम किसान की किसी वाजिब तात्कालिक माँग का भी आज की तारीख़ में समर्थन का कोई व्यावहारिक मतलब नहीं है। यह एक खानापूर्ति या ज़ुबानी जमाख़र्च मात्र ही होगा। लेनिन ने अपने एक शुरुआती लेख “जनता के मित्र’ क्या हैं और वे सामाजिक जनवादियों से कैसे लड़ते हैं” में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि कम्युनिस्ट सबसे पहले अपना सारा ध्यान और अपनी सारी गतिविधियाँ मज़दूर वर्ग पर केन्द्रित करते हैं। जब मज़दूरों के उन्नत प्रतिनिधि वैज्ञानिक समाजवाद के विचारों में पारंगत हो जाते हैं और मज़दूर वर्ग की ऐतिहासिक भूमिका को भली-भाँति समझ लेते हैं, उसके बाद ही वे जनता के अन्य वर्गों को संगठित करने में सफ़ल हो सकते हैं।