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क्या है बजरंग दल और मज़दूरों को इससे क्यों सावधान रहना चाहिए?

फैक्ट्री मालिकों, ठेकेदारों के पैसों से चलने वाले ये धर्मध्वजाधारी वास्तव में मालिकों की ही सेवा करने के लिए खड़े हैं। आज हर क्षेत्र का पुलिस प्रशासन भी ऐसे हिंसक संगठित गिरोहों को इसलिए फलने-फूलने का मौका देता है ताकि भविष्य में जुझारू मज़दूर आन्दोलन पर हमले करवा सकें या उसको कुचलने के लिए प्रतिक्रियावादी ताक़तों का इस्तेमाल कर सकें। पहले भी मज़दूर आन्दोलनों व हड़तालों पर बजरंग दल, विहिप, शिवसेना जैसे साम्प्रदायिक संगठन अपने पूँजीपति आकाओं के इशारों पर हमले करते रहे हैं, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की हत्याएँ करते रहे हैं।

हिन्दुत्ववादी फासिस्टों द्वारा दंगा कराने के हथकण्डों का भण्डाफोड़

15 अगस्त की घटना का माहौल संघ परिवार द्वारा काफी पहले से ही बनाया जा रहा था। उस दिन वहाँ भीड़ जुटाने के लिए शाहाबाद डेरी, बवाना, नरेला आदि निकटवर्ती क्षेत्रों के संघ कार्यकर्ताओं को पहले से ही मुस्तैद कर दिया गया था। संघ परिवार द्वारा योजनाबद्ध ढंग से यह सबकुछ किये जाने के मुस्लिम समुदाय के आरोप के जवाब में संघ के प्रांत प्रचार-प्रमुख राजीव तुली ने मीडिया को बताया, ‘‘ये सभी आरोप आधारहीन हैं। स्थानीय मुस्लिम मस्जिद के सामने की जगह को क़ब्ज़ा करने की फ़ि‍राक में हैं। मस्जिद अनधिकृत है। दरअसल ये लोग हमारे राष्ट्रीय झण्डे का अनादर करते हैं।” बाहरी दिल्ली के डी.सी.पी. विक्रमजीत सिंह ने भी संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि मस्जिद सरकारी ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा करके बना है। सच्चाई तो यह है कि होलम्बी कलां फ़ेज-2 में मौजूद कुल 28 मन्दिर भी सरकारी ज़मीन पर बिना किसी अलॉटमेण्ट या अनुमति के ही बने हुए हैं और तीन और ऐसे मन्दिर निर्माणाधीन हैं, फिर इस एक मस्जिद को ही मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है।