Tag Archives: सार्थक

जो सच-सच बोलेंगे, मारे जायेंगे!

भारत में अप्रैल और मई के महीनों में कोरोना महामारी का जो ताण्डव चला वह देश के इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक के रूप में दर्ज किया जायेगा। इस महामारी को एक त्रासदी बनाने में देश की फ़ासीवादी भाजपा सरकार, उसके मंत्रियों और चेले-चपाटों की घोर मानवद्रोही भूमिका भी इतिहास के पन्नों पर ख़ूनी अक्षरों में लिखी जायेगी। इनकी एक-एक करतूत और अपराध का समय आने पर गिन-गिन कर हिसाब लिया जायेगा, सब याद रखा जायेगा। मौत की इस विभीषिका ने हमसे हमारे प्रियजन हमारे दोस्त छीन लिये और पूरा देश शोक में डूब गया।

अमेज़ॉन के मज़दूरों का यूनियन बनाने की माँग को लेकर जुझारू संघर्ष

अमरीका के अलबामा राज्य के बेसिमर शहर में स्थि‍त अमेज़ॉन के भण्डारगृह में 5800 मज़दूर कार्यरत हैं। यहाँ के मज़दूर काम की भीषण परिस्थितियों के ख़िलाफ़ एक संगठित संघर्ष के लिए यूनियन बनाने की माँग पिछले साल से कर रहे हैं। इतने लम्बे समय से माँग करने के बाद अभी एक महीने से यानी मार्च के आरम्भ से चुनाव प्रक्रिया चल रही है।

ओखला औद्योगिक क्षेत्र : मज़दूरों के काम और जीवन पर एक आरम्भिक रिपोर्ट

चौड़ी-चौड़ी सड़कों के दोनों तरफ़ मकानों की तरह बने कारख़ाने एक बार को देख कर लगता है कि कहीं यह औद्योगिक क्षेत्र की जगह रिहायशी क्षेत्र तो नहीं। कई कारख़ाने तो हरे-हरे फूलदार गमलों से सज़े इतने ख़ूबसूरत मकान से दिखते हैं कि वहम होता है शायद यह किसी का घर तो नहीं। लेकिन नहीं ओखला फेज़ 1 और ओखला फेज़ 2 के मकान जैसे दिखने वाले कारख़ाने और कारख़ानों जैसे दिखने वाले कारख़ाने, सभी एक समान मज़दूरों का ख़ून निचोड़ते हैं…