असंख्य

नाजिम हिकमत 

वे असंख्य
पृथ्वी पर चींटियों की भांति,
सिंधु में मछलियों से,
वायु में विहगों से,
कायर जो,
वीर जो,
ज्ञानशून्य
ज्ञानी जो,
और जो बच्चों से,
जो विध्वंसक हैं।
और निर्माता हैं –
उन्हीं की गाथा हमारी पुस्तक में है।
 
वे जो देशद्रोही के लोभ में आ धोखा खा जाते हैं,
हाथों का परचम पृथ्वी पर डाल देते हैं,
और अपने शत्रु को समर में छोड़कर
घर भाग आते हैं।
जो हजारों आदर्शच्युत व्यक्तियों पर
तलवारें खींच लेते हैं,
जो हरे वृक्ष की भांति हंसा करते हैं,
किसी कारण के बिना जो रोया करते हैं,
मां और पत्नी को कोसते रहते हैं –
हमारी पुस्तक में उन्हीं की गाथा है।
 
भाग्य में जो लिखा है
लोहे के,
कोयले के,
चीनी के
लाल रंग तांबे के,
रूई के,
प्रेम, निर्ममता और जीवन के,
उद्योग की हर शाखा के,
नभ के,
मरुभूमि के,
नीले महासिंधु के,
नदियों के घुप्प तल के,
जोती हुई भूमि और नगरों के,
भाग्य में लिखा बदल जाता है –
एक सुबह ऐसा सूरज निकल जाता है
पौ फटने पर जब लालिमा के किनारे से
वे अपने भारी हाथ पृथ्वी पर टेककर
खड़े हो जाते हैं।
 
सबसे प्रबुद्ध दर्पण वे ही हैं,
सबसे रंगीन रूप उनमें उभरते हैं,
वे ही हमारी सदी के विजेता थे, पराजित थे
उनके विषय में बहुत कुछ कहा जाता था
और उनके विषय में
यह भी कहा गया था :
उनके पास खोने को कुछ नहीं, केवल जंजीरें हैं।
 
 


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments