उत्तर प्रदेश में रोडवेज़ कर्मचारी भी अब निजीकरण के ख़िलाफ़ आन्दोलन की राह पर
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार जहाँ एक ओर प्रदेश को हिन्दुत्व की साम्प्रदायिक-फ़ासीवादी प्रयोगशाला बनाने पर उतारू है वहीं दूसरी ओर वह सार्वजनिक उपक्रमों का धड़ल्ले से निजीकरण करने की योजना को तेज़ रफ़्तार से लागू करने की बेशर्म कोशिशें भी कर रही है। प्रदेश में बिजली के निजीकरण की उसकी योजना भले ही कर्मचारियों की जुझारू एकजुटता की वजह से खटाई में पड़ गयी है, लेकिन अन्य विभागों में निजीकरण की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है।