अदम्य बोल्शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (नवीं किश्त)
समोइलोवा को प्रकृति का एक और वरदान हासिल था अर्थात उनमें अद्भुत रूप से सहज, स्पष्ट और सीधो-सादे लोकप्रिय पर्चे लिखने की योग्यता थी। स्त्री मज़दूरों और किसानों के लिए लिखे गये ये पर्चे, ‘कम्युनिस्ट वूमन’ और ‘वूमन वर्कर’ के ”स्त्रियों के पन्ने” में उनके लेखों की ही तरह, जनता के लिए लेखन के बेहतरीन नमूने हैं। वह दृढ कम्युनिस्ट नज़रिये के साथ-साथ सरलता से पेश आना और जनता के जीवन के करीब की साधारण्ा घटनाओं को लेकर उनसे उन अहम मुद्दों के रूप में निष्कर्ष निकालना जानती थीं जो मज़दूर वर्ग को उसके संघर्ष में चुनौती दे रहे थे। उन्हें अलंकृत और लच्छेदार जुमले पसन्द नहीं थे। उनकी शैली सरल और उनके पाठकों के अनुरूप होती थी। वह ईमानदारी और गर्मजोशी से हमेशा विषय के उपयुक्त बोलती थीं। समोइलोवा द्वारा शिक्षित कार्यकर्ताओं ने उनके पर्चों से रिपोर्टें तैयार करना और उन कठिन परिस्थितियों में, जिनमें ये ग्रामीण संगठनकर्ता ख़ुद को उलझा हुआ पाते थे, समाधानमूलक वार्ताएँ आयोजित करना सीखा। वे विशाल सोवियत संघ के कोने-कोने में भेजे गये, अधिकांश को कोई वेतन नहीं मिलता, रिहाइश की कोई जगह नहीं होती, पन्द्रह-पन्द्रह, बीस-बीस मील पैदल चलना होता, और जहाँ जो मिल जाये खा लेना पड़ता, ऐसे में अपनी निरन्तर जारी यात्राओं में सुनियोजित पार्टी नेतृत्व से वंचित होकर ये संगठनकर्ता आन्दोलनपरक सामग्री के लिए समोइलोवा के पर्चों का सहारा लेते थे।