Tag Archives: नताशा

अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी

रूस की अक्टूबर क्रान्ति के लिए मज़दूरों को संगठित, शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए हज़ारों बोल्शेविक कार्यकर्ताओं ने बरसों तक बेहद कठिन हालात में, ज़बर्दस्त कुर्बानियों से भरा जीवन जीते हुए काम किया। उनमें बहुत बड़ी संख्या में महिला बोल्शेविक कार्यकर्ता भी थीं। ऐसी ही एक बोल्शेविक मज़दूर संगठनकर्ता थीं नताशा समोइलोवा जो आख़िरी साँस तक मज़दूरों के बीच काम करती रहीं। हम ‘बिगुल’ के पाठकों के लिए उनकी एक संक्षिप्त जीवनी का धारावाहिक प्रकाशन कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि आम मज़दूरों और मज़दूर कार्यकर्ताओं को इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

अदम्‍य बोल्‍शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (समापन किश्त)

वह बैरकों में अत्यन्त अस्वास्थ्यकर स्थितियों में रहने वाले बच्चों की स्थिति को लेकर विशेष रूप से चिन्तित थीं। वह बच्चों की संगीत सभाओं या छुट्टियों के लिए कुछ घण्टे निकालने के लिए हमेशा तैयार रहतीं। कभी-कभी हज़ार या इससे भी अधिक बच्चे जमा हो जाते। वह उन्हें कहानियाँ सुनातीं, उनसे बातें करतीं। बच्चों के साथ उनके व्यवहार में ज़बर्दस्त धौर्य और उदारता झलकती थी। वह बच्चों की दुर्दशा देखकर नाराज़ थीं और स्थानीय कार्यकर्ताओं और प्रबन्धन के साथ बैठकों में इस मुद्दे पर बहुत ज़ोर देती थीं। बच्चों और मातृत्व की रक्षा के सवाल पर उन्होंने लाल फीताशाही के प्रति किसी तरह के धौर्य का प्रदर्शन नहीं किया और ठोस कदम उठाये जाने की माँग की। पूरे मत्स्य क्षेत्र में जहाँ कहीं भी पार्टी प्रकोष्ठ थे वहाँ नर्सरियों और बच्चों की कालोनियों के गठन के प्रयास किये गये। रेड स्टार ने कई जगहों पर उनके गठन में मदद की।

अदम्‍य बोल्‍शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी ( दसवीं किश्त)

समोइलोवा ने लाखों औरतों – मजदूर और किसान औरतों और तमाम मेहनतकशों को आर्थिक तबाही विरोधी संघर्ष में खींचने के लिए जबरदस्त आन्दोलनात्मक काम किये। उन्होंने सिलसिलेवार पर्चे लिखे, भाषण दिये, ग़ैरपार्टी सम्मेलन आयोजित किये और खतरे से आगाह करते हुए, और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की तबाही के खिलाफ आम जनता को संघर्ष के लिए प्रोत्साहित करते हुए आन्दोलनपरक स्टीमर ‘रेड स्टार’ से वोल्गा और कामा के किनारे-किनारे लम्बी यात्राएँ कीं। अपने आन्दोलनपरक भाषणों में वह सटीक ऑंकड़े देने, सभी सवालों का गहन अध्‍ययन करने और देश के आर्थिक जीवन को संचालित करने वाली सोवियत संस्थाओं को इस काम से जोड़ने में कभी नहीं चूकती थीं। उन्होंने अपने काम में जबरदस्त आर्थिक और प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन किया।

अदम्‍य बोल्‍शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (नवीं किश्त)

समोइलोवा को प्रकृति का एक और वरदान हासिल था अर्थात उनमें अद्भुत रूप से सहज, स्पष्ट और सीधो-सादे लोकप्रिय पर्चे लिखने की योग्यता थी। स्‍त्री मज़दूरों और किसानों के लिए लिखे गये ये पर्चे, ‘कम्युनिस्ट वूमन’ और ‘वूमन वर्कर’ के ”स्त्रियों के पन्ने” में उनके लेखों की ही तरह, जनता के लिए लेखन के बेहतरीन नमूने हैं। वह दृढ कम्युनिस्ट नज़रिये के साथ-साथ सरलता से पेश आना और जनता के जीवन के करीब की साधारण्ा घटनाओं को लेकर उनसे उन अहम मुद्दों के रूप में निष्कर्ष निकालना जानती थीं जो मज़दूर वर्ग को उसके संघर्ष में चुनौती दे रहे थे। उन्हें अलंकृत और लच्छेदार जुमले पसन्द नहीं थे। उनकी शैली सरल और उनके पाठकों के अनुरूप होती थी। वह ईमानदारी और गर्मजोशी से हमेशा विषय के उपयुक्त बोलती थीं। समोइलोवा द्वारा शिक्षित कार्यकर्ताओं ने उनके पर्चों से रिपोर्टें तैयार करना और उन कठिन परिस्थितियों में, जिनमें ये ग्रामीण संगठनकर्ता ख़ुद को उलझा हुआ पाते थे, समाधानमूलक वार्ताएँ आयोजित करना सीखा। वे विशाल सोवियत संघ के कोने-कोने में भेजे गये, अधिकांश को कोई वेतन नहीं मिलता, रिहाइश की कोई जगह नहीं होती, पन्द्रह-पन्द्रह, बीस-बीस मील पैदल चलना होता, और जहाँ जो मिल जाये खा लेना पड़ता, ऐसे में अपनी निरन्तर जारी यात्राओं में सुनियोजित पार्टी नेतृत्व से वंचित होकर ये संगठनकर्ता आन्दोलनपरक सामग्री के लिए समोइलोवा के पर्चों का सहारा लेते थे।

अदम्‍य बोल्‍शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (आठवीं किश्त)

इस अधिवेशन ने, जिसमें यातायात सुविधाओं की भारी किल्लत के बावजूद विभिन्न ज़िलों से थोड़े समय में ही ग्यारह सौ महिला प्रतिनिधि आ पहुँची थीं, संगठन और शिक्षा के महान और जुझारू काम को अंजाम दिया। इसने क्रान्तिकारी अनुभवों के आदान-प्रदान में पहल की। दूर-दराज के इलाकों की मज़दूरों ने जाना कि पेत्रोग्राद की मज़दूर स्त्रियाँ किस प्रकार एक नयी जीवनशैली का आगाज़ कर रही हैं। इसने संघर्ष और निर्माण कार्य के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। समोइलोवा लिखती हैं : ”इस अधिवेशन ने सक्रिय मेहनतकश औरतों के बीच कई कार्यकर्ताओं को पैदा किया।”

अदम्‍य बोल्‍शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (सातवीं किश्त)

समोइलोवा ने अक्टूबर क्रान्ति में अपनी तमाम क्रान्तिकारी सक्रियता को, क्रान्ति की जीत में सहभागी बनी, मजदूर स्त्रियों के इस सशक्त सर्जनात्मक उभार के साथ एकरूप कर दिया। आगे चलकर उन्होंने पार्टी के और प्रेस के क्षेत्र में सोवियतों के काम में सक्रिय भूमिका निभायी, पर साथ ही उन्होंने एक सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी रचनात्मक प्रतिभा का भी परिचय दिया और स्त्री मजदूरों तथा बाद में किसान स्त्रियों को कम्युनिस्ट पार्टी की कतारों तक, सोवियत सत्ता के लिए संघर्षरत योद्धाओं की कतारों तक, सोवियत सत्ता के निर्माताओं की कतारों तक लाने में अपनी मेहनत लगा दी। उन्होंने जनता के बीच आन्दोलन, संगठन और प्रचार के नये रूप लागू किये। ये सारे नये रूप सम्भवत: उनके सुझाये हुए नहीं थे, लेकिन वे हमेशा उन पर विस्तार से काम करतीं और लोगों के बीच उन्हें लागू करतीं। नतीजा हमेशा एक ही रहा, जनता संघर्ष और रचनात्मक क्रान्तिकारी काम के लिए जागृत, संगठित और उद्वेलित हो जाती।

अदम्‍य बोल्‍शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (छठी किश्त)

”हमे यूरोप की मौजूदा शमशान-जैसी नीरवता के धोखे में नहीं आना चाहिए”, लेनिन ने कहा। ”यूरोप क्रान्तिकारी भावना से आवेशित है। साम्राज्यवादी युद्ध की राक्षसी भयावहता, महँगाई से पैदा हुई बदहाली, हर जगह क्रान्तिकारी भावना को जन्म दे रही है। और सत्ताधारी वर्ग, अपने चाकरों के साथ बुर्जुआ वर्ग, सरकारें अधिकाधिक एक अन्‍धी गली की तरफ बढ़ रही हैं, जहाँ से ज़बरदस्त उथल-पुथल के बिना वे कभी भी बाहर नहीं निकल सकतीं।

नताशा – एक महिला बोल्शेविक संगठनकर्ता (पाँचवीं किश्त)

दिनों-दिन पूँजीवाद का बढ़ता प्रसार न सिर्फ पुरुषों बल्कि उनकी पत्नियों, बहनों और बेटियों को भी औद्योगिक जीवन के चक्रवात में खींच रहा है। उद्योगों की तमाम शाखाओं में धातु उद्योग समेत हज़ारों – दसियों हज़ार स्त्रियाँ काम करती हैं। पूँजी ने उन सब पर ठप्पा लगा दिया है और उन सबको श्रम बाज़ार में फेंक दिया है। वह युवाओं की, स्त्रियों की शारीरिक कमज़ोरी की और मातृत्व के उत्साह की उपेक्षा करती है। जब स्त्रियाँ फैक्टरियों में जाती हैं और उन्हीं मशीनों पर काम करती हैं जिन पर मर्द करते हैं, तो वे एक नयी दुनिया का सन्धान करती हैं। उद्योग की प्रक्रिया में लोगों के नये सम्बन्धों का सन्धान करती हैं। वे मज़दूरों को अपने हालात सुधारने के लिए संघर्ष करते देखती हैं। और हर आने वाले दिन के साथ स्‍त्री मज़दूरों का इसका अधिकाधिक विश्वास होता गया कि काम की स्थितियों ने उन्हें फैक्टरियों के पुरुष मज़दूरों के साथ जोड़ दिया है, कि उन सबके हित साझा हैं, और स्‍त्री मज़दूरों ने यह महसूस करना शुरू किया कि वे औद्योगिक परिवार का हिस्सा हैं, कि उनके हित समूचे मेहनतकश वर्ग के साथ जुड़े हैं।

अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी (चौथी किश्त)

रूस की कामकाजी औरतों को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की जानकारी 1913 में मिली और उस दिन से कमोबेश नियमित रूप से इसका आयोजन शुरू हुआ। कामकाजी औरतों ने दुनिया भर की अपनी जैसी दूसरी कामरेडों के साथ हमदर्दी महसूस की। उन्होंने यह समझना शुरू किया कि गरीबी और किल्लत से औरतों को तभी छुटकारा मिल सकता था जब मेहनतकश वर्ग पूँजीपति वर्ग के खिलाफ अपने संघर्ष को निर्णायक जीत के मुकाम पर पहुँचाये। बहरहाल, हमें आन्दोलन पर हावी रहने के लिए मेंशेविकों से लड़ना था क्योंकि वे उसे पूँजीवादी पार्टियों के वर्चस्व के आधीन करने की कोशिश कर रहे थे।

अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी (तीसरी क़िश्त)

उन दिनों मेहनतकश जनता पर प्रावदा का ज़बरदस्त प्रभाव था। उसने बोल्शेविक पाठकों की पूरी एक पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जिन्होंने 1917 की क्रान्ति की शुरुआत में एक ठोस समूह का रूप धारण कर लिया था, वे एक भावना से ओतप्रोत थे और एक फौलादी अनुशासन से आपस में जुड़े हुए थे। बहुत-से कामरेड प्रावदा के काम में हिस्सा लिया करते थे। लेकिन नताशा का ओहदा ही इन सभी कामों की जान था। मेहनतकशों और क्रान्तिकारी कार्यकर्ताओं के बीच काम करते हुए वे आन्दोलन से पहली बार जुड़ने वाले मज़दूर समूहों का बड़ी सावधानीपूर्वक जायज़ा लेतीं और अख़बार में उनका पद उन्हें इन मज़दूरों के साथ सीधा सम्पर्क करने और उनकी चेतना को बोल्शेविक धारा की तरफ मोड़ने के अनेक अवसर देता था।