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मज़दूर नायक : क्रान्तिकारी योद्धा – रॉबर्ट शा: विश्व सर्वहारा क्रान्ति के इतिहास के मील के पत्थरों में से एक

रॉबर्ट शा उन राजनीतिक चेतनासम्पन्न मज़दूरों में से एक थे जिन्होंने पहले इण्टरनेशनल के निर्माण के पहले ही ब्रिटिश सुधारवादी ट्रेड यूनियनवादी नेताओं के प्रभाव एवं वर्चस्व के विरुद्ध संघर्ष शुरू कर दिया था। रॉबर्ट शा उन थोड़े से ब्रिटिश मज़दूर नेताओं में शामिल थे जो चार्टिस्ट या समाजवादी विचार रखते थे और महज़ अपने-अपने कारखानों में वेतन और सुधार की माँग के लिए लड़ने के बजाय मज़दूरों की अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता और व्यापक वर्गीय हितों के लिए साझा संघर्ष की वकालत करते थे। इन नेताओं ने जर्मन और फ़्रांसीसी मज़दूरों और पोलिश आप्रवासियों के साथ सम्पर्क स्थापित किये। यह पहले इण्टरनेशनल की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम था।

मज़दूर नायक : क्रान्तिकारी योद्धा – जोहान फि़लिप्प बेकर

जोहान फिलिप्प बेकर एक जर्मन मज़दूर थे जिन्होंने तीसरे दशक में युवावस्था की दहलीज़ पर क़दम रखने के साथ ही मज़दूरों के बीच उभर रही आन्दोलनात्मक सरगर्मियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। उनकी राजनीतिक चेतना लगातार आगे विकसित होती रही। 1848-1849 में जब पूरे यूरोप में क्रान्तियों का दावानल भड़क उठा तो बेकर ने उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जर्मनी में क्रान्तिकारी उभार के उतार के बाद वे स्विट्ज़रलैण्ड जाकर बस गये।

लेनिन – मज़दूर अख़बार – किस मज़दूर के लिए

और अन्त में, औसत मज़दूरों के संस्तर के बाद वह व्यापक जनसमूह आता है जो सर्वहारा वर्ग का अपेक्षतया निचला संस्तर होता है। बहुत मुमकिन है कि एक समाजवादी अख़बार पूरी तरह या तक़रीबन पूरी तरह उनकी समझ से परे हो (आख़िरकार पश्चिमी यूरोप में भी तो सामाजिक जनवादी मतदाताओं की संख्या सामाजिक जनवादी अख़बारों के पाठकों की संख्या से कहीं काफ़ी ज्‍़यादा है), लेकिन इससे यह नतीजा निकालना बेतुका होगा कि सामाजिक जनवादियों के अख़बार को, अपने को मज़दूरों के निम्नतम सम्भव स्तर के अनुरूप ढाल लेना चाहिए। इससे सिर्फ़ यह नतीजा निकलता है कि ऐसे संस्तरों पर राजनीतिक प्रचार और आन्दोलनपरक प्रचार के दूसरे साधनों से प्रभाव डालना चाहिए – अधिक लोकप्रिय भाषा में लिखी गयी पुस्तिकाओं, मौखिक प्रचार तथा मुख्यत: स्थानीय घटनाओं पर तैयार किये गये परचों के द्वारा।

‘कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र’ और हमारा समय

पूंजीवाद के विरुद्ध विश्व सर्वहारा के ऐतिहासिक वर्ग-महासमर के इस दूसरे चक्र में भी ‘घोषणापत्र’ का उतना ही महत्व है और यह महत्व तबतक बना रहेगा जबतक सर्वहारा वर्ग पूंजी की सभी किलेबन्दियों को ध्वस्त करके विश्व स्तर पर फ़ैसलाकुन जीत नहीं हासिल कर लेता। विश्व सर्वहारा क्रान्ति के इतिहास में ‘घोषणापत्र’ का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि इसमें निरूपित वर्ग संघर्ष और वैज्ञानिक कम्युनिज्म के सिद्धान्त और कार्यक्रम सर्वहारा क्रान्ति के पूरे दौर में प्रासंगिक बने रहेंगे।