चीन के बाद अब भारत के मज़दूरों के लहू को निचोड़ने की तैयारी में फ़ॉक्सकॉन
“मेक इन इण्डिया” के अलम्बरदार फ़ॉक्सकॉन का ढोल-नगाड़ों से स्वागत कर रहे हैं। “मेक इन इण्डिया” के तहत इतना बड़ा निवेश लाने के लिए कॉर्पोरेट मीडिया मोदी का गुणगान कर रहा है। पूँजीपति वर्ग के सच्चे सेवक मोदी ने सच में बहुत मेहनत की है! उन्होंने आर्थिक मंदी की दलदल में धंसे जा रहे विदेशी पूँजीपतियों को यह बताने में बहुत मेहनत की है कि “हे मेरे पूँजीपति मालिको! तुम्हें घबराने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हारे इस प्रधान सेवक ने भारत की जनता और जमीन दोनों को तुम्हारे स्वागत के लिए बिल्कुल तैयार कर दिया है। अब और अधिक मत तड़पाओ! आओ और जी भरकर लूटो।” पहले से ही क़ागज़ों की ख़ाक छान रहे श्रम क़ानूनों को लगभग ख़त्म कर देना, जल-जंगल-जमीन को कोड़ियों के दाम बेचने की तैयारी, पूँजीपतियों के लिए टैक्स की छूट आदि ये सब मोदी सरकार की “हाडतोड़” मेहनत ही तो है! दरअसल, विदेशी पूँजी को मोदी की यह पुकार सामूहिक तौर पर भारत के पूँजीपति वर्ग की ही पुकार है। फ़ॉक्सकॉन का ही उदाहरण ले लें तो टाटा और अदानी की फ़ॉक्सकॉन के साथ मिलकर आईफ़ोन और आईपैड बनाने की योजना है।
लेकिन इस पूरी योजना से अगर कोई ग़ायब है तो वह मज़दूर वर्ग ही है। मोदी के “श्रमेव जयते” की आड़ में मज़दूरों की हड्डियों तक को सिक्कों में ढालने की तैयारी चल रही है। और इस मज़दूर-विरोधी योजना का जवाब मज़दूर-एकजुटता से ही दिया जा सकता है।