खट्टर सरकार का फरमान- मुँह सिलकर करो काम!
भाजपा सरकार के पिछले डेढ़ साल में संघ के दोनों लाडलों (मोदी-खट्टर) ने सिद्ध कर दिया कि इनके तथाकथित हिन्दू राष्ट्र में केवल अम्बानी, अदानी जैसे पूँजीपतियों, बड़े व्यापारी और धर्म के ठेकेदारों के अच्छे दिन आयेंगे (वैसे इनके बुरे दिन थे ही कब?) मज़दूरों-ग़रीबों- किसानों से लेकर दलितों-अल्पसंख्यों पर दमन और उत्पीड़न के हमले तेज होंगे। अब इसी कड़ी में खट्टर सरकार ने सरकारी कर्मियों के हड़ताल, धरने और प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी है। सरकार ने हड़ताल आदि में भाग लेने को ग़लत ठहराते हुए सरकारी आचरण 1966 के नियम 7 व 9 में निहित प्रावधानों का हवाला देकर कहा है कि यूनियन का गठन किया जाना, हड़ताल पर जाने के अधिकार की गांरटी नहीं माना जा सकता। साफ है ये तुगलकी फरमान मज़दूरों-कर्मचरियों को चेतावनी है कि मुँह सिलकर काम करो।