Category Archives: विरासत

बिगुल पुस्तिका – 4 : मई दिवस का इतिहास

प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक और कम्युनिस्ट साहित्य के प्रकाशक अलेक्ज़ेंडर ट्रैक्टनबर्ग द्वारा 1932 में लिखित यह पुस्तिका मई दिवस के इतिहास, उसके राजनीतिक महत्व और मई दिवस के बारे में मज़दूर आन्दोलन के महान नेताओं के विचारों को रोचक तरीके से प्रस्तुत करती है।

‘कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र’ और हमारा समय

पूंजीवाद के विरुद्ध विश्व सर्वहारा के ऐतिहासिक वर्ग-महासमर के इस दूसरे चक्र में भी ‘घोषणापत्र’ का उतना ही महत्व है और यह महत्व तबतक बना रहेगा जबतक सर्वहारा वर्ग पूंजी की सभी किलेबन्दियों को ध्वस्त करके विश्व स्तर पर फ़ैसलाकुन जीत नहीं हासिल कर लेता। विश्व सर्वहारा क्रान्ति के इतिहास में ‘घोषणापत्र’ का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि इसमें निरूपित वर्ग संघर्ष और वैज्ञानिक कम्युनिज्म के सिद्धान्त और कार्यक्रम सर्वहारा क्रान्ति के पूरे दौर में प्रासंगिक बने रहेंगे।

बिगुल पुस्तिका – 3 : ट्रेडयूनियन काम के जनवादी तरीके — सेर्गेई रोस्तोवस्की

सोवियत संघ की पहल पर बनी वर्ल्‍ड फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स के सेक्रेटरी सर्गेई रोस्तोवस्की द्वारा 1950 में लिखी यह पुस्तिका ट्रेड यूनियनों में नौकरशाही के विरुद्ध संघर्ष करने और यूनियनों में हर स्तर पर जनवाद बहाल करने की ज़रूरत को सरल और पुरज़ोर ढंग से बताती है।

बिगुल पुस्तिका – 2 : मकड़ा और मक्खी

विल्हेल्म लिब्कनेख्त (1826-1900) जर्मन सोशल डेमोक्रेटिक दल के संस्थापकों में से एक थे। वह जर्मनी के मज़दूर वर्ग के ऐसे नेता थे जिनका सारा जीवन मज़दूर वर्ग के क्रान्तिकारी संघर्ष और समाजवाद के लिए समर्पित था। ‘मकड़ा और मक्खी’ जर्मन मज़दूरों के लिए लोकप्रिय शैली में लिखे गये उनके एक पैम्फलेट का अंग्रेज़ी से हिन्दी में भावानुवाद है।

शहीद भगतसिंह – श्रमिक क्रान्ति निश्‍चय ही साम्राज्‍यवाद-पूँजीवाद का नाश करेगी और सर्वहारा अधिनायकत्‍व की स्‍थापना करेगी

अगर हमारी इस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया गया और वर्तमान शासन-व्यवस्था उठती हुई जनशक्ति के मार्ग में रोड़े अटकाने से बाज न आयी तो क्रान्ति के इस आदर्श की पूर्ति के लिए एक भयंकर युद्ध का छिड़ना अनिवार्य है। सभी बाधाओं को रौंदकर आगे बढ़ते हुए उस युद्ध के फलस्वरूप सर्वहारा वर्ग के अधिनायकतन्त्र की स्थापना होगी। यह अधिनायकतन्त्र क्रान्ति के आदर्शों की पूर्ति के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। क्रान्ति मानवजाति का जन्मजात अधिकार है जिसका अपहरण नहीं किया जा सकता। स्वतन्त्रता प्रत्येक मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। श्रमिक वर्ग ही समाज का वास्तविक पोषक है, जनता की सर्वोपरि सत्ता की स्थापना श्रमिक वर्ग का अन्तिम लक्ष्य है।