Tag Archives: ऑटो मोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन

गुड़गाँव से लेकर धारूहेड़ा तक की औद्योगिक पट्टी के मज़दूरों के जीवन और संघर्ष के हालात

समूचे ऑटो सेक्टर के मज़दूर आन्दोलन को संगठित कर ऑटो सेक्टर के पूँजीपति वर्ग और उसकी नुमाइन्दगी करने वाली सरकार के सामने कोई भी वास्तविक चुनौती देना तभी सम्भव है जब अनौपचारिक व असंगठित मज़दूरों को समूचे सेक्टर की एक यूनियन में एकजुट और संगठित किया जाय, उनके बीच से तमाम अराजकतावादी व अराजकतावादी-संघाधिपत्यवादी संगठनों को किनारे किया जाय जो लम्बे समय से उन्हें संगठित होने से वास्तव में रोक रहे हैं; और संगठित क्षेत्र के मज़दूरों को तमाम केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के समझौतापरस्त और दाँत व नाखून खो चुके नेतृत्व से अलगकर उस सेक्टरगत यूनियन से जोड़ा जाये। इन दोनों ही कार्यभारों को पूरा करना आज ऑटो सेक्टर के मज़दूर आन्दोलन को जुझारू रूप से संगठित करने के लिए अनिवार्य है।

प्रोटेरियल के पुराने ठेका मज़दूरों की हड़ताल की आंशिक जीत और आगे की चुनौतियाँ!

मज़दूरों की यह आंशिक जीत यह दिखाती है कि अपनी वर्गीय एकजुटता और संघर्ष के ज़रिए अपनी माँगों को एक हद तक पूरा करवाया जा सकता है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में यही एकजुटता अगर सेक्टर के आधार पर बनायी जाये तो इस सेक्टर में मज़दूर वर्ग अपने तमाम हक़ और अधिकार हासिल कर सकता है। और आज उत्पादन के विकेन्द्रीकरण के साथ मज़दूर वर्ग के संघर्ष के लिए सेक्टरगत यूनियन ही मुख्य रास्ता हैं। साथ ही, हमें यह समझना होगा कि आज ठेका मज़दूरों को अपना स्वतन्त्र संगठन खड़ा करना होगा और अपने माँगों के लिए सेक्टरगत आधार पर संघर्ष करना होगा। ऐसे में ही स्थायी मज़दूरों का संघर्ष भी पुनर्जीवित किया जा सकता है, दलाल यूनियनों को किनारे लगाया जा सकता है और ऑटोमोबाइल मज़दूरों का एक जुझारू आन्दोलन खड़ा किया जा सकता है।

उद्योगों की तालाबन्दी, मज़दूरों की छँटनी जारी है

पिछले एक साल में आठ औद्योगिक इकाइयाें की आंशिक व पूर्ण बन्दी के चलते 2300 से अधिक मज़दूरों की रोज़ी-रोटी छिन गयी। जिसमें धारूहेड़ा की ओमैक्स के लगभग 250 मज़दूर, रीको ऑटो इण्डस्ट्री के 104 मज़दूर, बिनौला की ऑटोमैक्स के 150 मज़दूर, मानेसर की ओमैक्स के 500 मज़दूर, (इण्ड्युरेंस टेक्नोलॉजिस के 400 मज़दूर, डानूका ऐग्रीटेक, गुड़गाँव की नेपिनो ऑटोस एण्ड इलेक्टाॅनिस के 146 मज़दूर, एसएलआरके मज़दूरों की आंशिक व पूर्ण बन्दी के नाम पर छँटनी व तथाकथित रिटायरमेण्ट कर दी गयी है।