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नगर निगम गुड़गाँव के ठेका ड्राइवरों को हड़ताल की बदौलत आंशिक जीत हासिल हुई

वेतन और पी.एफ. के भुगतान न होने के चलते न सिर्फ़ ठेका ड्राइवर बल्कि ठेके पर काम करने वाले सफ़ाई, सिक्योरिटी गार्ड, मैकेनिक सभी हड़ताल में शामिल हुए थे। वैसे तो इस इकोग्रीन कम्पनी द्वारा ठेके पर कार्यरत मज़दूरों के श्रम कानूनों के सभी अधिकारों की जिस तरह से खुलेआम धज्जियाँ नगर निगम गुड़गाव की नाक के नीचे उड़ाई जा रहीं है। ज़ाहिर है, यह बिना प्रशासन, सरकार और ठेकेदार की मिलीभगत के सम्भव नहीं है। इसके लिए ठेका ड्राइवरों को इस सच्चाई को समझना होगा और आने वाले दिनों में इसके लिए कमर कसनी होगी। साथ ही विभिन्न सेक्टर के मज़दूरों के साथ इस मुद्दे पर एकता बढ़ाकर आगे बढ़ना होगा।

गुड़गाँव नगर निगम के ठेका ड्राइवर व अन्य मज़दूर अपनी माँगों के लेकर संघर्ष की राह पर!

गुड़गाँव नगर निगम के ड्राइवर ठेका कम्पनी इकोग्रीन एनर्जी गुड़गाँव-फ़रीदाबाद प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के तहत कई सालों से कार्यरत हैं, जिन्हें पिछले चार महीने से वेतन न मिलने की वजह से हड़ताल पर जाने के लिए मज़बूर होना पड़ा। लम्बे समय बर्दाश्त करने के बाद, कमरे का किराया, राशन का ख़र्चा, उनके बच्चों स्कूल की फ़ीस न दे पाने व दवा-इलाज की समस्याएँ बहुत बढ़ जाने के बाद मज़दूरों को हड़ताल का रास्ता चुनना पड़ा।

गुड़गाँव से लेकर धारूहेड़ा तक की औद्योगिक पट्टी के मज़दूरों के जीवन और संघर्ष के हालात

समूचे ऑटो सेक्टर के मज़दूर आन्दोलन को संगठित कर ऑटो सेक्टर के पूँजीपति वर्ग और उसकी नुमाइन्दगी करने वाली सरकार के सामने कोई भी वास्तविक चुनौती देना तभी सम्भव है जब अनौपचारिक व असंगठित मज़दूरों को समूचे सेक्टर की एक यूनियन में एकजुट और संगठित किया जाय, उनके बीच से तमाम अराजकतावादी व अराजकतावादी-संघाधिपत्यवादी संगठनों को किनारे किया जाय जो लम्बे समय से उन्हें संगठित होने से वास्तव में रोक रहे हैं; और संगठित क्षेत्र के मज़दूरों को तमाम केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के समझौतापरस्त और दाँत व नाखून खो चुके नेतृत्व से अलगकर उस सेक्टरगत यूनियन से जोड़ा जाये। इन दोनों ही कार्यभारों को पूरा करना आज ऑटो सेक्टर के मज़दूर आन्दोलन को जुझारू रूप से संगठित करने के लिए अनिवार्य है।

प्रोटेरियल के पुराने ठेका मज़दूरों की हड़ताल की आंशिक जीत और आगे की चुनौतियाँ!

मज़दूरों की यह आंशिक जीत यह दिखाती है कि अपनी वर्गीय एकजुटता और संघर्ष के ज़रिए अपनी माँगों को एक हद तक पूरा करवाया जा सकता है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में यही एकजुटता अगर सेक्टर के आधार पर बनायी जाये तो इस सेक्टर में मज़दूर वर्ग अपने तमाम हक़ और अधिकार हासिल कर सकता है। और आज उत्पादन के विकेन्द्रीकरण के साथ मज़दूर वर्ग के संघर्ष के लिए सेक्टरगत यूनियन ही मुख्य रास्ता हैं। साथ ही, हमें यह समझना होगा कि आज ठेका मज़दूरों को अपना स्वतन्त्र संगठन खड़ा करना होगा और अपने माँगों के लिए सेक्टरगत आधार पर संघर्ष करना होगा। ऐसे में ही स्थायी मज़दूरों का संघर्ष भी पुनर्जीवित किया जा सकता है, दलाल यूनियनों को किनारे लगाया जा सकता है और ऑटोमोबाइल मज़दूरों का एक जुझारू आन्दोलन खड़ा किया जा सकता है।

सनबीम (गुड़गाँव) कम्पनी में ग़ैर-क़ानूनी बर्ख़ास्तगी, छँटनी, वेतन कटौती, ग़ैर-क़ानूनी ठेका प्रथा, श्रम क़ानूनों के उल्लंघन के ख़िलाफ़ संघर्ष की सम्भावनाएँ

सनबीम लाईटवेटिंग सोल्यूशन्स प्रा० लि० (गुड़गाँव) फ़ैक्टरी के ठेका मज़दूरों की 16 नवम्बर (बुधवार) 2022 को कम्पनी प्रबन्धन द्वारा बढ़ती बर्ख़ास्तगी, छँटनी, वेतन कटौती, ज़बरन ओवर टाइम जैसी अन्यायपूर्ण गतिविधियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा आख़िर फूट ही गया। मज़दूरों ने क़रीब 500-600 ठेका मज़दूरों की सफल रैली और अपनी एकजुटता से इस अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। संघर्ष की शुरुआत 27 सितम्बर 2022 को पाँच साथियों के अचानक बर्ख़ास्त (टर्मिनेट) कर देने से हो गयी थी।

गुड़गाँव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल पट्टी में जारी मज़दूरों की छँटनी और बर्ख़ास्तगी का सिलसिला और मज़दूरों का प्रतिरोध : एक रिपोर्ट

अलग-अलग कम्पनियों में स्थायी मज़दूरों की जगह ठेका मज़दूरों और पुराने ठेका/कैज़ुअल मज़दूरों की जगह पहले से सस्ते और कम अवधि के लिए नये ठेका मज़दूरों, ट्रेनी, अप्रेण्टिस, टी.डब्ल्यू. जैसी विभिन्न श्रेणियों में मज़दूरों को बाँटकर सस्ते से सस्ते और सीमित अवधि के लिए मज़दूरों की भरती की प्रक्रिया जारी है। कहीं पर ठेका ख़त्म हो गया है, कहीं पर घाटा बताकर किसी लाइन को बन्द दिखाकर मज़दूर की छँटनी की जा रही है, तो कहीं वीआरएस का नोटिस लगाकर या मज़दूरों पर झूठा इल्ज़ाम लगाकर बाहर करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है।

बेलसोनिका में मज़दूरों की छँटनी व ठेका प्रथा के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी है!

पिछली 3 अगस्त को आई.एम.टी. मानेसर (गुड़गाँव) में स्थित बेलसोनिका ऑटो कम्पोनेण्ट इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड के मज़दूरों द्वारा प्रबन्धन की मज़दूर विरोधी नीतियों के चलते दो बार दो घण्टे का टूल डाउन करने पर प्रबन्धन ने मज़दूरों को आठ दिन की वेतन कटौती का नोटिस जारी कर दिया था। बेलसोनिका मारुति के लिए कलपुर्ज़े बनाती है।

ऑटो सेक्टर के मज़दूरों की एक रिपोर्ट

पिछले कुछ दिनों से गुड़गाँव पट्टी के ऑटो सेक्टर में एक हलचल पैदा हो गयी है। लगातार कम्पनियों में छँटनी, पैसे न दिये जाने, मज़दूरो की माँगें न माने जाने आदि के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके विरोध में कई प्रदर्शन और हड़ताल भी हो रहे हैं। पिछले 3 महीने में धारूहेड़ा में हुण्डई मोबीस के मज़दूरों का धरना, जेएनएस के मज़दूरों की हड़ताल तथा पिछले महीने नपीनों के मज़दूरों की हड़ताल इसके उदाहरण हैं। अभी-अभी बेलसोनिका के मज़दूरों के साथ भी कई सारी घटनाएँ सामने आ रही हैं।

ऑटो सेक्टर के मज़दूरों के लिए कुछ ज़रूरी सबक़ और भविष्य के लिए एक प्रस्ताव

कोविड काल के बाद शुरू हुए कई आन्दोलनों में से एक आन्दोलन धारूहेडा में शुरू हुआ। 6 से लेकर 22 साल की अवधि से काम कर रहे 105 ठेका मज़दूरों को बीती 28 फ़रवरी 2022 को हुन्दई मोबिस इण्डिया लिमिटेड कम्पनी ने बिना किसी पूर्वसूचना के काम से निकाल दिया। प्रबन्धन के साथ मज़दूरों का संघर्ष पिछले साल से ही चल रहा था। लेकिन प्रबन्धन ने 28 फ़रवरी को सभी पुराने मज़दूरों का ठेका ख़त्म होने का बहाना बनाकर छँटनी कर दी।

वेतन न देने और वेतन कटौती में घपलेबाज़ी को लेकर मानेसर की श्रीनिसंस कम्पनी के मज़दूरों के क़ानूनी संघर्ष की उम्मीदें भी लगभग ख़त्म!

श्रीनिसंस वायरिंग लिमिटेड (मानेसर) के मज़दूरों को पिछले छह महीने से उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। दूसरे, वेतन से कम्पनी द्वारा पैसा काटने के बावजूद न तो पी.एफ़. और न ही ई.एस.आयी. में पैसा जमा किया गया है; और न ही मज़दूरों द्वारा कम्पनी से लिये गये क़र्ज़ की क़िश्त चुकायी जा रही थी। इस तानाशाही व घपलेबाज़ी की शिकायत मज़दूरों ने श्रम उपायुक्त को 9 जुलाई को लिखित रूप में भी की थी। स्टाफ़ के क़रीब 20 मज़दूरों की तनख़्वाह का जनवरी 2021 से तथा ठेका व अप्रेण्टिस मज़दूरों का अप्रैल 2021 से भुगतान नहीं किया गया है।