Category Archives: चुनावी नौटंकी

गुजरात में मोदी की जीत से निकले सबक

वर्ष 2002 के जनसंहार के बाद मोदी के ‘जीवन्त गुजरात’ में मुसलमानों की क्या जगह है ? वे पूरी तरह हाशिये पर धकेल दिये गये हैं । उनके मानवीय स्वाभिमान को पूरी तरह कुचलकर उनकी दशा बिल्कुल वैसी बना दी गयी है जैसी भेड़ियों के आगे सहमें हुए मेमनों की होती है । अहमदाबाद, सूरत और बड़ौदा जैसे शहरों में ज्यादातर गरीब मेहनतक़श मुसलमान आबादी ऐसी घनी बस्तियों में सिमटा दी गयी है जहाँ बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएँ तक ढंग से मयस्सर नहीं है ।

पंजाब में चुनावी दंगल की तैयारियाँ शुरू : मेहनतकश जनता को इस नौटंकी से अलग क्रान्तिकारी विकल्प खड़ा करने के बारे में सोचना होगा!

पंजाब की चुनावी राजनीति मुख्यतः कांग्रेस तथा अकाली दल (बादल) के इर्द–गिर्द ही घूमती है। बाकी छोटी–मोटी पार्टियों को इन्हीं में से किसी न किसी की पूँछ पकड़नी पड़ती है।

यही हाल पंजाब की मेहनतकश जनता का है। कोई सही क्रान्तिकारी विकल्प न होने के चलते उसे इन्हीं दो पार्टियों में से किसी एक को चुनना होता है, जो पाँच साल तक जम कर डण्डा चलाती हैं। इस बार भी चुनावी दंगल में उतरने वाली पार्टियों में से भले कोई भी पार्टी चण्डीगढ़ के तख़्त पर विराजमान हो, जनता का कोई भला नहीं होने जा रहा, बल्कि आने वाले दिनों में मेहनतकश जनता पर और अधिक कहर बरपा होगा। मेहनतकशों को मिलने वाली मामूली सुविधाओं में और अधिक कटौती होगी। वैश्वीकरण–निजीकरण–उदारीकरण का रथ और बेरहमी से मेहनतकशों को रौंदेगा। मज़दूरों तथा अन्य मेहनतकश लोगों को सड़कों पर आना होगा। चुनावी राजनीति से अलग अपने क्रान्तिकारी संगठन खड़े करने होंगे तथा अपनी संगठित ताकत के बल पर अपने हक हासिल करने होंगे।

देश में चल रही भूमण्डलीकरण की काली आंधी के बीच चुनावी मौसम में सरकार खुशनुमा बयार बहाने में जुटी

देश की अर्थव्यवस्था की सेहत भली–चंगी दिखाने वाले जिन चमत्कारी आंकड़ों की गवाही देकर जनता के भीतर खुशनुमा अहसास उड़ेले जा रहे हैं उसके फर्जीवाड़े को उजागर करने के लिए पूंजीवादी अर्थशास्त्र की बारीकियों में जाने की जरूरत नहीं। कोई भी दुरुस्त दिमाग वाला औसत समझ का आदमी आसानी से यह महसूस कर सकता है कि देश मे भूमण्डलीकरण, उदारीकरण और खुलेपन के नाम पर कोई खुशनुमा बयार नहीं वरन आम जनता की ज़िन्दगी को तबाह–बर्बाद करने वाली काली आंधी चल रही है।