एक महान क्रान्तिकारी की आख़िरी लड़ाई और उसकी याद के आईने में हमारा समय
13 सितम्बर को यतीन्द्रनाथ दास की शहादत को 91 बरस हो गये। उनकी लड़ाई अंग्रेज़ों की जेल में राजनीतिक बन्दियों के अधिकारों के लिए थी। मगर जिस आज़ाद हिन्दुस्तान के लिए तिल-तिलकर भूख से मरने का रास्ता जतिन ने चुना था, क्या वह हमें मिला?