दिल्ली में भाजपा सरकार के तीन माह! चुनाव से पहले दिल्ली की जनता से किये वायदों से अब मुकर रही भाजपा सरकार!
योगेश स्वामी
आख़िरकार देश की राजधानी दिल्ली में 27 साल बाद फिर भाजपा की सरकार सत्ता में आ ही गयी। चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी करने से लेकर तमाम हथकण्डे अपनाये। दिल्ली में सत्ता हासिल करना भाजपा के लिए पिछले लम्बे समय से नाक का सवाल बना हुआ था और इसकी तैयारी उन्होंने काफ़ी पहले ही शुरू कर दी थी। दिल्ली में सत्ता पाने के लिए भाजपा ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे कराये और उसके बाद से बीच-बीच में ऐसी घटनाएँ होती रही, जिससे दिल्ली में साम्प्रदायिक महौल लगातार बना रहा।
चुनाव आते ही भाजपा ने लोक-लुभावन वायदों की झड़ी लगा दी। पहले भाजपा के नेता यह प्रचार करते रहे कि आम आदमी पार्टी की सरकार की सारी मुफ़्त योजनाएँ जारी रहेंगी और साथ ही भाजपा ने दिल्ली की जनता से कई सारे नये हवा-हवाई वायदे भी किये। दिल्ली की जनता को इन लोक-लुभावन वायदों पर यक़ीन हो सके इसलिए इन सारे वादों को ‘मोदी की गारण्टी’ कह कर प्रचारित किया गया और स्वयं प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली चुनाव के लिए की अपनी जनसभाओं में इन वायदों के लिए ‘मोदी की गारण्टी’ का राग अलापा। दिल्ली की जनता का एक बड़ा हिस्सा इन वायदों के झाँसे में आ गया और भाजपा को वोट किया। पर अब भाजपा की सरकार बनने के बाद आम मेहनकश आबादी से किये इन वायदों की हवा निकल गयी है। भाजपा अब अपने किये वायदों से मुकरती नज़र आ रही है!
दिल्ली में भाजपा की सरकार बने लगभग तीन महीने हो चुके हैं, अब भाजपा अपने वायदों को पूरा नहीं करने के लिए चालें चल रही है। कई योजनओं पर ऐसे नियम लगा दिये गये हैं कि उन्हें दिल्ली की बहुसंख्यक आबादी खासकर मज़दूर आबादी पूरा कर ही नहीं पायेगी।
आज़ादी के बाद के अब तक देश के सबसे झूठे-मक्कार प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव से पहले दिल्ली की जनता से वादा किया कि भाजपा की सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट मीटिंग में महिला सम्मान योजना (जिसमें दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये दिये जायेंगे) को पास किया जायेगा और 8 मार्च, 2025 को यह राशि उनके खाते में आ जायेगी। मगर अन्य राज्यों की तरह ही दिल्ली में भी यह घोषणा एक जुमला बनकर रह गयी।
हम मेहनतकशों को समझ लेना चाहिए कि खैरात देकर ये सभी चुनाबबाज पार्टियाँ हमारे असल मुद्दों यानी शिक्षा-रोज़गार-स्वास्थ्य-आवास को गायब कर देती हैं, वहीं इसके उलट पूँजीपतियों और व्यापारियों के टैक्स व कर्ज़ को माफ़ कर दिया जाता है। महँगाई, बेरोज़गारी का कहर हम पर पड़ता है और यही कारण है कि सभी पार्टियाँ चुनाव में खैरात बाँटकर चुनाव जीतना चाहती हैं। हैं। हमें यह यह भी समझना होगा कि यह खैरात भी मेहनतकश जनता से निचोड़े हुए टैक्स से ही दी जाती है न कि अमीरों-धन्नासेठों पर प्रगतिशील प्रत्यक्ष टैक्स लगाकर। इसलिए सरकार द्वारा दी जा रही कोई भी सुविधा हमें “मुफ़्त” में नहीं मिलती।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पूर्व आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि अगर वो फिर सत्ता में आती है, तो महिला सम्मान योजना के तहत दिल्ली की हर महिला को 2100 रुपये दिये जायेंगे। इसी तर्ज़ पर भाजपा ने एक क़दम आगे बढ़ते हुए वादा किया कि अगर वो सत्ता में आते है तो 2500 रुपये दिल्ली की महिलाओं को दिये जायेंगे। साथ ही पिछली सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी कल्याणाकरी योजनाओं जैसे महिलाओं को बसों में मुफ़्त यात्रा आदि को जारी रखा जायेगा। पर अब हर योजना को लागू रखने के के लिए तरह-तरह के नियम बनाये जा रहे हैं। इसका मकसद लोगों को आसानी से योजना का लाभ मिल सके यह नहीं है, बल्कि यह है कि कम से कम लोग ही योजना का लाभ पा सकें। 2500 रुपये देने के वादे से मुकरते हुए अब भाजपा की दिल्ली सरकार बीपीएल कार्ड, आय प्रमाण पत्र, एसडीएम से प्रमाणित दस्तावेज़ माँग रही है। दिल्ली की एक बहुत बड़ी ग़रीब आबादी इन नियमों को जानकर अपने को ठगा से महसूस कर रही है।
भाजपा ने दिल्ली की मज़दूर आबादी से भी कई वादे किये थे, जैसे घरेलू कामगारों, गिग वर्कर आदि से। पर अब सरकार बनने के बाद सभी वायदों पर रेखा गुप्ता ने चुप्पी साध ली है। अपने किये वायदों और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा के नेता साम्प्रदायिक बयान देने में लगे हुए हैं। जैसे मुस्तफ़ाबाद से भाजपा के विधायक मोहनसिंह बिष्ट ने कहा कि वो जल्द ही प्रस्ताव रखेंगे कि मुस्तफ़ाबाद विधानसभा का नाम बदलकर शिव पुरी कर दिया जाये। इलाक़े का नाम बदलने से क्या इलाक़े की समस्याएँ ख़त्म हो जायेंगी? इसी तरह पटपड़गंज से विधायक रविन्द्र नेगी आये-दिन साम्प्रदायिक महौल बनाने के लिए बायनबाज़ी कर रहे हैं। यह सब भाजपा की फ़ासीवादी राजनीति का ही हिस्सा है।
जहाँ एक तरफ भाजपा अपने वादों से मुकर रही है, दूसरी तरफ कोई न कोई साम्प्रदायिक मुद्दा उठाने का मौक़ा नहीं छोड़ रही है। भाजपा ने केन्द्र सरकार की आयुष्मान योजना (जिसके तहत दिल्ली के लोगों को 10 लाख का इलाज़ मुफ़्त मिल सकता है) का ऐसा प्रचार किया कि बस भाजपा सरकार बनते ही दिल्ली में रहने वाले हर व्यक्ति को इस योजना लाभ मिलने लगेगा। सच्चाई यह है कि इस योजना का लाभ उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनके पास दिल्ली का आय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड जैसे दस्तावेज़ होंगे। ऐसे नियमों के चलते एक बहुत बड़ी बहुसंख्यक मेहनतकश आबादी को इसका लाभ मिल ही नहीं पायेगा। दिल्ली की ग़रीब आबादी के लिए भाजपा का यह वादा भी चुनावी जुमला ही साबित होने वाला है। हालाँकि जब दिल्ली व केन्द्र के सरकारी अस्पताल कहने के लिए मुफ़्त हैं, तो होना यह चाहिए कि सरकारी अस्पताल में किसी भी मरीज़ की सारी जाँच, सारा इलाज़ और कोई छोटा या बड़ा ऑपरेशन पूरी तरह मुफ़्त हो। तब ऐसी किसी आयुष्मान योजना की ज़रूरत ही नहीं होगी।
महिलाओं के लिए बस में मुफ़्त यात्रा के भी नये नियम लाये जा रहे हैं, जिसके तहत महिलाओं को अपने कुछ दस्तावेज़ों के आधार पर एक कार्ड बनवाना होगा, इन दस्तावेज़ों में महिला के पास दिल्ली का निवास प्रमाण पत्र, परिवार का आय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड होना चाहिए। अब यह कार्ड बनने पर ही दिल्ली की बसों में महिलाएँ मुफ़्त यात्रा कर पायेंगी। होना तो यह चाहिए कि सार्वजिनक परिवहन योजना के तहत सभी लोगों के लिए बसों व मेट्रो में यात्रा मुफ़्त में ही होनी चाहिए। कई पूँजीवादी देशों में जनता को ऐसी सुविधाएँ मिली हैं। दिल्ली शहर, जो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, वहाँ तो बहुत ज़रूरी है कि सार्वजिनक परिवहन व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाये ताकि लोग अपने निजी वाहन का कम से कम प्रयोग करें।
भाजपा ने वायदा किया था कि रसोई गैस सिलेण्डर 500 रुपये का मिलेगा और होली व दीवाली के त्यौहार पर एक सिलेण्डर मुफ़्त दिया जायेगा। यह वायदा भी एक बड़ा जुमला निकला। इस बीच होली आयी और चली गयी, पर किसी को कोई सिलेण्डर मुफ़्त नहीं मिला। इसके उलट मोदी सरकार ने घरेलू सिलेण्डर 50 रुपये महँगा कर दिया है। साथ ही पेट्रोल और डीज़ल पर भी 2 रुपये की बढ़ोतरी की है। मोदी सरकार को असल में चिन्ता इस देश के कॉरपोरेट घरानों, पूँजीपतियों, धन्नासेठों और पेट्रोलियम उपक्रमों के मुनाफ़े की है और इसके लिए हम सबका खून चूसकर भी इस मुनाफ़े को बढ़ाया जायेगा! भाजपा दिल्ली में जनता से किये वायदों से अब धीरे-धीरे मुकर रही है। इसमें कोई हैरानी नहीं है। मज़दूर विरोधी भाजपा सरकार के राज में ग़रीबों-मज़दूरों के लिए खाने-पीने से लेकर हर वस्तु और महँगी हो जायेगी और दिल्ली के बहुसंख्यक मेहनकश आबादी की जिन्दगी और बद से बदतर होगी।
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