‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के बहाने मोदी ने की पूँजीपतियों के मन की बात
मोदी को वैसे भी अपने अधिकारों की बात करने वाले और जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले लोग फूटी आँख नहीं सुहाते। कुछ समय पहले मोदी ने ऐसे लोगों को ‘आन्दोलनजीवी’ और परजीवी तक कहा था। मानवाधिकारों से तो मोदी और उनकी पार्टी का छत्तीस का आँकड़ा रहा है। पहले ही देश के तमाम सम्मानित मानवाधिकार कर्मी फ़र्ज़ी आरोपों में सालों से जेलों में सड़ रहे हैं। अपने इस ताज़ा बयान से मोदी ने साफ़ इशारा किया है कि अधिकारों की बात करना ही अपने आप में राष्ट्र-विरोधी काम समझा जायेगा क्योंकि इससे राष्ट्र कमज़ोर होता है।