टोरण्टो के मज़दूरों की शानदार जीत

लखविन्दर

सारी दुनिया की तरह ही कनाडा में भी वहाँ की सरकार नवउदारवादी नीतियाँ लागू कर रही है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद मज़दूरों ने संघर्ष और कुरबानियाँ देकर जो हक़ हासिल किये थे, कनाडा सरकार वे सारे हक़ उनसे छीन लेना चाहती है और उन्हें मुनाफ़ाखोर भूखे भेड़ियों के आगे परोस देना चाहती है। निजी क्षेत्र के मज़दूरों के हक़ तो व्यावहारिक तौर पर काफ़ी हद तक छीने जा चुके हैं। सरकार पब्लिक सेक्टर के मज़दूरों के हक़ों पर भी डाका डालने की ज़ोरदार कोशिशें कर रही है। 2008 के आख़िरी महीनों में शुरू हुई विश्वव्यापी आर्थिक मन्दी की लपेट में कनाडा भी आया। जहाँ निजी कम्पनियों ने तो मज़दूरों की छँटनी की और उनके वेतनों और अन्य सुविधाओं पर कटौती की, वहाँ सरकार ने भी पब्लिक सेक्टर के मज़दूरों की कमाई पर डाका डालने के लिए मन्दी को बहाना बनाया। मन्दी का बहाना बनाकर पब्लिक सेक्टर के मज़दूरों से ‘सहयोग़ करने के लिए कहा गया। यानी पूँजीपतियों और उनकी सरकार की करतूतों से जन्मे संकट का ख़ामियाज़ा मज़दूरों को भुगतने के लिए कहा गया। उनके वेतन और अन्य सुविधाओं पर कटौती करनी की कोशिशें की गयीं। लेकिन मज़दूरों ने यह नाइन्साफ़ी सहने से इनकार कर दिया। जहाँ-जहाँ भी सरकार ने मज़दूरों के हक़ छीनने की कोशिश की वहाँ-वहाँ मज़दूरों का संघर्ष सुलग उठा।

कनाडा के मज़दूरों द्वारा एक शानदार संघर्ष टोरण्टो शहर में लड़ा गया। वहाँ 24,000 मज़दूरों ने 22 जून से 31 जुलाई तक 39 दिन की लम्बी हड़ताल की। इस हड़ताल में सफ़ाई मज़दूरों सहित जनस्वास्थ्य, वृद्ध आश्रमों, पार्कों, जंक्शनों, सामाजिक सेवाओं, पुस्तकालयों के साथ-साथ आवास, क़ानूनी सेवाओं, सड़क मेंटेनेंस, बर्फ़ हटाने वाले, जानवरों के बचाव तथा अन्य बहुत सारी कम्युनिटी सेवाओं में शामिल मज़दूर शामिल थे। ये मज़दूर दो मज़दूर यूनियनों के झण्डे तले हड़ताल में शामिल हुए। 18,000 इनडोर मज़दूर सी.यू.पी.ई. (कनाडियन यूनियन ऑफ पब्लिक इम्पलाईज़) लोकल 79 के नेतृत्व में और 6,200 आउटडोर मज़दूर सी.यू.पी.ई. (कनाडियन यूनियन ऑफ पब्लिक इम्पलाईज़) लोकल 416  के नेतृत्व में हड़ताल में शामिल हुए।

मज़दूरों ने खुशी से यह हड़ताल नहीं की थी। बल्कि उन्हें प्रशासन की धक्केशाही ने ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था। मज़दूर लम्बे समय से प्रशासन से वेतन में बढ़ोत्तरी तथा अन्य सुविधाओं की माँग कर रहे थे। शहर की पुलिस, अग्निशामक कर्मी, हाइड्रो मजदूरों, टोरण्टो आवास कार्पारेशन, टोरण्टो पोर्ट ऑथोरिटी, आदि कर्मियों के वेतन में जिस हिसाब से बढ़ोत्तरी की गयी थी यह मज़दूर भी वही माँग रहे थे। वे वेतन और अन्य सुविधाओं में 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की माँग कर रहे थे। लेकिन प्रशासन ने उनकी माँगों की तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया। मज़दूरों को कहा जा रहा था कि जब पूरे देश में निजी कम्पनियों के मज़दूरों के वेतनों में कटौती हो रही है तब उनका वेतन कैसे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन जब मज़दूरों को यह बात कही जा रही थी उसी वक़्त ऊँचे पदों पर नोटों की बरसात की जा रही थी। उनके वेतन और अन्य लाभों में भारी बढ़ोत्तरी हो रही थी। इसी समय में टोरण्टो शहर के काउंसलरों का वेतन 96,805 डॉलर से बढ़ाकर 99,153 डॉलर कर दिया गया था।  मज़दूरों द्वारा पहले से रखी गयीं माँगें मानना तो एक तरफ़ रहा बल्कि प्रशासन ने मन्दी का बहाना बनाकर मज़दूरों को पहले से प्राप्त हक़ भी छीनने की तैयारी कर ली थी। नौकरी की सुरक्षा के मदों को कमज़ोर किया जा रहा था अर्थात उन्हें जब चाहे नौकरी से निकाल देने के नियम बनाने की तैयारी हो रही थी। उनके वरिष्ठता अधिकारों पर हमला किया जा रहा था। छुट्ट्टी और कार्यस्थान से बदली के अधिकारों को सीमित करने की कोशिश की गयी। एक बड़ा हमला बीमारी की छुट्टियों को जमा करने के हक़ पर किया जा रहा था। और भी बहुत सारे अधिकार छीने जाने की तैयारी हो रही थी।

अपने अधिकारों को बचाने के लिए मज़दूरों के पास हड़ताल के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा था। दोनों यूनियनों के 90 प्रतिशत सदस्यों ने हड़ताल करने के पक्ष में वोट दिये। इन 24,000 मज़दूरों की हड़ताल ने पूरे टोरण्टो शहर को हिलाकर रख दिया। सारा शहर जाम हो गया। पार्कों में कूड़े के ढेर लग गये। चारों तरफ़ बदबू ही बदबू थी। प्रशासन ने इस सब को लेकर मज़दूरों के ख़िलाफ़ प्रचार भी किया। लेकिन मज़दूर डटे रहे। टोरण्टो प्रशासन को झुकना पड़ा और समझौते के लिए तैयार होना पड़ा।

समझौते के अनुसार मज़दूरों को तीन वर्ष पर 6 प्रतिशत वेतन बढ़ोत्तरी का हक़ हासिल हुआ। शिफ्टों के लिए अलग से मिलने वाली रकमों में सुधार हासिल हुआ। मज़दूरों से उनकी बीमारी की छुट्टियों को जमा करने के हक़ को छीना जा रहा था। प्रशासन ने यह फ़ैसला वापिस ले लिया। शिकायत दर्ज करवाने के मज़दूरों के हक़ को सीमित करने, रिटायरमेण्ट के बाद मिलने वाले लाभों, बदलियों और वरिष्ठता आदि पर की जा रही कटौती करने के फ़ैसले वापस ले लिए गये। इस प्रकार टोरण्टो के मज़दूरों ने सिर्फ़ टोरण्टो प्रशासन को झुकने के लिए ही मज़बूर नहीं किया बल्कि अन्य मज़दूरों को भी लड़कर अपने हक़ हासिल करने के लिए हौसला प्रदान किया।

बिगुल, सितम्‍बर 2009


 

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