उत्तर प्रदेश में केन्द्र व राज्य कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष तेज किया

अमित

नयी पेंशन स्कीम के खि़लाफ़ उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों ने नये सिरे से संघर्ष का बिगुल फूँक दिया है। 1 जुलाई को लखनऊ में विभिन्न कर्मचारी संगठनों की बैठक करके कर्मचारी शिक्षक अधिकार ‘पुरानी पेंशन बहाली’ मंच का गठन किया गया। पुरानी पेंशन की बहाली, ख़ाली पदों पर भर्ती आदि विभिन्न माँगों को लेकर आयोजित की गयी इस बैठक में रेलवे, डाक विभाग, आयकर समेत केन्द्रीय सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारी नेताओं ने हिस्सा लिया। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के हरिकिशोर तिवारी को मंच का संयोजक चुना गया। इस मंच में उप्र डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ, राजकीय वाहन चालक महासंघ, उप्र चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ, उप्र लेखपाल संघ, उप्र राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी संघ, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ, ग्राम विकास अधिकार एसोसिएशन, मिनि. कर्मचारी महासंघ (स्वास्थ्य विभाग), उप्र जूनियर हाईस्कूल संघ, उप्र सांख्यिकीय सेवा परिसंघ, उप्र सरकार स्टेनोग्राफ़र महासंघ, वित्त विहीन माध्यमिक शिक्षक संघ – उप्र, संयुक्त पेंशनर्स समन्वय समिति समेत विभिन्न कर्मचारी संगठन शामिल हैं। ग़ौरतलब है कि 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन को नयी पेंशन स्कीम के तहत जुआघर (शेयर मार्केट) के हवाले कर दिया था। इसका नतीजा यह है कि बहुत से ऐसे कर्मचारी जो 2004 के बाद से नौकरी में आये उनको रिटायर होने के बाद 500-1000 रुपये तक पेंशन के रूप में मिल रहे हैं। बाद में घड़ियाली आँसू बहाते हुए कांग्रेस के शासनकाल में योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई सांसदों ने सरकार को पुरानी पेंशन की बहाली के लिए पत्र लिखा था। इतना ही नहीं, 2014 के चुनाव से पहले राजनाथ सिंह ने सत्ता में आने के बाद कर्मचारियों से पुरानी पेंशन की बहाली का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा और तेज़ी से पूँजीपतियों-लुटेरों की सेवा में जुट गयी और कर्मचारियों के रहे-सहे अधिकारों पर भी डाका डालने में जुट गयी। इसके तहत 97 विभागों को 34 विभागों में एकीकृत करने, अनिवार्य सेवानिवृत्ति लागू करने, ख़ाली पदों को समाप्त करने जैसे बहुत से कर्मचारी और जनविरोधी फ़ैसले लेने का काम किया गया। इन फ़ैसलों के खि़लाफ़ कर्मचारी कोई एकजुट संघर्ष न कर सकें, इसके लिए कर्मचारियों द्वारा सरकार की आलोचना को भी अपराध के दायरे में लाने का काम किया गया।

कर्मचारी शिक्षक अधिकार ‘पुरानी पेंशन बहाली’ मंच की ओर से 9 अगस्त को पूरे प्रदेश-भर में जि़ला मुख्यालयों पर एक दिवसीय प्रदर्शन का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जि़लों में बिगुल मज़दूर दस्ता और दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने भी आन्दोलन के समर्थन में शिरकत की। इलाहाबाद में कचहरी पर आयोजित प्रदर्शन में दिशा छात्र संगठन की एक टोली रेल कर्मचारियों के जुलूस के साथ पहुँची। प्रदर्शन में बातचीत रखते हुए दिशा छात्र संगठन के प्रसेन ने कहा कि आज के समय में पूरे देश में कर्मचारियों की इस एकजुटता को और व्यापक बनाना होगा और इसे निरन्तरता देनी होगी। यह भी समझने की बात है कि उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों पर सारी पार्टियों की एक आम सहमति है। पार्टियों के बदल जाने से उदारीकरण-निजीकरण की इन नीतियों पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला है। ज़रूरी है कि इन नीतियों की मार झेल रहे कर्मचारियों, छात्रों और युवाओं को इन नीतियों के खि़लाफ़ एक बड़े संघर्ष में उतर जाना होगा। आज की पूँजीवादी व्यवस्था वास्तव में मन्दी के एक ऐसे भँवरजाल में फँस चुकी है, जहाँ से निकल पाना उसके लिए असम्भव है। पूँजीपतियों के मुनाफ़े की दर को बरक़रार रखने के लिए सरकार आम जनता, कर्मचारियों को मिलने वाले अधिकारों में लगातार कटौती कर रही है। ऐसे में अपनी लड़ाई को इस पूँजीवादी व्यवस्था के खि़लाफ़ केन्द्रित करना होगा।

दिशा छात्र संगठन और बिगुल मज़दूर दस्ता के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन में ‘जारी है हड़ताल’ गीत प्रस्तुत किया। प्रदर्शन के अन्त में संयोजक अजय भारती ने मुख्यमन्त्री को जि़लाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया। कार्यक्रम का संचालन संयुक्त राज्य कर्मचारी परिषद के विनोद पाण्डेय ने किया।

आन्दोलन के अगले चरण में कर्मचारियों ने 29 से 31 अगस्त तक तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार का आह्वान किया है। 8 अक्टूबर को नयी पेंशन स्कीम के खि़लाफ़ लखनऊ में रैली का भी आयोजन किया जायेगा। मंच के नेताओं ने कहा कि अगर सरकार पुरानी पेंशन की बहाली नहीं करती तो 25 से 27 अक्टूबर तक पूर्णकालिक हड़ताल करेंगे और उसके बाद अनिश्चित कालीन हड़ताल की ओर अग्रसर होंगे।

मज़दूर बिगुल, अगस्‍त 2018


 

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