आँगनवाड़ी एवं आशा कर्मियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी की घोषणा :
प्रधानमन्त्री का एक और वायदा निकला जुमला!

बिगुल संवाददाता

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 11 सितम्बर 2018 को आँगनवाड़ी एवं आशा कर्मियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी की घोषणा की गयी थी। ‘आँगनवाड़ी’ और ‘आशा’ महिलाकर्मियों को मानदेय बढ़ोत्तरी का यह वायदा दिवाली के तोहफ़े के तौर पर किया गया था किन्तु अभी तक भी इस मानदेय बढ़ोत्तरी की एक फूटी कौड़ी भी किसी के खाते में नहीं आयी है! दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन को जिस बात की पहले ही आशंका थी, वही हुआ। यूनियन के द्वारा अपनी पिछली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की आशंका भी जतायी गयी थी। प्रधानमन्त्री द्वारा किये गये वायदे के अनुसार अक्टूबर माह से कार्यकर्त्ताओं के वेतन में 1,500 रुपये और सहायिकाओं के वेतन में 750 रुपये की वृद्धि होनी थी लेकिन अक्टूबर के महीने से बढ़ी हुई यह राशि अब तक किसी महिलाकर्मी को प्राप्त नहीं हुई है। शायद यह राशि मोदी सरकार 15 लाख के साथ ही जोड़ कर भेजने वाली है! पहले सुना करते थे कि झूठ के पैर नहीं होते पर यहाँ तो झूठ के पैर, हाथ, मुँह ही बल्कि साक्षात झूठ के भी दर्शन किये जा सकते हैं! अपने चार साल से अधिक के इस कार्यकाल में मोदी सरकार ने ख़ुद ही यह साबित कर दिया है कि वह ‘जुमलों’ की ही सरकार है। अमित शाह ने 15 लाख के बारे में खुलेआम कहा था कि वह एक चुनावी जुमला था। अब कुछ दिन पहले नितिन गडकरी भी एक मराठी चैनल पर यह कहते पाये गये थे कि उन्हें लगता था कि उनकी सरकार तो बननी है नहीं इसलिए वायदे कर दिये, अब सरकार तो बन गयी तो उन्हें पूरा कैसे करें? 

मोदी सरकार देश के मेहनतकश लोगों, काम करने वालों, युवाओं, छात्रों, महिलाकर्मियों के सामने किये गये वायदों को तो कब की रद्दी की टोकरी में डाल चुकी है, किन्तु इसने धन्ना सेठों की पौ-बारह करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। कहीं पर 2,000 करोड़ तो कहीं पर 3,000 करोड़ रुपये अपने चुनावी फ़ायदे के लिए बुतों-मूर्तियों पर ख़र्च किये जा रहे हैं। पिछले चार सालों में भाजपा अपने प्रचार में ही 5,000 करोड़ से अधिक ख़र्च कर चुकी है। बड़े-बड़े उद्योगपति बैंकों और जनता को हज़ारों करोड़ का चूना लगाकर चम्पत हो रहे हैं किन्तु चौकीदार की नींद नहीं टूटती है बल्कि बहुत मौक़ों पर तो सरकारी शह को साफ़-साफ़ चिन्हित किया जा सकता है! जब मेहनतकशों के हक़-अधिकार की बात आती है तो उन्हें नसीब होते हैं सिर्फ़ झूठे वायदे। यही चीज़ आँगनवाड़ी और आशा महिलाकर्मियों के साथ हुई है। देश के प्रधानमन्त्री महोदय ने जिस जोश में आकर आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी के समय अपने गाल थपथपाये थे तो उसी से इस वायदे के पूरा होने पर संशय था। इस वायदे में राज्य सरकारों को भी घसीटा गया था, उन्हें भी बढ़ायी गयी राशि का एक हिस्सा देना था। किन्तु न तो केन्द्र सरकार ने कुछ दिया है और न ही राज्य सरकार ने!

दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन के प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा और तमाम वोट के व्यापारी इस बात को समझ लें कि अपने झूठे वायदों और नारों के लिए वक़्त आने पर उन्हें पूरी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। सरकारों के लिए उनके वायदे भले ही जुमले बन जायें किन्तु देश की जनता और आँगनवाड़ी महिलाकर्मी झूठों के पिटारे की असलियत समझ रही है। मोदी और भाजपा का झूठ का सिंहासन सदैव टिका नहीं रहने वाला! आने वाले विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में भाजपा को जनता के सामने बोले गये झूठों की क़ीमत चुकानी पड़ेगी।

मज़दूर बिगुल, दिसम्‍बर 2018


 

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