गौहर रज़ा की नज़्म
साज़िश (उन्नाव की बेटी के नाम)

जब साज़िश, हादसा कहलाये
और साज़िश करने वालों को
गद्दी पे बिठाया जाने लगे
जम्हूर1 का हर एक नक़्श-ऐ -क़दम2
ठोकर से मिटाया जाने लगे

जब ख़ून से लथपथ हाथों में
इस देश का परचम आ जाये
और आग लगाने वालों को
फूलों से नवाज़ा जाने लगे

जब कमज़ोरों के जिस्मों पर
नफ़रत की सियासत रक़्स3 करे
जब इज़्ज़त लूटने वालों पर
ख़ुद राज सिंहासन फ़ख़्र करे

जब जेल में बैठे क़ातिल को
हर एक सहूलत हासिल हो
और हर बाइज़्ज़त शहरी को
सूली पे चढ़ाया जाने लगे

जब नफ़रत भीड़ के भेस में हो
और भीड़, हर एक चौराहे पर
क़ानून को अपने हाथ में ले

जब मुंसिफ़ सहमे-सहमे हों
और माँगें भीख हिफ़ाज़त की
ऐवान-ए-सियासत4 में पहम
जब धर्म के नारे उठने लगें

जब मन्दिर, मस्जिद, गिरजा में
हर एक पहचान सिमट जाये
जब लूटने वाले चैन से हों
और बस्ती, बस्ती भूख उगे

जब काम तो ढूँढ़ें हाथ, मगर
कुछ हाथ ना आये हाथों के
और ख़ाली-ख़ाली हाथों को
शमशीर5 थमाई जाने लगे

तब समझो हर एक घटना का
आपस में गहरा रिश्ता है
यह धर्म के नाम पे साज़िश है
और साज़िश बेहद गहरी है

तब समझो, मज़हब-ओ-धर्म नहीं
तहज़ीब लगी है दाँव पर
रंगों से भरे इस गुलशन की
तक़दीर लगी है दाँव पर

उट्ठो के हिफ़ाज़त वाजिब है
तहज़ीब के हर मैख़ाने6 की
उट्ठो के हिफ़ाज़त लाज़िम है
हर जाम की, हर पैमाने की।

1. जम्हूर – लोकतंत्र, 2. नक़्शे-क़दम – पदचिह्न, 3. रक़्स – नाच, 4. ऐवान-ए-सियासत – संसद,
5. शमशीर – तलवार, 6. तहज़ीब के मैख़ाने – संस्कृति के केन्द्र

 

 

मज़दूर बिगुल, अगस्‍त 2019


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments