नोएडा की 13 कॉलोनियों में पाँच वर्षों से बिजली के लिए नागरिकों का संघर्ष जारी

– सत्येन्द्र सार्थक

उत्तर प्रदेश के नोएडा में 50,000 से अधिक की आबादी वाली 13 कॉलोनियों में बिजली आपूर्ति की माँग को लेकर वहाँ के लोग 5 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तहत हिण्डन नदी के निकट सोरखा एक्सटेंशन, सैनिक विहार, गणेश नगर, विष्णु नगर कॉलोनी सेक्टर 115 नोएडा, अम्बेडकर सिटी, उन्नति विहार सेक्टर 123 नोएडा, साईं एनक्लेव, राधा कुंज, कृष्णा कुंज, ककराला खासपुर एक्सटेंशन, अक्षरधाम, श्याम वाटिका और बालाजी एनक्लेव सहित 13 ऐसी कॉलोनियाँ हैं जहाँ बिजली सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं है।

नोएडा के इस हिस्से में निम्न मध्यवर्गीय मेहनतकश आबादी रहती है जिनमें अधिकांश मज़दूर, रेहड़ी-खोमचे वाले, छोटे दुकानदार, सिक्योरिटी गार्ड, ड्राइवर, ई-रिक्शा चालक, दर्ज़ी, छोटे ठेकेदार, पेण्टर आदि हैं। ज़मीन ख़रीदने में यहाँ अधिकांश लोगों के जीवनभर की कमाई और बचत दाँव पर लगी हुई है। 2006-07 में यह इलाक़ा पूरी तरह से वीरान था जिसके कारण ज़मीन कुछ सस्ती थी। 2006-07 के आसपास ही इन कॉलोनियों का विस्तार होना शुरू हुआ, तभी से यहाँ विद्युतीकरण की माँग हो रही है। स्वयं बिजली विभाग के मुताबिक़ इस क्षेत्र में 20,000 घर हैं। यहाँ रह रहे लोगों ने ज़मीनों की ख़रीद में सभी क़ानूनी औपचारिकताएँ पूरी की हैं। इसके बावजूद उन्हें उनका वाजिब हक़ नहीं मिला है। जैसे-जैसे कॉलोनियों का विस्तार होता गया यह माँग भी ज़ोर पकड़ती गयी और प्रशासन की लापरवाही के ख़िलाफ़ लोग एकजुट होते गये। सरकारें आयीं गयीं पर इस सम्बन्ध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अम्बेडकर नगर कॉलोनी की वाहिदा बीबी और अन्य महिलाओं ने बताया कि ट्रांसफ़ार्मर, तार व खम्भे लगवाने के लिए लोगों ने आपस में मिलकर पैसों का इन्तज़ाम किया। कई लोगों ने इसके लिए क़र्ज़ भी लिया और लगभग दौगुनी रक़म देकर इसका ब्याज़ भी चुकाया । लोगों के पैसों से ट्रांसफ़ार्मर और खम्भे तो लग गये और आज भी वैसे ही खड़े हैं पर बिजली तब भी नहीं आयी। बिजली विभाग के अधिकारी ‘डूबवाले क्षेत्र में किसी तरह के विकास कार्य पर प्रतिबन्ध लगे होने’ का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। परन्तु सवाल यह है कि यदि 2010 से ही डूब वाले क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य न करने का सख़्त सरकारी आदेश जारी था तो इस क्षेत्र में कॉ‍लोनियाँ कैसे विकसित हुईं और बिजली कनेक्शन कैसे बाँटे गये। यह भी रहस्य ही है कि डूब क्षेत्र के यूसुफ़पुर, चकशाहवेरी, हैबतपुर, चोटपुर, छि‍जारसी, सरस्वती कुंज और तिगरी सहित कई अन्य कॉलोनियों में आधी-अधूरी ही सही, पर बिजली की व्यवस्था है। अगर सरकारी रोक थी तो यह कैसे हुआ?

एक तरफ़ स्थिति यह है और दूसरी तरफ़ आये दिन नेतागण चुनाव जीतने के बाद बिजली देने का वादा करके खिसक लेते हैं। भाजपा सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा ने तो बाक़ायदा मंच से घोषणा की थी कि वह सभी लोगों को सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन दिलवाने के लिए विभाग की ओर से कैम्प लगवायेंगे और यह वादा किया था कि सभी 13 कॉलोनियों के प्रत्येक घर को 500 रुपये में कनेक्शन दिया जायेगा तथा सभी अन्य नागरिक सुविधाएँ दी जायेंगी। आज भी उस कैम्प का कॉलोनीवासियों को इन्तज़ार है, हालाँकि इस कार्यक्रम के आयोजन में समिति के 84,000 रुपये ख़र्च हो गये थे। चुनाव ख़त्म होने के बाद सांसद महोदय को तो ग़ायब होना ही था, बिजली का भी आज तक अता-पता नहीं है।

इन झूठे आश्वासनों से तंग आकर 24 अगस्त 2016 को सेक्टर 25 में हज़ारों लोगों ने एकजुट होकर बिजली की माँग को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन किया। 2 दिन तक चले इस प्रदर्शन के बाद बिजली विभाग ने 70 केवी का एक अस्थाई ट्रांसफॉर्मर दिया और मीटर नहीं होने की बात कहते हुए यह भरोसा दिलाया कि 3 महीने के अन्दर मीटर उपलब्ध होते ही सभी लोगों को कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी।

प्रदर्शन में केवल पुरुष ही नहीं महिलाएँ भी गोद में बच्चे लेकर दिन भर धरना स्थल पर बैठी रहती थीं। सुबह घर का काम जल्दी ख़त्म कर वे 11 बजे तक धरना स्थल पहुँच जाती थीं और दिन ढलने के बाद लौटतीं। पुरुष रात धरना स्थल पर ही बिताते थे। दोपहर में लोगों का खाना भी धरना स्थल पर ही बनता था। इसके बाद भी उनकी बात सुनने कोई नहीं पहुँचा। उल्टे प्रदर्शनकारियों को शौचालय का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए उस पर ताला लगा दिया जाता था। महिलाओं को शौच के लिए काफ़ी दूर जाना पड़ता था। इन कठिनाइयों के बाद भी लोग डटे रहे। लेकिन राजनाथ सिंह के सुपुत्र, विधायक पंकज सिंह के झूठे आश्वासन को सच्चा मानकर उन्होंने धरना समाप्त कर दिया। पंकज सिंह ने वादा किया था कि तीन महीने के अन्दर सभी 13 कॉलोनियों में बिजली का इन्तज़ाम हो जायेगा। परन्तु अन्त में उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ और हमेशा की तरह वे बुरी तरह ठगे गये।

इन कॉलोनियों में केवल बिजली की समस्या ही नहीं है, यहाँ पर लोगों को किसी भी तरह की नागरिक सुविधा हासिल नहीं है और न ही किसी सरकारी योजना का उन्हें लाभ ही मिलता है। कॉलोनियों तक जाने वाले रास्तों को भी लोगों ने ख़ुद चन्दा करके बनाया है। सड़क, नाली, पानी, सार्वजनिक शौचालय, सार्वजनिक प्याऊ, सीवर, फॉगिंग, साफ़-सफ़ाई जैसी कोई भी सुविधा इन कॉलोनियों को प्राप्त नहीं है। बिजली नहीं होने के कारण रात के अँधेरे की वजह से ख़राब रास्तों पर कई बार दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं। कीड़े-मकोड़े, साँप अँधेरे में दिखते नहीं। उनके काटने से वहाँ 2 बच्चों सहित 3 लोगों की मौत हो चुकी है। जिन लोगों के पास टीवी, फ्रि़ज, पंखा जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं भी वे भी गत्ते में बाँधकर रख दिये गये हैं। यहाँ तक कि मोबाइल चार्ज करने के लिए भी इन लोगों को 3-4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

बिजली की यह ज़रूरत विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की कमाई का ज़रिया बन गया है। पास के एक गाँव से जुगाड़ के ज़रिये कनेक्शन दे दिया गया है जिससे लोग अपनी छोटी-मोटी ज़रूरतें भले पूरी करते हों पर इसके बदले उन्हें नियमित तौर पर अधिकारियों-कर्मचारियों की जेब भरनी पड़ती है। डूबवाले क्षेत्रों में अधिकारियों ने अपने आदमी तैनात कर रखे हैं जो हर महीने वसूली करते हैं, और साथ ही मीटर लगवाने के नाम पर भी लोगों से पैसा लेते हैं। इस तरह हर महीने 4 करोड़ रुपये इधर से उधर होते हैं।

बिजली विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के पौ-बारह हैं। वे परेशानहाल मेहनतकश आबादी को लूटने में लगे हैं। इसके लिए वे तरह-तरह के तरीक़े अपनाते हैं। दल-बल के साथ पहुँचकर कभी तार काट लाते तो कभी पोल उखाड़ देते हैं। जब लोग मिन्नतें करते तो उनसे पैसा झटककर ‘आपसी सहमति’ दिखाते हुए सामान वापस कर दिये जाते हैं। ऐसा महीने में 5-6 बार होता है। आज भी बिजली वहाँ नहीं पहुँची है लेकिन जुर्माने के नाम पर कॉलोनी के लोगों से काली कमाई का सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है। विभाग के ही आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018-19 में इस क्षेत्र में 78 लाख रुपये की क़ानूनी वसूली की जा चुकी है। लेकिन वहाँ के बाशिन्दे अभी तक बिजली का इन्तज़ार कर रहे हैं।

मज़दूर बिगुल, नवम्बर 2019


 

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