सभी साथी एकजुट होकर संघर्ष करें, संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता!

साथियो, मैं हरियाणा में एक ऑटो कम्‍पनी का मज़दूर हूँ। इस कम्पनी में लगभग 700 मज़दूर साथी कार्य करते हैं। हमारे सारे मज़दूर साथियों के साथ इस कम्पनी की मैनेजमेंट ने जो जुल्म किये उसके बारे में मैं आज सारे मज़दूर भाइयों से कुछ बात बोलना चाहता हूँ।

हमारे कई साथियों को कम्‍पनी वालों ने बिना गलती के बाहर निकाल दिया। कम्पनी वालों ने गेट पर ताला लगा दिया और उन साथियों को काम से निकालने का नोटिस चिपका रखा था। कम्पनी वालों ने बोला कि इन मज़दूरों को छोड़ कर बाकी सभी ‘अण्डरटेकिंग’ पर दस्‍तखत करके अन्दर जा सकते हो। उस फॉर्म में लिखा था कि मज़दूर कम्पनी में कुछ भी माँग नहीं रखेंगे उसके बाद ही अन्दर जाने की अनुमति मिलेगी। हमें बहुत दुःख हुआ कि जिस कम्पनी को हम सब इतनी मेहनत करके इतना ऊपर तक लाये आज वही कम्पनी कह रही है कि हम कोई माँग नहीं कर सकते। हमने कहा कि पहले इन बन्दों को काम पर वापस लो फिर उनकी जाँच की जाये, अगर उनकी कोई गलती मिलती है तो आप निकाल सकते हैं लेकिन कम्पनी वालों ने हमारी बात नहीं सुनी। हमारी यूनियन के साथी डी. सी. व लेबर कोर्ट के पास गये और हमारी समस्याएँ बतायी लेकिन उन्होंने मदद करने से साफ़-साफ़ मना कर दिया। वे सब कम्पनी की भाषा बोले, उन्होंने ये भी कहा कि अण्डरटेकिंग पर हस्ताक्षर ना करके मज़दूरों ने गलत किया है। हमारे सारे सथियों ने कहा कि हम सभी काम करना चाहते हैं और सभी अन्दर जाने को तैयार हैं लेकिन हम सभी साथियों सहित साथ जायेंगे और ‘ग़ैरकानूनी अण्डरटेकिंग फॉर्म’ पर हस्ताक्षर नहीं करेंगें।

कम्पनी में हमारे मज़दूर साथियों का बहुत शोषण होता रहा है। ऐसे ही हालात में लोग आत्महत्याओं के लिए मजबूर होते हैं। हमने निर्णय लिया था कि हम यूनियन के ‘रजिस्ट्रेशन’ के लिए ‘फ़ाइल’ लगायेंगे। जब लेबर कोर्ट से फ़ाइल ‘ओके’ होकर कम्पनी आयी तो कम्पनी ने चाल चलनी शुरू कर दी। जब वेरिफिकेशन हुआ तब हमारी फ़ाइल पूरी तरह से ठीक थी लेकिन कम्पनी वालों ने हमारी ‘यूनियन फाइल’ ‘रिजेक्ट’ कराने में पूरी ताकत लगा दी। उन्होंने लेबर कोर्ट में इतना पैसा खिला दिया कि लेबर कोर्ट ने कम्पनी मैनेजमेंट की बात बोली। अब किस पर भरोसा करोगे? लेबर कोर्ट कहने के लिए मज़दूरों के लिए होता है लेकिन उन्होंने सैकड़ों मजदूरों की रोजी रोटी छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कम्पनी मैनेजमेंट और श्रम विभाग ने हमारे यूनियन नम्बर को रोक दिया गया और षड्यन्त्र करके हमारी पंजीकरण फाइल रद्द करा दी।

कम्पनी को काम करते 5 साल हो गये लेकिन किसी भी मज़दूर की सैलरी ढंग से नहीं बढ़ी है, इक्के दुक्के की तनख्वाह किसी कि बढ़ी भी है तो वह भी थोड़ी बहुत जबकि हमारे साथ ही ज्वाइन किये मैनेजमेंट स्टाफ की सैलरी कई गुना हो गयी है। जब सैलरी बढ़ाने की बात आती है तो कम्पनी वाले कहते हैं कि कम्पनी घाटे में चल रही है। जबकि जापानी कम्पनी नये मॉडल हेतु उत्पादन करने के लिए लाइन लगा कर भर्ती कर रही है। इससे पता चलता है कम्पनी वाले और सारे प्रशासन वाले मिले हुए हैं। मोदी जी विदेशी कम्पनी लाकर बोलते हैं कि मैं भारत की गरीबी हटाऊंगा लेकिन कम्पनियों के व्यवहार से लगता है जैसे यहाँ पर उन्ही की तानाशाही चलती है बाकी सभी उनके सामने पूँछ हिलाते हैं।

मज़दूर भाइयो! अगर हम एकजुट नहीं हुए तो ये कम्पनियाँ प्रशासन के साथ मिलीभगत करके यूँ ही हमारा शोषण करती रहेंगी। सभी साथियों से मेरी प्रार्थना है कि एकजुट हो जाओ। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो मज़दूर का और अधिक शोषण होगा। सभी साथियों से प्रार्थना है कि सभी साथी एकजुट होकर संघर्ष करें, संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता। इंक़लाब ज़िन्दाबाद, लाल सलाम साथियो!

मज़दूर बिगुल, दिसम्बर 2019


 

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