प्रथम स्त्री शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर जातितोड़क भोजों का आयोजन

जाति व्यवस्था को इतिहास में हर शासक वर्ग ने अपने तरीक से इस्तेमाल करने का काम किया है। मौजूदा पूँजीवादी व्यवस्था ने भी जाति प्रथा को अपने ढाँचे के साथ सहयोजित कर लिया है। पूँजीवादी चुनावी राजनीति भी जाति व्यवस्था के पूरे ढाँचे को बना कर रखने का काम करती रही है और यह मौजूदा पूँजीवादी जाति व्यवस्था मेहनतकश वर्ग की क्रान्तिकारी लामबन्दी को कमजोर करने का काम करती है। आज निरन्तर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की ज़रूरत है जो जाति व्यवस्था को तोड़कर मेहनतकश जनता की क्रान्तिकारी लामबन्दी कायम कर सकें। इसी के तहत नौजवान भारत सभा द्वारा सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर जगह-जगह जाति तोड़क भोज, चर्चा और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
आज ज़्यादातर लोग इस बात को नहीं जानते कि भगतसिंह और उनके साथियों द्वारा स्थापित ‘नौजवान भारत सभा’ लोगों के बीच के आपसी भेदभाव दूर करने और गोरी हुकूमत से लड़ने के लिए एकता की भावना विकसित करने के उद्देश्य से अक्सर सामाजिक सहभोज आयोजित करती थी। इन कार्यक्रमों में सभी जातियों और सम्प्रदायों के लोग भोज में आमन्त्रित किये जाते थे जहाँ वे एक-दूसरे को भोजन परोसते थे। इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अब नौभास की ओर से इन कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है क्योंकि उस दौर से लगभग एक शताब्दी का समय बीत जाने के बाद भी जाति-धर्म की दूरियाँ बनी हुई हैं।
उत्तर प्रदेश में चित्रकूट के भैरमपुर गाँव में नौजवान भारत सभा की ओर से जाति-तोड़क भोज का आयोजन और ‘सावित्रीबाई फुले की विरासत और जाति उन्मूलन का रास्ता’ विषय पर सभा की गयी। सभा और जाति-तोड़क भोज में आस-पास के 7-8 गाँवों के लोगों ने भागीदारी की। नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने इन गाँवों में लोगों के घर-घर जाकर जाति-तोड़क भोज के लिए राशन आदि इकट्ठा किया था। सभा की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘अभी लड़ाई जारी है’ से की गयी। सभा में नौजवान भारत सभा के प्रसेन ने सावित्रीबाई फुले की विरासत और जाति उन्मूलन के लिए संघर्ष के सवाल पर विस्तार से बातचीत रखी। नौजवान भारत सभा द्वारा संचालित शिक्षा सहायता मण्डल के बच्चों ने भी कार्यक्रम में क्रान्तिकारी गीत पेश किये। जाति-तोड़क भोज के लिए खाना तैयार करने और खाने-खिलाने में अलग-अलग जातियों के महिलाओं और पुरुषों ने भागीदारी करके जाति-व्यवस्था के खिलाफ़ संघर्ष जारी रखने और अलग-अलग रूपों में जाति-विरोधी कार्यक्रमों को जारी रखने के संकल्प को दुहराया। जाति-तोड़क भोज में लगभग 800 लोगों ने भागीदारी की जिनमें सभी जातियों के लोग शामिल थे। यद्यपि जाति-तोड़क भोज में सवर्ण जातियों के लोगों की संख्या कम थी लेकिन सवर्ण जातियों के भी कई लोग अपने परिवार सहित जाति-तोड़क भोज में शामिल होने पहुँचे थे।
नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा अम्बेडकरनगर के नथमलपुर हेठरिया गाँव में जाति-तोड़क भोज और विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें आस-पास के लगभग 15 गाँवों के लोग शामिल हुए। इन गाँवों में पिछले लम्बे समय से नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ता विभिन्न सवालों पर प्रचारात्मक-आन्दोलनात्मक गतिविधियाँ करते रहे हैं। पिछले दिनों इन गाँवों में बिजली बिल में फ़र्ज़ी बढ़ोत्तरी के खिलाफ़ नौभास के कार्यकर्ताओं ने लोगों को संगठित करके आन्दोलन किया था, जिसमें जीत हासिल हुई और प्रशासन को झुकने पर मजबूर किया गया था। इन आन्दोलनों में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की थी। नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ता पिछले कई दिनों से घर-घर जाकर जाति-तोड़क भोज के लिए लोगों से राशन आदि जुटा रहे थे। सभा की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘महिलाएं गर उठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा’ से की गयी। सभा के दौरान मित्रसेन और बिन्द्रेश ने सावित्रीबाई फुले के जीवन और विचारों पर बातचीत की। अन्त में आज के समय में उनकी विरासत को आगे बढ़ाने, जातिगत भेदभाव और महिलाओं के दोयम दर्जे के खिलाफ़ संघर्ष का संकल्प लिया गया। जाति-तोड़क भोज में खाना बनाने से लेकर खाने-खिलाने में अलग-अलग जातियों के लोगों ने मिल-जुलकर हिस्सा लिया। अम्बेडकरनगर में आयोजित इस जाति तोड़क भोज में लगभग 300 लोग शामिल हुए।
गोरखपुर के बिछिया स्थित अरविन्द स्मृति पुस्तकालय पर नौजवान भारत सभा के सदस्यों ने सावित्रीबाई फुले की स्मृति में जाति तोड़क भोज का आयोजन किया। इसके पहले सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस की पूर्वसंध्या पर नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा बिछिया स्थित रामलीला मैदान में सभा करके सावित्रीबाई फुले की विरासत पर बातचीत की गयी। सभा के दौरान नौभास के कार्यकर्ताओं ने ‘देश को आगे बढ़ाओ’ नुक्कड़ नाटक का भी मंचन किया। बिछिया मुहल्ले में नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा शिक्षा सहायता मण्डल का संचालन किया जाता है। नौजवान भारत सभा द्वारा आयोजित इस भोज के लिए राशन आदि स्थानीय आबादी के बीच से जुटाया गया।
इलाहाबाद में नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर ढरहरिया और बक्शीबाँध स्थित झुग्गी बस्ती में नुक्कड़ सभाएँ कीं। सभाओं के दौरान क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत किये गये और लोगों को सावित्रीबाई फुले की विरासत से परिचित कराया गया। उरई में नौजवान भारत सभा की ओर से सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर उरई स्थित शहीद भगतसिंह पुस्तकालय पर गोष्ठी की गयी। नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने गाज़ीपुर के अलावलपुर अफ़गा में पोस्टर प्रदर्शनी लगाकर पर्चे वितरित किये और सावित्रीबाई फुले की विरासत पर बात की गयी। मऊ के नवापुरा में नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर सभा की और सावित्रीबाई फुले के संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए जाति उन्मूलन, समान शिक्षा और समाज में महिलाओं की दोयम दर्जे की स्थिति के खिलाफ संघर्ष के संकल्प को दुहराया।

मज़दूर बिगुल, जनवरी 2021


 

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