श्रीराम पिस्टन (भिवाड़ी) के मज़दूरों का संघर्ष जि़न्दाबाद!
मालिक-पुलिस-प्रशासन का गठजोड़ मुर्दाबाद!!

मेहनतकश साथियो!
पिछली 26 अप्रैल को हरियाणा के मानेसर और धारूहेड़ा औद्योगिक क्षेत्र से सटे भिवाड़ी (जिला-अलवर, राजस्थान ) के पथरेड़ी-चैपानकी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कम्पनी ‘श्रीराम पिस्टन एण्ड रिंग्स’ के हड़ताली मज़दूरों पर 2,000 पुलिस कर्मियों ने योजनाबद्ध ढंग से सुबह 4 बजे धावा बोलकर बर्बर लाठीचार्ज किया, दस चक्र गोलियाँ चलाईं और तीस आँसू गैस के गोले फेंके। पुलिस के साथ ही प्रबन्धन के दो सौ बाउंसरों ने भी चाकुओं, रॉडों और लाठियों से मज़दूरों पर हमला बोल दिया। इस हमले में घायल 79 मज़दूर अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से चार की स्थिति गम्भीर है। इस पूरी घटना के बाद उल्टा 26 मज़दूरों को ही गिरफ्तार करके उनके ऊपर हत्या के प्रयास का मुकदमा ठोंक दिया गया, जबकि प्रबन्धन और उसके बाउंसरों के विरुद्ध प्रशासन ने कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं की।
bhivadi2श्रीराम पिस्टन फैक्ट्री में श्रमिक अशान्ति की स्थिति पिछले कई महीनों से बनी हुई है। यहाँ गुड़गाँव-मानेसर-बावल-खुशखेड़ा-भिवाड़ी औद्योगिक पट्टी की 1,000 से भी अधिक आटोमोबील और आटो पार्ट्स बनाने वाली छोटी-बड़ी कम्पनियों की ही तरह ज्यादा से ज्यादा काम ठेका, कैजुअल और अप्रेण्टिस मज़दूरों से कराया जाता है। इन सभी कारख़ानों में मज़दूरों से निहायत दमनकारी परिस्थितियों में काम लिया जाता है और उनके कानूनी अधिकारों का भी वास्तव में कोई मतलब नहीं होता। प्रबन्धन बाउंसरों की मदद से खुली गुण्डागर्दी करता है और पुलिसिया तंत्र भी वफादार कुत्तों की तरह उनकी सेवा में लगा रहता है। ज्यादातर कारखानों में यूनियनें नहीं हैं या मालिकों के दलालों की कुछ यूनियनें हैं। यूनियन बनाने की हर कोशिश को प्रबन्धन सीधी बगावत मानता है और इस पूरी पट्टी में हर ऐसी कोशिश को प्रशासन की खुली मदद से बर्बरतापूर्वक कुचल देने का इतिहास एक दशक से भी अधिक पुराना रहा है। हीरो होण्डा, मारुति सुजुकी और ओरियेण्ट क्राफ्ट के उग्र मज़दूर संघर्ष इन्हीं दमनकारी परिस्थितियों के परिणाम थे। इनके अतिरिक्त छोटी-मोटी दर्जनों हड़तालें और आन्दोलन सिर्फ पिछले दस वर्षों के दौरान ही इस इलाके के आटोमोबील सेक्टर के कई कारखानों में हो चुके हैं, जिनका पूँजीपतियों के अखबारों में ‘टोटल ब्लैकआउट’ किया जाता रहा है। श्रीराम पिस्टन फैक्ट्री की घटना भी राष्ट्रीय अखबारों में सुर्खियाँ बनना तो दूर, कोने-अँतरे में भी स्थान नहीं पा सकी। इसलिए दिल्ली के तमाम मज़दूर संगठनों की जि़म्मेदारी बनती है कि इस मज़दूर आन्दोलन और इसके बर्बर दमन की ज़मीनी हकीकत को ज्यादा से ज्यादा मजदूरों और आम नागरिकों तक पहुँचाने की कोशिश करें।
श्रीराम पिस्टन में भी प्रबंधन के उत्पीड़न से तंग आ चुके मजदूरों ने जब यूनियन बनाने की कोशिश शुरू की तो प्रबन्धन ने तरह-तरह से धौंस-धमकी और डराने का सिलसिला शुरू कर दिया। तरह-तरह के फर्जी आरोप लगाकर 22 मज़दूरों को निलम्बित कर दिया। लेकिन मज़दूर झुके नहीं। पिछले एक महीने से निलम्बित मज़दूरों की बहाली और यूनियन पंजीकरण के लिए फैक्ट्री के कुल दो हजार मज़दूर आन्दोलन चला रहे थे। पिछले दिनों, महीने में दूसरी बार, सभी मज़दूरों ने काम बन्द कर दिया और 11 दिनों से जारी हड़ताल के दौरान प्लांट में ही जमकर बैठ गये। फिर प्रबन्धन तिजारा न्यायिक मजिस्ट्रेट से फैक्ट्री परिसर बलात् खाली करने का आदेश लेकर आया और फिर आतंक फैलाकर सबक सिखाने की नीयत से पुलिस और बाउंसरों ने मज़दूरों पर एकदम से धावा बोल दिया। 79 साथियों के घायल होने के बावजूद निहत्थे मजदूरों ने भरपूर प्रतिरोध किया। उग्र आक्रोश में उन्होंने पुलिस और प्रबंधन की कई गाडि़यों में आग भी लगा दी। बर्बर हमले के विरोध में उपजे इस आक्रोश के विस्फोट को उस समय रोकना भी संभव नहीं था। प्लाण्ट के बाहर, प्रबन्धन की तमाम कोशिशों के बावजूद मज़दूरों का धरना अभी भी जारी है।
श्रीराम पिस्टन फैक्ट्री की यह घटना न सिर्फ हीरो होण्डा, मारुति सुजुकी और ओरिएण्ट क्राफ्ट के मज़दूर संघर्षों की अगली कड़ी है, बल्कि पूरे गुड़गाँव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल-भिवाड़ी की विशाल औद्योगिक पट्टी में मज़दूर आबादी के भीतर, और विशेषकर आटोमोबील सेक्टर के मज़दूरों के भीतर सुलग रहे गहरे असन्तोष का एक विस्फोट मात्र है। यह आग तो सतह के नीचे पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के औद्योगिक इलाकों में धधक रही है, जिसमें दिल्ली के भीतर के औद्योगिक क्षेत्रों के अतिरिक्त नोएडा, ग्रेटर नोएडा, साहिबाबाद, गुड़गाँव, फरीदाबाद और सोनीपत के औद्योगिक क्षेत्र भी आते हैं।

गुड़गाँव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल-भिवाड़ी के मज़दूरों की एकता कायम करो!

गुड़गाँव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल से लेकर भिवाड़ी और खुशखेड़ा तक के कारखानों में लाखों मज़दूर आधुनिक गुलामों की तरह खट रहे हैं। लगभग हर कारखाने में अमानवीय वर्कलोड, जबरन ओवरटाइम, वेतन में कटौती, ठेकेदारी, यूनियन अधिकार छीने जाने जैसे साझा मुद्दे हैं। हमें यह समझना होगा कि आज अलग-अलग कारखाने की लड़ाइयों को जीत पाना मुश्किल है। अभी हाल ही में हुए मारुति सुजुकी आन्दोलन से सबक लेना भी जरूरी है जो अपने साहसपूर्ण संघर्ष के बावजूद एक कारखाना-केन्द्रित संघर्ष ही रहा। मारुति सुजुकी मज़दूरों द्वारा उठायी गयीं ज्यादातर माँगें-यूनियन बनाने, ठेका प्रथा खत्म करने से लेकर वर्कलोड कम करने जैसी-पूरे गुड़गाँव से लेकर बावल तक की औद्योगिक पट्टी के मज़दूरों की थीं। लेकिन फिर भी आन्दोलन समस्त मज़दूरों के साथ सेक्टरगत-इलाकाई एकता कायम करने में नाकाम रहा। इसलिए हमें समझना होगा कि हम कारखानों की चैहद्दियों में कैद रहकर अपनी माँगों पर विजय हासिल नहीं कर सकते क्योंकि हरेक कारखाने के मज़दूरों के समक्ष मालिकान, प्रबन्धन, पुलिस और सरकार की संयुक्त ताकत खड़ी होती है, जिसका मुकाबला मज़दूरों के बीच इलाकाई और सेक्टरगत एकता स्थापित करके ही किया जा सकता है, जैसा कि बांग्लादेश के टेक्सटाइल मज़दूरों ने कर दिखाया है।
‘गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति’ का मानना है कि आज हमें एक ओर सेक्टरगत यूनियनें (जैसे कि समस्त ऑटोमोबाइल मज़दूरों की एक यूनियन, समस्त टेक्सटाइल मज़दूरों की एक यूनियन, आदि) बनानी होंगी जो कि समूचे सेक्टर के मज़दूरों को एक साझे माँगपत्रक पर संगठित करें। वहीं हमें समूचे गुड़गाँव-बावल-भिवाड़ी बेल्ट के इलाके में मज़दूरों की एक इलाकाई मज़दूर यूनियन भी बनानी होगी, जो कि इस इलाके में रहने वाले सभी मज़दूरों की एकता कायम करती हो, चाहे वे किसी भी सेक्टर में काम करते हों। ऐसी यूनियन कारखानों के संघर्षों में सहायता करने के अलावा, रिहायश की जगह पर मज़दूरों के नागरिक अधिकारों जैसे कि शिक्षा, पेयजल, चिकित्सा आदि के मुद्दों पर भी संघर्ष करेगी। जब तक सेक्टरगत और इलाकाई आधार पर मज़दूरों के ऐसे व्यापक और विशाल संगठन नहीं तैयार होंगे, तब तक उस नग्न तानाशाही का मुकाबला नहीं किया जा सकता है, जोकि पूरे भारत के मज़दूरों के ऊपर थोप दी गयी है। इसलिए हमें मज़दूरों के हक की सभी लड़ाइयों में कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़ा होना होगा।

  • श्रीराम पिस्टन के गिरफ्तार मज़दूरों को रिहा करो!
  • 22 बर्खास्त मज़दूरों को बहाल करो!
  • मज़दूरों को यूनियन बनाने का अधिकार दो!
  • मज़दूरों पर से झूठे मुकदमें वापस लो!
  • पुलिस और कम्पनी के बांउसरों के खि़लाफ़ कानूनी कार्रवाई करो!

गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति
बिगुल मज़दूर दस्ता

सम्‍पर्क – 9540436262, 9711736435


 

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मज़दूरों के महान नेता लेनिन

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