‘जनचेतना’ पर साम्प्रदायिक फासीवादी हमला

प्रदर्शनी वाहन और पुस्तकों को क्षतिग्रस्त करने की कोशिश

‘बिगुल’ की प्रतियाँ जलायी

कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी

कार्यालय संवादाता

Image0675लखनऊ । साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के असली चरित्र और उनके कारनामों को ‘बिगुल’ द्वारा लगातार उजागर किये जाने से ये ताकतें बौखला गयी हैं । उनकी बौखलाहट का अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते 9 जनवरी को मथुरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं ने ‘बिगुल’ के उस अंक की प्रतियों को ‘जनचेतना’ के प्रदर्शनी वाहन से झपटकर जलाया जिसमें ‘तहलका’ के स्टिंग आपरेशन के हवाले से गुजरात नरसंहार पर विस्तृत सामग्री दी गयी थी । इतना ही नहीं ऐसे साहित्य का प्रचार करने वाले सचल प्रदर्शनी वाहन को क्षतिग्रस्त करने और साम्प्रदायिकता विरोधी अन्य क्रान्तिकारी साहित्य भी फाड़ने की कोशिश की । उन्होंने प्रदर्शनी कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकियाँ भी दीं ।

9 जनवरी को मथुरा शहर के बी.एस.ए. डिग्री कालेज के गेट पर जनचेतना की पुस्तक प्रदर्शनी चल रही थी कि अपने आपको संघ परिवार से जुड़ा बताने वाले कुछ युवकों ने आकर वहाँ प्रदर्शित ‘बिगुल’ अखबार के दिसम्बर ‘07 अंक में गुजरात चुनाव के सम्बन्ध में प्रकाशित समाचार को लेकर हंगामा शुरू कर दिया । वे धमकियाँ दे रहे थे कि “हिन्दुत्व” के खिलाफ प्रचार करने वालों का गुजरात के मुसलमानों और उड़ीसा के ईसाइयों से भी बुरा हाल करेंगे । कालेज के एक शिक्षक तथा छात्रों द्वारा बीच–बचाव की कोशिशों के बावजूद उन्होंने हंगामा और गाली–गलौच जारी रखा तथा बिगुल अखबार की सभी प्रतियों को जला दिया ।

उन्होंने प्रदर्शनी में भगतसिंह की ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’ और ‘जाति–धर्म के झगड़े छोड़ो, सही लड़ाई से नाता जोड़ो’ जैसी पुस्तिकाओं और राधामोहन गोकुलजी, राहुल सांकृत्यायन आदि सहित अन्य पुस्तकों को भी फाड़ने की कोशिश की और प्रदर्शनी वाहन में तोड़फोड़ का प्रयास किया और उसे आग लगाने की धमकी दी ।

स्थानीय नागरिकों के एक प्रतिनिधि मण्डल द्वारा आज मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिलने के बाद एस.एस.पी. ने इस मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करके कार्रवाई के आदेश दिए हैं ।

इस बीच उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती तथा केन्द्रीय गृहमंत्री को ‘जनचेतना’ द्वारा भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले कुछ माह के दौरान ‘जनचेतना’ की सचल पुस्तक प्रदर्शनियों को साम्प्रदायिक तत्वों द्वारा बार–बार निशाना बनाए जाने तथा सभी जगह हंगामा करने वालों की एक जैसी भाषा से स्पष्ट है कि एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत ऐसा किया जा रहा है ।

मालूम हो कि भगतसिंह जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर ‘जनचेतना’ द्वारा पूरे हिन्दी भाषी क्षेत्र में प्रगतिशील तथा क्रान्तिकारी साहित्य की सचल पुस्तक प्रदर्शनियाँ आयोजित की जा रही हैं । इन प्रदर्शनियों में जगह–जगह बजरंग दल, विहिप और संघ से जुड़े लोग धमकियाँ देते रहे हैं या हंगामा करने की कोशिश करते रहे हैं । पिछले 11 अक्टूबर को मेरठ में बजरंग दल के लोगों ने राहुल फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित भगतसिंह, राधामोहन गोकुलजी, राहुल सांकृत्यायन आदि की पुस्तकों तथा साम्प्रदायिकता विरोधी पर्चों–पुस्तिकाओं को लेकर हंगामा किया था तथा पुलिस में झूठी शिकायत दर्ज कराई थी । उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, हापुड़, मुरादाबाद आदि शहरों के अलावा जयपुर में ‘जनचेतना’ की प्रदर्शनियों के दौरान संघ परिवार से जुड़े लोग आकर बार–बार उलझते और धमकियाँ देते रहे हैं । गत नवम्बर में दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी में कुछ लोगों ने “बजरंग दल वालों” को भेजने और “देख लेने” की धमकी दी थी ।

पिछले 4 नवम्बर, 2007 की सुबह बजरंग दल के करीब 35–40 कार्यकर्ताओं ने नौजवानों की पत्रिका ‘आह्वान’ और ‘नौजवान भारत सभा’ के करावल नगर, दिल्ली स्थित कार्यालय पर आकर धमकी दी कि यदि हमने अपना अभियान बन्द नहीं किया तो हमें इसके गम्भीर नतीजे भुगतने होंगे ।

उस दौरान नौ.भा.स. और दिशा छात्र संगठन गुजरात में हिन्दू फ़ासिस्टों की घृणित करतूतों के नये खुलासे के बाद इस मुद्दे पर निकाले गये पर्चे के साथ विभिन्न इलाक़ों में सभाएँ और सघन जनसम्पर्क करते हुए व्यापक अभियान चला रहे थे । एक सप्ताह में करावल नगर, मुकुन्द विहार, अंकुर एन्क्लेव, कमल विहार, भजनपुरा, चाँदपुरा, मुस्तफ़ाबाद आदि इलाकों में नौ.भा.स. और दिशा के कार्यकर्ताओं ने 50 से अधिक सभाएँ कीं और हज़ारों पर्चे बाँटे । इलाके में बजरंग दल और संघ परिवार के लोग इससे बुरी तरह बौखलाये हुए हैं । दिशा और नौ.भा.स. ने दिल्ली विश्वविद्यालय, नोएडा, ग़ाजियाबाद, लखनऊ, इलाहाबाद और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी यह अभियान ज़ोर–शोर से चलाया ।

पिछले 3–4 वर्षों के दौरान पूरे करावल नगर क्षेत्र में नौ.भा.स. और “दिशा” के काम से ये तत्व पहले ही खुन्दक खाये हुए हैं और पहले भी कई बार इनकी ओर से इन संगठनों को धमकियाँ मिलती रही हैं । क्रान्तिकारी विचारों एवं साहित्य के प्रचार से और अन्धविश्वास, पोंगापन्थ, ढपोरशंखी बाबाओं आदि के विरुद्ध इनके पर्चों, नाटकों आदि से भी ये चिढ़े हुए हैं ।

कार्यालय पर धावा बोलने वाली बजरंग दलियों की भीड़ ने हमारे कार्यकर्ताओं को सीधे–सीधे धमकियाँ दीं कि वे “यहाँ भी गुजरात बना देंगे और तुम लोगों का एहसान जाफरी से भी बुरा हश्र करेंगे ।” उन्होंने कार्यालय को जला देने और बम से उड़ा देने की भी धमकी दी । वे खुलेआम दावा कर रहे थे कि स्थानीय भाजपा विधायक और पार्षद पूरी तरह उनके साथ हैं । ये दोनों तथाकथित जनप्रतिनिधि संघ की विचारधारा के कट्टर समर्थक हैं । इसके अलावा, स्थानीय समस्याओं को लेकर नौ.भा.स. की ओर से चलाये गये कुछ आन्दोलनों की सफलता तथा उनको मिले जनसमर्थन से भी उनकी बौखलाहट बढ़ गयी है ।

Image0677हमें पता चला है कि ये तत्व ‘आह्वान’ और नौ.भा.स. कार्यालय पर हमला करने की योजना बना रहे हैं । सभी फ़ासिस्टों की तरह, सत्ता के समर्थन के बिना इनमें सीधे–सीधे हमला करने की हिम्मत नहीं है, इसलिए हमें आशंका है कि ये किसी ख़तरनाक साज़िश में लगे हैं । इन तमाम धमकियों के बावजूद नौ.भा.स. और दिशा इस मुहिम को जारी रखने के लिए दृढ़संकल्प हैं ।

पिछले 11 अक्टूबर को मेरठ में बजरंग दल के लोगों ने पहले तो राहुल फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित राधामोहन गोकुलजी की पुस्तिकाओं (धर्म का ढकोसला, ईश्वर का बहिष्कार, लौकिक मार्ग, स्त्रियों की स्वाधीनता), राहुल सांकृत्यायन की ‘तुम्हारी क्षय’ आदि को लेकर गाली–गलौज व धमकियाँ दीं, फिर भगतसिंह की पुस्तिकाओं ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’ और ‘जाति–धर्म के झगड़े छोड़ो, सही लड़ाई से नाता जोड़ो’ को लेकर उल्टी–सीधी बकने लगे । हमारे साथियों के साथ ही मेरठ विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों द्वारा भी इसका विरोध करने पर वे चले गये, लेकिन उनसे जुड़े एक स्थानीय वकील की झूठी शिकायत पर रात के दस बजे डीएसपी के नेतृत्व में पुलिस प्रदर्शनी बन्द कराने पहुँच गयी । शिकायत में कहा गया था कि हम भगतसिंह को “आतंकवादी” घोषित करने वाली पुस्तकें बेच रहे हैं । शिकायत को बेबुनियाद पाकर पुलिस तो लौट गयी लेकिन स्थानीय थानाध्यक्ष ने हमारे साथियों से कहा कि ये लोग रात में कुछ भी गड़बड़ी कर सकते हैं इसलिए आप अपना प्रदर्शनी वाहन कहीं और ले जाइये । इन्हीं तत्वों की साँठ–गाँठ से अगले दिन दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ के मेरठ संस्करण में एक पूरी तरह झूठी खबर प्रकाशित हुई जिसके अनुसार भगतसिंह को आतंकवादी कहने पर युवाओं ने ‘जनचेतना’ की प्रदर्शनी में खूब हंगामा किया ।

इसके बाद भी पिछले दिनों मुजफ्फरनगर, हापुड़, मुरादाबाद आदि शहरों में ‘जनचेतना’ की प्रदर्शनी के दौरान संघ परिवार से जुड़े लोग आकर बार–बार उलझते और धमकियाँ देते रहते हैं । इनमें से ज्यादातर का कहना था कि हम लोग भगतसिंह के नाम पर झूठी बातें छापकर लोगों को भड़का रहे हैं । उनकी भाषा ठीक वही होती थी जो ‘पांचजन्य’ में छपे देवेन्द्र स्वरूप के लेख की थी जिसमें उन्होंने राहुल फाउण्डेशन, प्रो. जगमोहन सिंह और डॉ. चमनलाल का नाम लेकर आरोप लगाया था कि ये लोग भगतसिंह को जबरन कम्युनिस्ट बनाने पर तुले हुए हैं और भगतसिंह के नाम पर फ़र्ज़ी दस्तावेज़ छाप रहे हैं । अभी 16–18 नवम्बर तक दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी में तो इनके कुछ लोगों ने सीधे–सीधे बजरंग दल वालों को भेजने की धमकी दी । उनका कहना था कि तुम लोग तो हमारी जड़ ही काटने में लगे हो ।

जनचेतना की अध्यक्ष एवं सुपरिचित लेखिका कात्यायनी ने कहा है कि हर प्रकार के प्रगतिशील, जनपक्षधर, क्रान्तिकारी साहित्य को जन–जन तक पहुँचाने के जनचेतना एवं राहुल फाउण्डेशन के अभियान को ऐसी धमकियों से हरगिज़ रोका नहीं जा सकता । उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाइयाँ साम्प्रदायिक व फासिस्ट ताकतों की बौखलाहट को ही दर्शाती हैं । इस मुहिम को अब और तेज किया जाएगा । उन्होंने सभी जनपक्षधर लेखकों, पत्रकारों, प्रकाशकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं जनसंगठनों से जनचेतना पर इन हमलों का विरोध करने की अपील की है ।

इस घटना की देश के अलग–अलग हिस्सों में तीखी निन्दा करने और विरोध की अन्य कार्रवाइयों की खबरें ‘बिगुल’ कार्यालय को लगातार मिल रही हैं । तमाम प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और जनवादी संगठनों और व्यक्तियों ने विभिन्न तरीकों से अपना विरोध दर्ज कराया है । देश भर के लेखकों– बुद्धिजीवियों, पत्रकारों द्वारा साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के इस साजिशाना हमलों का विरोध करने की खबरें बिगुल कार्यालय को प्राप्त हो रही है । अब तक मिली जानकारी के अनुसार ज्ञानरंजन, मलय, शमशुल इस्लाम, पंकज सिंह, अलीम, सुरेन्द्र कुमार, किशन कालजयी, प्रेमपाल शर्मा, सुरेश नौटियाल, वीरभारत तलवार, विष्णु नागर, नीरद जनवेणु, आशीष गुप्ता, आशुतोष पाठक और मंजुला बोस ने विभिन्न माध्यमों से अपना विरोध दर्ज कराया है और सभी प्रगतिशील एवं धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक एकजुटता का आह्वान किया है ।

‘जनचेतना’ पर हमले के विरोध में गोरखपुर के लेखकों–बुद्धिजीवियों–संस्कृतिकर्मियों ने एक बैठक कर इस घटना के प्रति अपना विरोध जताया । बैठक गोरखपुर में पिछले दो दशकों से हर साल आयोजित होने वाली वार्षिक पुस्तक प्रदर्शनी के पण्डाल में हुई । बैठक में एक विरोध प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया है कि, ‘‘भगत सिंह, राधामोहन गोकुलजी, और राहुल सांकृत्यायन की रचनाओं को नुकसान पहुँचाया जाना और मज़दूर अखबार ‘बिगुल’ की प्रतियों को जलाना हमारी क्रान्तिकारी एवं प्रगतिशील चिन्तन की विरासत पर एक फासीवादी हमला है । यह अभिव्यक्ति की हमारी आज़ादी और जनतंत्र के बुनियादी मूल्यों पर हमला है । हमला करने वाली ये ताकतें वहीं हैं जो तथाकथित हिन्दुत्व के नाम पर हमारे समाज के जनतांत्रिक ढाँचे और विचार एवं रचना–कर्म की बुनियादी आज़ादी पर देश भर में हमले कर रही हैं ।’’

विरोध प्रस्ताव में गोरखपुर एवं देश के सभी जनतंत्रप्रेमी नागरिकों का आह्वान करते हुए कहा गया है कि वे ‘‘हमारे देश की क्रान्तिकारी विरासत और प्रगतिशील जीवन–मूल्यों एवं संस्कृति पर हमला करने वाली इन साम्प्रदायिक फासीवादी शक्तियों के ख़िलाफ़ अपनी एकजुटता तेज करें जिससे समाज को मध्ययुगीन सामन्ती बर्बरता की ओर ले जाने वाली इन शक्तियों के मंसूबों पर रोक लगायी जा सके ।’’

विरोध प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में सुप्रसिद्ध इतिहासकार और गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हरिशंकर श्रीवास्तव, प्रो. परमानन्द श्रीवास्तव, कथाकार मदन मोहन, आलोचक कपिल देव, कवि वेद प्रकाश, जनवादी लेखक संघ के प्रमोद कुमार, डॉ– अनिल राय, माध्यमिक शिक्षक संघ, उ.प्र. के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश पाण्डेय ठकुराई, कार्टूनिस्ट एवं फिल्मकार प्रदीप सुविज्ञ, पीपुल्स फोरम के मनोज कुमार सिंह और पत्रकार अशोक चौधरी सहित अनेक युवा संस्कृतिकर्मी और दिशा छात्र संगठन एवं नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ता मौजूद थे ।

बिगुल पर साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों का यह हमला बेहद स्वभाविक है । देश के मेहनतकश अवाम, प्रगतिशील, क्रान्तिकारी विचारों के प्रति और सच्चाई के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का यह प्रमाण पत्र है । इससे हमारा संकल्प और दृढ़ हुआ है और यह भरोसा भी कि हम सही राह पर हैं । उन्हें बौखलाना ही चाहिए जो सच्चाई का ताप बर्दाश्त नहीं कर सकते । जो चाहते हैं कि अँधेरा कायम रहे । यथास्थिति और जड़ता न टूटे । इन हमलावरों का कुनबा उसी हिटलरी बिरादरी को अपना आदर्श मानता है जिनका मानना है कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो वह सच हो जायेगा । जोर से झूठ का हल्ला मचाकर सच्चाई को दबा दो । लेकिन वे शायद यह नहीं जानते कि सच्चाई को तो खून की नदियों में भी नहीं डुबाया जा सकता ।

‘बिगुल’ टीम अपने पाठकों को विश्वास दिलाती है कि हम ऐसे हंगामों और धमकियों से डरने वाले नहीं हैं । हम अपना अभियान जारी रखेंगे और जोर–शोर से, और अधिक धारदार ढंग से । हम जानते हैं कि बिगुल के सभी पाठक हमारे साथ हैं ।

 

मज़दूर बिगुल, जनवरी 2008


 

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