क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षणमाला – 25 : मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र के सिद्धान्त – खण्ड-2 : अध्याय – 1 (जारी) पूँजी के परिपथ (सर्किट)
उत्पादक पूँजी के चरण का बुनियादी प्रकार्य यही है कि इस चरण में बेशी मूल्य का उत्पादन होता है। पहले चरण, यानी संचरण की पहली कार्रवाई M – C, का बुनियादी प्रकार्य यह है कि इसके ज़रिये ही पूँजीपति के हाथों में वे माल आते हैं, जो अपने नैसर्गिक रूप में उत्पादक उपभोग के लिए अनिवार्य होते हैं और उत्पादक उपभोग में ही जा सकते हैं, वैयक्तिक उपभोग में नहीं। यह उत्पादक पूँजी के चरण की पूर्वपीठिका है और इसके बिना उत्पादक पूँजी का चरण सम्भव नहीं हो सकता। इसीलिए मार्क्स ने कहा था कि पूँजी संचरण के क्षेत्र में पूँजी बनती है (मूलत: और मुख्यत: श्रमशक्ति को ख़रीदकर) लेकिन वह संचरण के क्षेत्र से पूँजी नहीं बनती है (क्योंकि बेशी मूल्य का उत्पादन, यानी पूँजी का मूल औचित्य, उत्पादन की प्रक्रिया में ही पूर्ण होता है, संचरण के क्षेत्र में नहीं)। मार्क्स उत्पादक पूँजी के प्रकार्य पर चर्चा को पूँजी के दूसरे खण्ड में संक्षिप्त रखते हैं क्योंकि पहले खण्ड में इस पर बेहद विस्तार और गहराई से चर्चा हो चुकी है। इसके बाद, वह मुद्रा-पूँजी के परिपथ के तीसरे चरण पर आते हैं, जो पैदा हुए मूल्य और बेशी मूल्य के वास्तवीकरण के प्रश्न को उठाता है। इस चरण के पूर्ण हुए बिना भी पूँजी के परिपथ कुण्डलाकार पथ पर निरन्तर सुगमता से जारी नहीं रह सकता है।