Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

उत्‍तर प्रदेश में आतंक के राज्‍य को क़ानूनी जामा पहनाने के लिए आया काला क़ानून

एक ऐसी संस्था की कल्पना करें जो जब चाहे शक के आधार पर किसी को भी गिरफ़्तार कर सकती है; जिसको गिरफ़्तारी के लिए किसी वारण्ट या मजिस्ट्रेट की अनुमति की ज़रूरत नहीं है; जिसका हर सदस्य हर समय ड्यूटी पर माना जाएगा; जिसका ‘कोई भी सदस्य’ किसी भी समय किसी को भी गिरफ़्तार कर सकता है; जिसके ख़िलाफ़ सरकार की इजाज़त के बिना अदालत भी किसी मामले को संज्ञान में नहीं ले सकती है; जिसकी सेवाएँ कोई निजी संस्था भी ले सकती है। ये बातें सुनकर आपको कुख़्यात फ़ासिस्ट संस्था गेस्टापो की याद आ सकती है, लेकिन हम गेस्टापो की बात नहीं कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ‘उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ़)’ की, जिसका गठन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार करने जा रही है।

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर फ़ैसला, सभी दंगेबाज़ साम्प्रदायिक फ़ासीवादी हुए बरी

लखनऊ की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपने फै़सले में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में नामज़द सभी जीवित 32 आरोपियों को दोषमुक्त करके मुक़दमे से बरी कर दिया है। कोर्ट के फ़ैसले के बाद न्यायपसन्द लोगों के ज़ेहन में नये सवाल ये उभर रहे हैं कि यदि यह कुकर्म पूर्वनिर्धारित-पूर्वनियोजित नहीं था तो फिर आडवाणी के नेतृत्व में संघी गिरोह की रथयात्राएँ किस चीज़ के लिए निकाली जा रही थी?

ज़हरखुरानी गिरोह का प्रचार

अगर आप कंगना-शिवसेना की ‘तू कुत्ता-तू कुत्ता’ से निकल गये हैं, तो ज़रा पढ़िए। ‘ज़हरखुरानी गिरोह’ के बारे में जिसका ही उत्पाद कंगना जैसे लोग हैं। देखिए कि किस तरह ये ज़हरखुरानी गिरोह समाज को पागल ज़ोंबियों में तब्दील करने पर आमादा हैं। ये हमारे चारों ओर दिनोरात अपने ज़हरीले काम में लगे हुए हैं।

कोरोना महामारी और लॉकडाउन: ज़िम्मेदार कौन है? क़ीमत कौन चुका रहा है?

दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ये शब्द लिखे जाने तक 9 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से क़रीब 80 हज़ार मौतें भारत में हुई हैं। दुनिया में अब तक लगभग 3 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 2 करोड़ 10 लाख ठीक हो गये हैं। भारत में कुल संक्रमित लोगों की संख्या अब तक 48 लाख पार कर चुकी है, जिनमें से क़रीब 38 लाख लोग ठीक हुए हैं। हालाँकि जो लोग ठीक हो रहे हैं उनमें से भी बहुतों को कई तरह की गम्भीर परेशानियाँ हो जा रही हैं।

देशव्यापी लॉक डाउन में दिल्ली पुलिस का राजकीय दमन

दंगे भड़काने में जिन लोगों की स्पष्ट भूमिका थी, जिनके भड़काऊ़ बयानों के दर्जनों वीडियो हैं, अख़बारों में छपी ख़बरें हैं, ख़ुद पुलिस के अफ़सरों सहित सैकड़ों चश्मदीद गवाह हैं, उनकी गिरफ़्तारी तो दूर, उनको पूछताछ के लिए बुलाने का नोटिस भी नहीं दिया गया है। कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, रागिनी तिवारी जैसे लोगों की ओर पुलिस की नज़र भी नहीं गयी है। जिनकी छत से हथियार लहराते लोगों के वीडियो हैं उनसे पुलिस पूछने भी नहीं गयी है। जो लोग अनेक वीडियो में हिंसा करते नज़र आ रहे हैं उनकी पहचान करके पूछताछ करना पुलिस के “स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल” में नहीं आता है जिसकी दुहाई दिल्ली पुलिस के आला अफ़सर दे रहे हें।

ट्रम्प की भारत यात्रा : “गुजरात मॉडल” की सच्चाई दीवारों के पीछे छिपाये न छिपेगी

पिछली 24-25 फ़रवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान अहमदाबाद में ट्रम्प के रोड शो का आयोजन किया गया। चूँकि इस रोड शो के रास्ते के कुछ हिस्से में ग़रीबों की झोंपड़पट्टियाँ भी आ रही थीं, इसलिए फटाफट 500 मीटर लम्बी दीवार खड़ कर दी गयी ताकि ट्रम्प को “न्यू इण्डिया” का ही दर्शन हो पाये और असली भारत दीवार के पीछे छिप जाये।

ये झूठ है! झूठ है! झूठ है!

22 दिसंबर को नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली के दौरान कहा था: डिटेंशन सेंटर की अफ़वाहें हैं; यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। 24 दिसम्बर को अमित शाह ने कहा: डिटेंशन सेंटर सतत प्रक्रिया है, अगर कोई विदेशी नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखते हैं। शाह ने कहा: 6 साल में एनआरसी पर कोई बात नहीं हुई। लेकिन संसद में और कई चुनावी रैलियों में अमित शाह ने कहा था: ये मानकर चलिए, एनआरसी आने वाला है।

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की देशभक्ति का सच

आरएसएस और उसकी पार्टी, यानी भाजपा, इस समय देशभक्ति के सबसे बड़े ठेकेदार बने हुए हैं। मोदी सरकार की कारगुज़ारियों के ख़ि‍लाफ़ अगर इस

देश का कोई भी नागरिक आवाज़ उठाता है, तो उसे “देशद्रोही” करार दिया जाता है। मगर ख़ुद इनकी देशभक्ति की सच्‍चाई क्‍या है? पिछले छह वर्षों में मोदी सरकार ने किस तरह से देश की जनता के ख़ि‍लाफ़ काम किया है, और किस तरह से मुटद्यठीभर देशी-विदेशी पूँजीपतियों के हाथों इस देश की सम्‍पदा को बेचा है, उसकी बात तो हम करते ही रहे हैं।

सियाचिन में खड़े जवान भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बटोरने का साधन हैं!

भाजपा समर्थक बात-बात पर सेना के जवानों की दुहाई देते हैं। नरेन्द्र मोदी पुलवामा के शहीद जवानों के नाम पर वोट माँगने में भी नहीं शर्माते। मगर इन्हीं जवानों की हालत क्या है? भारत के नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (सीएजी) की संसद में पेश रिपोर्ट के मुताबिक सियाचिन, लद्दाख, डोकलाम जैसे ऊँचे क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को ज़रूरत के अनुसार कैलोरी वाला भोजन नहीं मिल रहा। उन्हें वहाँ के मौसम से निपटने के लिए जिस तरह के ख़ास कपड़ों की ज़रूरत होती है उसकी ख़रीद में भी काफी देरी हुई।

बच्चों को ज़हरीले प्रचार के नशे में पागल हत्यारे बनाने का संघी प्रोजेक्ट

फ़ासिस्ट प्रचार की ज़हरीली ख़ुराक पर लम्बे समय तक पलकर तैयार हुए दो पगलाये हुए नौजवानों ने दिल्‍ली में शान्ति से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियाँ चलायीं। जगह-जगह ऐसे ही नफ़रत से पागल नौजवानों की भीड़ इकट्ठा करके “गोली मारो सालों को” के नारे लगवाये जा रहे हैं। पुलिस चुपचाप तमाशा देख रही है और फिर उन हमलावरों को बेशर्मी के साथ बचाने में जुट जा रही है।