Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

लक्षद्वीप : देश के सबसे शान्त इलाक़ों में से एक को अशान्त और अस्थिर करने में जुटे संघ और भाजपा

केन्द्र में भाजपा के सत्तासीन होने के बाद आर.एस.एस. हर जगह अपना साम्प्रदायिक एजेण्डा लागू करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहा है। इसी कड़ी में मोदी सरकार का अगला निशाना लक्षद्वीप है। लक्षद्वीप में विकास और बदलाव के नाम पर तानाशाही का नया फ़रमान गढ़ा जा रहा है। फ़ासीवादी एजेण्डे के तहत वहाँ भेजे संघी प्रशासक प्रफुल्ल पटेल लोगों के पारम्परिक खान-पान में दखल देने से लेकर उनके घर-बार, रोज़गार, राजनीतिक और जनवादी अधिकार सबकुछ छीन लेने का मंसूबा पाले हुए हैं।

जो सच-सच बोलेंगे, मारे जायेंगे!

भारत में अप्रैल और मई के महीनों में कोरोना महामारी का जो ताण्डव चला वह देश के इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक के रूप में दर्ज किया जायेगा। इस महामारी को एक त्रासदी बनाने में देश की फ़ासीवादी भाजपा सरकार, उसके मंत्रियों और चेले-चपाटों की घोर मानवद्रोही भूमिका भी इतिहास के पन्नों पर ख़ूनी अक्षरों में लिखी जायेगी। इनकी एक-एक करतूत और अपराध का समय आने पर गिन-गिन कर हिसाब लिया जायेगा, सब याद रखा जायेगा। मौत की इस विभीषिका ने हमसे हमारे प्रियजन हमारे दोस्त छीन लिये और पूरा देश शोक में डूब गया।

असली मुद्दों से ध्यान भटकाने में लगे संघियों के झूठे और ज़हरीले प्रचार का पर्दाफ़ाश करना होगा!

कोरोना की दूसरी लहर ने जो क़त्लेआम मचाया है, यह हम सब जानते हैं। इन्सानों को मौत के आँकड़ों में तब्दील करने में फ़ासीवादी मोदी सरकार ने सबसे बड़ा योगदान दिया। जहाँ एक तरफ़ स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही थी, वहीं दूसरी तरफ़ सरकार चुनाव लड़ने में मस्त थी। कोरोना वायरस से पूरे देश में सरकारी आँकड़ों के हिसाब से अब तक 3.5 लाख मौतें हो चुकी हैं। पर असल आँकड़ा इससे कहीं ज़्यादा है यह जगज़ाहिर है।

हरियाणा के मेवात में साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने में लगे नफ़रत के सौदागर!

आपको पता होगा कि पिछली 16 मई को खेड़ा खलीलपुर, नूह जिला मेवात (हरियाणा) के रहने वाले 27 वर्षीय युवक आसिफ़ खान की तक़रीबन 20 लोगों के समूह के द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी थी। अन्तिम जानकारी के अनुसार पुलिस के द्वारा इस मामले में 16 नामज़द समेत 20 पर एफआईआर दर्ज की गयी है और 8 हत्यारोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 7-8 हत्यारोपी आसिफ़ के गाँव के ही हैं तथा उनका सम्बन्ध भाजपा और संघ परिवार से बताया जा रहा है।

उन्‍हें भरोसा है क‍ि उनका झूठा प्रचार और नफ़रत की अफ़ीम फिर सर चढ़कर बोलेंगे और लोग सबकुछ भूल जायेंगे!

मौत और बर्बादी का ऐसा ताण्डव मचाने के बाद भी ये फ़ासिस्ट ग़लती मानने के बजाय चोरी और सीनाज़ोरी वाले अन्दाज़ में झूठे दावे किये जा रहे हैं। लेकिन वे भी जानते हैं क‍ि इस बार मौतों का जो सैलाब आया था उसने किसी को भी नहीं छोड़ा है। बड़ी संख्या में मोदीभक्त और भाजपा-संघ के समर्थक व कार्यकर्ता भी महामारी और सरकारी बदइन्तज़ामी का शिकार हुए हैं। ऐसे में उनके पास एकमात्र रास्ता है साम्प्रदायिकता के प्रेत को फिर से काम पर लगाना, जिसके वे पुराने माहि‍र हैं। पिछले कुछ दिनों की घटनाएँ आने वाले समय में इनके मंसूबों की ओर इशारा कर रही हैं।

मोदी सरकार के आपराधिक निकम्मेपन की सिर्फ़ दो मिसालें देखिए!

जब देशभर में लाखों मरीज़ ऑक्सीजन के अभाव में तड़प रहे थे, हज़ारों रोज़ मर रहे थे, अस्पतालों तक में ऑक्सीजन ख़त्म होने से मौतें हो रही थीं, तब मोदी सरकार के नाकारापन की यह बानगी देखिए!

नाज़ी-विरोधी योद्धा सोफ़ी शोल की 100वीं जन्मतिथि के अवसर पर

हिटलर और उसके नाज़ी शासन ने लाखों यहूदियों को तो मौत के घाट उतारा ही था, उसके बर्बर शासन के विरुद्ध लड़ने वाले, किसी भी रूप में उसका विरोध करने वाले 77 हज़ार अन्य जर्मन नागरिकों की भी हत्या की थी। इन नाज़ी-विरोधी योद्धाओं को फ़ौजी अदालतों और तथाकथित ‘जन न्यायालयों’ में मुक़दमे के नाटक के बाद गोली से उड़ा दिया गया या मध्ययुगीन बर्बर गिलोतीन से गर्दन काटकर मौत की सज़ा दी गयी। इन्हीं में से एक नाम था सोफ़ी शोल का जिसे 22 साल की उम्र में गिलोतीन से मार दिया दिया। उसके साथ उसके भाई हान्स शोल और साथी क्रिस्टोफ़ प्रोब्स्ट को भी गिलोतीन पर चढ़ा दिया गया।

पाँच राज्यों में सम्पन्न चुनावों के नतीजे और सर्वहारा वर्गीय नज़रिया

मार्च-अप्रैल 2021 में बंगाल सहित चार राज्यों असम, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी केन्द्रशासित प्रदेश में सम्पन्न विधानसभा चुनावों के परिणाम हाल में सामने आये हैं। पश्चिम बंगाल में सत्ता फिर से तृणमूल कांग्रेस के हाथ में आयी है, जबकि यहाँ भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। असम में भी एक बार फिर से भाजपा गठबन्धन की सरकार बनने जा रही है। तमिलनाडु में कांग्रेस के साथ मिलकर द्रमुक गठबन्धन चुनाव में विजयी हुआ है और भाजपा के सहयोगी अन्नाद्रमुक गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा है।

इस देशव्यापी जनसंहार के लिए फ़ासिस्ट मोदी सरकार की आपराधिक लापरवाही ज़िम्मेदार है!

कोरोना महामारी की दूसरी लहर पूरे देश में क़हर बरपा कर रही है। बड़ी संख्या में लोग ऑक्सीजन जैसी बुनियादी ज़रूरत के अभाव, अस्पतालों में बेडों की कमी, जीवन रक्षक दवाओं की अनुपलब्धता व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के कारण मौत का शिकार हो रहे हैं। अस्पतालों के बाहर लोग रोते-बिलखते असहायता के साथ अपनों को मरता देख रहे हैं। कोरोना मामलों की प्रतिदिन संख्या इतनी अधिक है कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के कन्धे भी इसके बोझ तले दब गये हैं।

उत्तर प्रदेश में “विकास” और रोज़गार के योगी के दावे बनाम असलियत

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार केन्द्र की मोदी सरकार के नक़्शे क़दम पर चलती नज़र आ रही है। ‘चोर मचाये शोर’ की बात चरितार्थ होते दिख रही है। बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लगाकर, सारे प्रमुख अख़बारों में विज्ञापन देकर सरकार चार साल के कारनामों को हर जनता तक पहुँचा देना चाहती है। 2017 के चुनावी घोषणापत्र को देखने पर ऐसा लगता है कि अब विकास की गंगा यूपी में हिलोरे मारेगी। एक दरबारी ने तो योगी को भगवा समाजवादी तक घोषित कर दिया।