Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

फ़ासीवादी सरकार द्वारा प्रायोजित दिल्ली दंगों का एक साल

पिछले साल देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी दिल्ली क्षेत्र में 23 फ़रवरी से 25 फ़रवरी को जो हिंसा हुई, उसे मीडिया द्वारा ‘दिल्ली दंगा-2020’ का नाम दिया गया। इस हिंसा में तक़रीबन 55 लोगों की मौत हुई, 200 से अधिक लोग घायल हुए और अरबों की सम्पत्ति का नुक़सान हुआ। जिन दिल्ली दंगों को गोदी मीडिया द्वारा हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच हुई हिंसा व दंगा कहा जा रहा है, वे असल में दिल्ली में राज्य की शह पर संघ-भाजपा द्वारा प्रायोजित साम्प्रदायिक हिंसा थी।

मोदी सरकार की अय्याशी और भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान : सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

कोरोना महामारी के इस दौर में जब लोगों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं हैं, स्वास्थ्य सेवाएँ लचर हैं, करोड़ों लोग रोज़गार खो चुके हैं और भारी आबादी दो वक़्त की रोटी के लिए मुहताज है, वहीं ख़ुद को देश का प्रधानसेवक कहने वाले प्रधानमंत्री ने 20 हजार करोड़ रूपये का एक ऐसा प्रोजेक्ट लाँच किया है जिससे जनता को कुछ नहीं मिलने वाला।

कोरोना वैक्सीन के नाम पर जारी है बेशर्म राजनीति

मोदी सरकार देश में हर उपलब्धि का सेहरा ख़ुद के सिर बाँधने और हर विफलता का ठीकरा विपक्षी दलों पर फोड़ने के लिए कुख्यात है। कोरोना महामारी के दौर में भी सरकार का ज़ोर इस महामारी पर क़ाबू पाने की बजाय ख़ुद के लिए वाहवाही लूटने पर रहा है। जिन लोगों की राजनीतिक याददाश्त कमज़ोर नहीं है उन्हें याद होगा कि किस प्रकार सरकार ने इण्डियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के ज़रिये वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों पर दबाव डाला था कि 15 अगस्त तक कोरोना की वैक्सीन तैयार हो जानी चाहिए ताकि प्रधान सेवक महोदय लाल किले से दहाड़कर वैक्सीन की घोषणा कर सकें और ख़ुद की पीठ थपथपा सकें।

“लव जिहाद” का झूठ संघ परिवार के दुष्प्रचार का हथियार है!

देश के पाँच राज्यों में तथाकथित लव जिहाद के विरोध के नाम पर क़ानून बनाने के ऐलान हो चुके हैं। जिन पाँच राज्यों में “लव जिहाद” के नाम पर क़ानून बनाने को लेकर देश की सियासत गरमायी हुई है वे हैं: उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, असम और कर्नाटक। कहने की ज़रूरत नहीं है कि उपरोक्त पाँचों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की ख़ुद की या इसके गठबन्धन से बनी सरकारें क़ायम हैं। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार तो नया क़ानून ला भी चुकी है लेकिन इसने बड़े ही शातिराना ढंग से इसका नाम ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध क़ानून – 2020’ रखा है जिसमें लव जिहाद शब्द का कोई ज़िक्र तक नहीं है।

भारत-अमेरिका रक्षा समझौता देश की सम्प्रभुता और सामरिक आत्मनिर्णय से समझौता है!

निशाना लगाते समय हमें अमेरिकी उपग्रह और उसके सैन्य संचालकों का सहारा लेना होगा और उन्हीं के माध्यम से भारत को एन्क्रिप्टेड डेटा प्राप्त होगा। यानी अगर भारत को किसी पर निशाना लगाना है तो उसके लिए भी अमेरिका की सहमति आवश्यक होगी। कुल मिलाकर भारतीय सैन्य तंत्र का ढाँचा और युद्ध सामग्री अमेरिका की निगरानी में चली जायेगी। और ये बिल्कुल सम्भव है कि अमेरिका भारत के किसी सैन्य निर्णय को आसानी से प्रभावित कर सके। यह किसी भी सूरत में एक सम्प्रभु राष्ट्र के लिए और उसके सामरिक आत्मनिर्णय के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।

मज़दूर वर्गीय काडर-आधारित आन्दोलन के नेतृत्व में फ़ासीवाद का जनप्रतिरोध खड़ा करना होगा

ये समझना ज़रूरी है कि “फ़ासीवाद” महज़ दक्षिणपन्थी ताक़तों या अपने अन्य विरोधियों के लिए विशेषण या गाली के रूप में इस्तेमाल होने वाली भड़ास वाली चलताऊ शब्दावली नहीं है, बल्कि राजनीतिक अर्थशास्त्र में इस्तेमाल होने वाली एक क्लासिकीय शब्दावली है। “फ़ासीवाद” का अर्थ है वित्तीय पूँजी की निरंकुश तानाशाही, उसका काडर आधारित सामाजिक आन्दोलन, व जिसका आधार मुख्यतः टटपुँजिया वर्ग और मध्यवर्ग के बीच होता है, व इसके अलावा मज़दूर वर्ग के एक छोटे से हिस्से के बीच भी मौजूद होता है।

जनता की भुखमरी और बेरोज़गारी के बीच प्रधानमंत्री की अय्याशियाँ

आज देश की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट जारी है, वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत नेपाल, म्यामार और श्रीलंका जैसे देशों से भी पीछे जा चुका है, देश में बेरोज़गारी की हालत पिछले 46 सालों में सबसे बुरी है, लोगों के रहे-सहे रोज़गार भी छिन गये हैं, महँगाई आसमान छू रही है, मेहनत-मज़दूरी करने वाले लोग मुश्किल से गुज़ारा कर रहे हैं। मगर ख़ुद को प्रधानसेवक कहने वाले हमारे प्रधानमंत्री महोदय बड़ी ही बेशर्मी के साथ आये दिन ऐय्याशियों के नये-नये कीर्तिमान रच रहे हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना की असलियत : जुमले ले लो, थोक के भाव जुमले…

प्रधानमंत्री आवास योजना के पाँच साल पूरे हो चुके हैं। इस योजना की शुरुआत साल 2015 में की गयी थी और इसके तहत 2022 तक देश में दो करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया था। कुछ समय पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री ने दावा किया कि इस योजना के तहत 12 लाख नये घर बनेंगे और 18,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन होगा ताकि हाउसिंग और रियल एस्टेट सेक्टर में तेज़ी आये और लाखों बेरोज़गारों को रोज़गार मिल जाये।

अब गुजरात मॉडल से भी बर्बर यूपी मॉडल खड़ा कर रहे योगी आदित्यनाथ

नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अरबों रुपये ख़र्च करके जो मुहिम चलायी गयी थी, उसके केन्द्र में था “गुजरात मॉडल” का अन्धाधुन्ध प्रचार। अलग-अलग लोगों के लिए इसके अलग-अलग मायने थे। मीडिया तंत्र के मालिकों के पुरज़ोर समर्थन और आरएसएस व भाजपा के अपने प्रचार तंत्र के सहारे मोदी के शासन में गुजरात के चौतरफ़ा “विकास” का एक मिथक खड़ा किया। अब सभी जान चुके हैं कि यह विकास वैसा ही था जैसा विकास पूरा देश पिछले 6 साल से भुगत रहा है।

बिहार: चुनावी रणनीति तक सीमित रहकर फ़ासीवाद को हराया नहीं जा सकता!

बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन जीत गया है। महागठबन्धन बहुमत से क़रीब 12 सीटें दूर रह गया।…कांग्रेस को पिछली बार की तुलना में 8 सीटों का नुक़सान उठाना पड़ा। वहीं संशोधनवादी पार्टियों विशेषकर माकपा, भाकपा और भाकपा (माले) लिबरेशन को इन चुनावों में काफ़ी फ़ायदा पहुँचा है।…इनमें भी ख़ास तौर पर भाकपा (माले) लिबरेशन को सबसे अधिक फ़ायदा पहुँचा है। ज़ाहिर है, इसके कारण चुनावों में महागठबन्धन की हार के बावजूद, भाकपा (माले) लिबरेशन के कार्यकर्ताओं में काफ़ी ख़ुशी का माहौल है, मानो फ़ासीवाद को फ़तह कर लिया गया हो! इन नतीजों का बिहार के मेहनतकश व मज़दूर वर्ग के लिए क्या महत्व है? यह समझना आवश्यक है क्योंकि उसके बिना भविष्य की भी कोई योजना व रणनीति नहीं बनायी जा सकती है।