Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

जहाँगीरपुरी में हिंसा और मेहनतकशों के घरों पर सरकारी बुलडोज़र फ़ासिस्ट भाजपा सरकार द्वारा देशभर में जारी साम्प्रदायिक षड्यंत्र की एक और कड़ी है

देशभर में बीते दिनों एक सुविचारित फ़ासीवादी मॉडल के तहत संघी धार्मिक उन्माद फैलाने के काम में जुटे हुए हैं। एक तरफ़ जब महँगाई आसमान छू रही है, बेरोज़गारी चरम पर है, जनता के ऊपर दुख तकलीफ़ों का पहाड़ टूटा हुआ है, तभी लोगों को बाँटने के लिए एक मुहिम के तहत निरन्तर संघी फ़ासीवादी गतिविधि जारी है। पिछले दिनों विक्रम संवत् नववर्ष, रामनवमी से लेकर हनुमान जयन्ती के मौक़े को दंगा भड़काने के मौक़े के तौर पर भुनाया गया। यह मोदी के “अवसर को आपदा में बदलने” की तरकीब का एक हिस्सा है।

मोदी सरकार के निकम्मेपन और लापरवाही ने भारत में 47 लाख लोगों की जान ली

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रपट के अनुसार कोविड महामारी के कारण दुनियाभर में क़रीब डेढ़ करोड़ लोगों की मौत हुई। इनमें से एक तिहाई, यानी 47.4 लाख लोग अकेले भारत में मरे। भारत के आम लोग अभी वह दिल तोड़ देने वाला दृश्य भूले नहीं हैं, जिसमें नदियों में गुमनाम लाशें बह रही थीं, कुत्ते और सियार इन लाशों को खा रहे थे और श्मशान घाटों व विद्युत शवदाहगृहों के बाहर लोग मरने वाले अपने प्रियजनों की लाशें लिये लाइनों में खड़े थे।

करौली में साम्प्रदायिक हिंसा आरएसएस-भाजपा की सुनियोजित साज़िश

विगत 2 अप्रैल को विक्रम संवत नववर्ष के अवसर पर विहिप व संघ परिवार के द्वारा पूरे देश में अनेक स्थानों पर भड़काऊ रैलियों व जुलूसों का आयोजन किया गया जिनका मक़सद था आम जनता को धर्म के आधार पर बाँटकर वोटों के ध्रुवीकरण की ज़मीन तैयार करना। राजस्थान के करौली शहर में भी संघ परिवार व विहिप के द्वारा बाइक रैली निकाली गयी। यह रैली जब हटवाड़ाबाज़ार में मुस्लिम इलाक़े में पहुँची तो डीजे पर कानफाडू आवाज़ में मुस्लिम-विरोधी गाने बजाये जा रहे थे व मुस्लिम-विरोधी नारे लगाये जा रहे थे। इस उकसावे के कारण आक्रोशित कुछ मुस्लिम लोगों ने बाइक रैली पर पथराव किया। बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा भड़की।

उपराष्ट्रपति महोदय, हम बताते हैं कि “शिक्षा के भगवाकरण में ग़लत क्या है”!

हाल ही में देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि शिक्षा के भगवाकरण में बुरा क्या है और लोगों को अपनी औपनिवेशिक मानसिकता छोड़कर शिक्षा के भगवाकरण को स्वीकार कर लेना चाहिए। लेकिन सच्चाई तो यह है कि सारे भगवाधारी उपनिवेशवादियों के चरण धो-धोकर सबसे निष्ठा के साथ पी रहे थे और इनके नेता और विचारक अंग्रेज़ों से क्रान्तिकारियों के बारे में मुख़बिरी कर रहे थे और माफ़ीनामे लिख रहे थे। इसलिए अगर औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ने की ही बात है, तो साथ में भगवाकरण भी छोड़ना पड़ेगा क्योंकि भगवाकरण करने वाली ताक़तें तो अंग्रेज़ों की गोद में बैठी हुई थीं और उन्होंने आज़ादी की लड़ाई तक में अंग्रेज़ों के एजेण्टों का ही काम किया था।

मज़दूर और मेहनतकश दोस्तो! फ़ासिस्ट मोदी सरकार की साज़िश से सावधान!

चार राज्यों में विधानसभा चुनावों के समाप्त होते ही मोदी सरकार ने क़रीब दस दिनों तक हर रोज़ पेट्रोल की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी की। अब हालत यह है कि पेट्रोल की क़ीमत 100 का आँकड़ा पार कर चुकी है और डीज़ल की क़ीमत 100 के आँकड़े को छूने के क़रीब जा रही है। हम मज़दूर-मेहनतकश जानते हैं कि पेट्रोलियम उत्पादों की क़ीमत बढ़ने का मतलब है हर चीज़ की क़ीमत बढ़ना। इससे न सिर्फ़ पेट्रोल, डीज़ल, सीएनजी और रसोई गैस की क़ीमतों में सीधे बढ़ोत्तरी होती है, बल्कि लगभग हर सामान की क़ीमत में बढ़ोत्तरी होती है।

मण्डल-कमण्डल की राजनीति एक ही सिक्के के दो पहलू : त्रासदी से प्रहसन तक

90 के दशक के उपरान्त सामाजिक न्याय व हिन्दुत्व सम्भवतः भारतीय चुनावी राजनीति में दो अहम शब्द बन चुके हैं। हर चुनाव में इन्हें ज़रूर उछाला जाता है। यह दीगर बात है कि हाल के एक दशक के दौरान कमण्डल या यूँ कहें कि उग्र हिन्दुत्ववादी राजनीति का बोलबाला रहा है। मौजूदा यूपी चुनाव में एक चुनावी सभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह चुनाव 80 बनाम 20 की लड़ाई है, जिसका तात्पर्य बनता है यह बहुसंख्यक हिन्दू बनाम मुस्लिमों की लड़ाई है।

‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के बहाने मोदी ने की पूँजीपतियों के मन की बात

मोदी को वैसे भी अपने अधिकारों की बात करने वाले और जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले लोग फूटी आँख नहीं सुहाते। कुछ समय पहले मोदी ने ऐसे लोगों को ‘आन्दोलनजीवी’ और परजीवी तक कहा था। मानवाधिकारों से तो मोदी और उनकी पार्टी का छत्तीस का आँकड़ा रहा है। पहले ही देश के तमाम सम्मानित मानवाधिकार कर्मी फ़र्ज़ी आरोपों में सालों से जेलों में सड़ रहे हैं। अपने इस ताज़ा बयान से मोदी ने साफ़ इशारा किया है कि अधिकारों की बात करना ही अपने आप में राष्ट्र-विरोधी काम समझा जायेगा क्योंकि इससे राष्ट्र कमज़ोर होता है।

लोगों को बेवक़ूफ़ बनाने के लिए बहिष्कार के ढिंढोरे के बीच चीन के साथ कारोबार का नया रिकॉर्ड!

मोदी सरकार के अन्धभक्त चीन के विरोध के नाम पर चीनी खिलौनों और झालरों के बहिकार का अभियान चीनी मोबाइल फ़ोन से सोशल मीडिया पर चलाते रहते हैं! लेकिन मोदी के “ख़ून में व्यापार है”, इसलिए मोदी सरकार चीन के साथ धुआँधार कारोबार बढ़ा रही है। कहने की ज़रूरत नहीं कि इसमें चीन से भारत में होने वाले आयात का हिस्सा ही सबसे बड़ा है। चीन का भारत में बड़े पैमाने पर पूँजी निवेश भी जारी है।

कोरोना से हुई मौतों के आँकड़े छिपाने में जुटी मोदी सरकार के झूठों की खुलती पोल

मोदी सरकार के हिसाब से भारत में 11 जनवरी 2022 तक कोरोना के 3.59 करोड़ मामले और 4.84 लाख मौतें दर्ज की गयी हैं। लेकिन कई नये अध्ययनों और रिपोर्टों ने इस झूठ की कलई खोलकर रख दी गयी है। विश्व स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘साइंस’ में 6 जनवरी को ‘भारत में कोविड से मौतें : राष्ट्रीय सर्वे का डेटा और अस्पतालों में हुई मौतें’ शीर्षक से प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक़ कोरोना के दौरान 32 लाख लोगों की मौत हुई, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज मौतों से 7 गुना ज़्यादा है। एक अन्य प्रतिठित अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका ‘नेचर’ के अनुसार भारत में कोविड से क़रीब 50 लाख, यानी सरकारी आँकड़े से दस गुना ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं।

हरिद्वार धर्म संसद में खुलेआम जनसंहार का आह्वान

पिछले 17 से 19 दिसम्बर तक हरिद्वार में आयोजित “धर्म संसद” के मंच से हिन्दुत्ववादी फ़ासिस्टों द्वारा खुलेआम मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण दिये गये। इन भाषणों में सीधे-सीधे मुसलमानों का क़त्ल कर देने की बात कही गयी। इन भाषणों को देने वाले हिन्दुत्ववादी कट्टरपन्थी संगठन विश्व हिन्दू परिषद्, आरएसएस और भाजपा के नेताओं के साथ-साथ बड़े-बड़े धर्मगुरु थे, जिनके भक्तों की संख्या लाखों में है। भड़काऊ भाषण देने वालों में मुख्य रूप से हिन्दू महासभा की महामंत्री अन्नपूर्णा माँ, धर्मदास महराज आनन्द स्वरूप महराज, सागर सिन्धुराज महराज जैसे लोग थे।