Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

मण्डल-कमण्डल की राजनीति एक ही सिक्के के दो पहलू : त्रासदी से प्रहसन तक

90 के दशक के उपरान्त सामाजिक न्याय व हिन्दुत्व सम्भवतः भारतीय चुनावी राजनीति में दो अहम शब्द बन चुके हैं। हर चुनाव में इन्हें ज़रूर उछाला जाता है। यह दीगर बात है कि हाल के एक दशक के दौरान कमण्डल या यूँ कहें कि उग्र हिन्दुत्ववादी राजनीति का बोलबाला रहा है। मौजूदा यूपी चुनाव में एक चुनावी सभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह चुनाव 80 बनाम 20 की लड़ाई है, जिसका तात्पर्य बनता है यह बहुसंख्यक हिन्दू बनाम मुस्लिमों की लड़ाई है।

‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के बहाने मोदी ने की पूँजीपतियों के मन की बात

मोदी को वैसे भी अपने अधिकारों की बात करने वाले और जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले लोग फूटी आँख नहीं सुहाते। कुछ समय पहले मोदी ने ऐसे लोगों को ‘आन्दोलनजीवी’ और परजीवी तक कहा था। मानवाधिकारों से तो मोदी और उनकी पार्टी का छत्तीस का आँकड़ा रहा है। पहले ही देश के तमाम सम्मानित मानवाधिकार कर्मी फ़र्ज़ी आरोपों में सालों से जेलों में सड़ रहे हैं। अपने इस ताज़ा बयान से मोदी ने साफ़ इशारा किया है कि अधिकारों की बात करना ही अपने आप में राष्ट्र-विरोधी काम समझा जायेगा क्योंकि इससे राष्ट्र कमज़ोर होता है।

लोगों को बेवक़ूफ़ बनाने के लिए बहिष्कार के ढिंढोरे के बीच चीन के साथ कारोबार का नया रिकॉर्ड!

मोदी सरकार के अन्धभक्त चीन के विरोध के नाम पर चीनी खिलौनों और झालरों के बहिकार का अभियान चीनी मोबाइल फ़ोन से सोशल मीडिया पर चलाते रहते हैं! लेकिन मोदी के “ख़ून में व्यापार है”, इसलिए मोदी सरकार चीन के साथ धुआँधार कारोबार बढ़ा रही है। कहने की ज़रूरत नहीं कि इसमें चीन से भारत में होने वाले आयात का हिस्सा ही सबसे बड़ा है। चीन का भारत में बड़े पैमाने पर पूँजी निवेश भी जारी है।

कोरोना से हुई मौतों के आँकड़े छिपाने में जुटी मोदी सरकार के झूठों की खुलती पोल

मोदी सरकार के हिसाब से भारत में 11 जनवरी 2022 तक कोरोना के 3.59 करोड़ मामले और 4.84 लाख मौतें दर्ज की गयी हैं। लेकिन कई नये अध्ययनों और रिपोर्टों ने इस झूठ की कलई खोलकर रख दी गयी है। विश्व स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘साइंस’ में 6 जनवरी को ‘भारत में कोविड से मौतें : राष्ट्रीय सर्वे का डेटा और अस्पतालों में हुई मौतें’ शीर्षक से प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक़ कोरोना के दौरान 32 लाख लोगों की मौत हुई, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज मौतों से 7 गुना ज़्यादा है। एक अन्य प्रतिठित अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका ‘नेचर’ के अनुसार भारत में कोविड से क़रीब 50 लाख, यानी सरकारी आँकड़े से दस गुना ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं।

हरिद्वार धर्म संसद में खुलेआम जनसंहार का आह्वान

पिछले 17 से 19 दिसम्बर तक हरिद्वार में आयोजित “धर्म संसद” के मंच से हिन्दुत्ववादी फ़ासिस्टों द्वारा खुलेआम मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण दिये गये। इन भाषणों में सीधे-सीधे मुसलमानों का क़त्ल कर देने की बात कही गयी। इन भाषणों को देने वाले हिन्दुत्ववादी कट्टरपन्थी संगठन विश्व हिन्दू परिषद्, आरएसएस और भाजपा के नेताओं के साथ-साथ बड़े-बड़े धर्मगुरु थे, जिनके भक्तों की संख्या लाखों में है। भड़काऊ भाषण देने वालों में मुख्य रूप से हिन्दू महासभा की महामंत्री अन्नपूर्णा माँ, धर्मदास महराज आनन्द स्वरूप महराज, सागर सिन्धुराज महराज जैसे लोग थे।

बुल्ली बाई और सुल्ली डील इस सड़ते हुए समाज में फैले ज़हर के लक्षण हैं

इस साल की शुरुआत में जहाँ एक ओर देशभर में लोग नये साल का जश्न मना रहे थे, वहीं देश में दूसरी ओर मानवता को शर्मसार कर देने वाली बेहद घिनौनी घटना घटी। सोशल मीडिया पर ‘बुल्ली बाई’ नाम के एक ऐप के ज़रिए कई मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाते हुए इस ऐप पर उनकी बोली लगायी गयी। उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें भद्दे रूप में पेश किया गया। इस पूरे प्रकरण में उन महिलाओं को निशाना बनाया गया, जो राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपना पक्ष रखती हैं, जो मौजूदा समाज में अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती हैं।

पंजाब में धार्मिक चिह्नों की “बेअदबी” के नाम पर मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाएँ

पंजाब में सिख धार्मिक चिह्नों की तथाकथित बेअदबी और “बेअदबी” करने वालों की धार्मिक कट्टरपन्थियों द्वारा सरेआम हत्याओं के एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में घटी एक वारदात में स्वर्ण मन्दिर, अमृतसर में एक युवक की इसी “बेअदबी” के नाम पर उन्मादी भीड़ द्वारा हत्या कर दी गयी। एक अन्य घटना में कपूरथला में सिख धर्म के प्रतीक निशान साहिब का “अपमान” करने के नाम पर एक और युवक की कट्टरपन्थियों द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी।

नमाज़ को लेकर संघियों का उत्पात : फ़ासीवादी ताक़तों द्वारा जनता को बाँटने की नयी साज़िश!

बीते दिनों नोएडा के सेक्टर-65 के एक पार्क में कुछ लोगों के नमाज़ पढ़ने पर त्रिभुवन प्रताप नामक एक व्यक्ति ने आपत्ति जताते हुए इसकी फ़ोटो यूपी पुलिस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग कर ट्वीट कर दिया। इसके बाद पुलिस ने वहाँ पहुँचकर नमाज़ को बन्द करा दिया। ग़ौरतलब है कि यहाँ नमाज़ के लिए आने वाले लोग आस-पास के कारख़ानों में काम करने वाले मज़दूर हैं। ज़ाहिर है, इन मज़दूरों के पास न तो इतने संसाधन है कि वे कहीं दूर मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ें, न ही कारख़ानों में उन्हें इतना वक़्त दिया जाता है कि वे इबादत के लिए मस्जिद तक जा सकें। इसलिए काम के दौरान कारख़ाने से थोड़ी देर छुट्टी लेकर ये लोग पास के पार्क में नमाज़ पढ़ लेते हैं।

उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के आगामी विधान सभा चुनाव; देश में अन्धराष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता के गहराते बादल

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव मार्च 2022 में होने जा रहे हैं। इसके आस-पास ही उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा विधान सभा के भी चुनाव होने जा रहे हैं। देश की आबो-हवा में अन्धराष्ट्रवाद और धार्मिक साम्प्रदायिकता के गाढ़े रंग घुलने लगे हैं। आतंकवादी हमले, सीमा पर गोलीबारी और देश में जगह-जगह दंगे इन चुनावों की सूचना दे रहे हैं। वैसे तो फ़ासीवादी मोदी सरकार और उसके सबसे मुस्तैद सिपहसालार अमित शाह, अन्धराष्ट्रवाद और धार्मिक साम्प्रदायिकता के रंग कभी फीके नहीं पड़ने देते लेकिन चुनावों के दौरान तो इन पर गाढ़ा वार्निश चढ़ाया जाता है।

पूँजीवाद का हित साधने के लिए देश में बढ़ती फ़ासिस्टों की गुण्डागर्दी

देश की अर्थव्‍यवस्‍था में छायी मन्‍दी, आसमान छूती महँगाई और बेरोज़गारी के गहराते काले बादल सड़कों पर जनाक्रोश के रूप में फूट पड़ने के संकेत दे रहे हैं। जगह-जगह पर शिक्षा, रोज़गार और वेतन बढ़ाने के लिए मज़दूर-नौजवान-छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। हालाँकि गोदी मीडिया इन प्रदर्शनों को दिखायेगी नहीं लेकिन मोदी सरकार सतह के नीचे बढ़ते इन असन्‍तोषों को भली-भाँति समझ रही है। इसलिए हर प्रकार के प्रतिरोध का बर्बर दमन कर रही है। साथ ही पेगासस जैसे ख़ुफ़िया तंत्रों का सहारा लेकर भविष्‍य में प्रतिरोधों के दमन की पूरी तैयारी भी कर रही है।