ओरियंट क्राफ्ट की घटना गुड़गाँव के मज़दूरों में इकट्ठा हो रहे ज़बर्दस्त आक्रोश की एक और बानगी है
पिछले कुछ समय से गुडगाँव में अलग-अलग कारख़ानों में भड़के मज़दूरों के गुस्से को देखकर आसानी से अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाली मज़दूर आबादी ज़बरदस्त शोषण का शिकार है। सिर्फ़ ठेका मज़दूर ही शोषण का शिकार नहीं हैं, बल्कि कई कारख़ानों में स्थायी नौकरी वाले मज़दूरों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। मारुति, पावरट्रेन, हीरो होण्डा, मुंजाल शोवा आदि इसके उदाहरण है। मगर नेतृत्व और किसी क्रान्तिकारी विकल्प के अभाव में शोषण और उत्पीड़न से बेहाल इस मज़दूर आबादी का आक्रोश अराजक ढंग से इस प्रकार की घटनाओं के रूप में सड़कों पर फूट पड़ता है। इसके बाद पुलिस और मैनेजमेण्ट का दमन चक्र चलता है जिसका मुकाबला बिखरे हुए मज़दूर नहीं कर पाते और गुस्से का उबाल फिर शान्त हो जाता है।