एलेक्सी की हत्या सिर्फ एक चिंगारी थी जिसने पूरे ग्रीस में मेहनतकश और छात्र-युवा आबादी के बीच सुलग रहे गुस्से को बाहर निकलने का रास्ता दे दिया। ग्रीस में सामाजिक असन्तोष पैदा होने के संकेत पहले ही मिलने लगे थे। नवउदारवादी नीतियाँ लागू करने के परिणामस्वरूप आबादी का बड़ा हिस्सा खराब जीवन स्तर झेलने पर मजबूर है। बेरोज़गारी, कम तनख़्वाहें, काम करने की ख़राब स्थितियाँ, बढ़ती महगाँई, पुलिस का दमनकारी रवैया और भ्रष्ट सरकारों के बीच आम जनता का जीवन बद से बदहाल होता जा रहा है। देश की इन स्थितियों से सबसे ज़्यादा निराशा युवावर्ग के अन्दर पैठ गयी है। वास्तव में युवाओं को अपने भविष्य की अन्धकारमय तस्वीर ही नज़र आ रही है। मन्दी के दौर ने स्थिति को और बदतर बना दिया है। हालात ये हैं कि ग्रीस, फ्रांस, इटली, स्पेन, पोलैण्ड, तुर्की आदि कई यूरोपीय देशों में बेरोज़गारी लगातार बढ़ रही है और मेहनतकश आबादी का जीवन ख़राब होता जा रहा है। फ्रांस में 2005 में हुए दंगे ऐसे ही हालात की उपज थे। यही वजह रही कि ग्रीस की घटना ने सभी यूरोपीय राष्ट्राध्यक्षों के चेहरों पर चिन्ता की लकीरें पैदा कर दी हैं।