(मज़दूर बिगुल के अक्टूबर 2021 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ़ फ़ाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-ख़बरों आदि को यूनिकोड फ़ॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)

सम्पादकीय

लखीमपुर खीरी हत्‍याकाण्‍ड फ़ासिस्ट योगी-मोदी सरकार का बेनक़ाब होता चेहरा! फ़ासिस्टों की ख़ासियत है किसी तरह के विरोध को बर्दाश्‍त न करना

फ़ासीवाद / साम्प्रदायिकता

देश के आम मेहनतकश लोगों को साम्प्रदायिक अन्धराष्ट्रवाद में बहाने के लिए इतिहास को विकृत करने की संघी साज़िशें / अमित
पूँजीवाद का हित साधने के लिए देश में बढ़ती फ़ासिस्टों की गुण्डागर्दी / लता
स्वतंत्र पत्रकारिता पर हो रहे फ़ासीवादी हमलों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाओ! / भारत
केजरीवाल की हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद की राजनीति / भारत

मज़दूर आन्दोलन / श्रम क़ानून

भारत में ट्रेड यूनियन अधिकार सम्बन्धी क़ानून: एक मज़दूर वर्गीय समीक्षा / शिवानी
वज़ीरपुर के मज़दूर आन्‍दोलन को पुन: संगठित करने की चुनौतियाँ / सनी

स्त्री-विरोधी अपराध

कोरोना काल में भी बदस्तूर जारी है औरतों के ख़िलाफ़ दरिन्‍दगी / भार्गवी

जाति प्रश्न

ओबीसी आरक्षण बिल, जाति आधारित जनगणना और आरक्षण पर अस्मितावादी राजनीति के निहितार्थ / अरविन्द

अन्तर्राष्ट्रीय

तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के बदतर हालात / आनन्द

ग़रीबों-मेहनतकशों की जीवन स्थितियाँ

अम्बेडकरनगर की जर्जर चिकित्सा व्यवस्था हर साल बनती है सैकड़ों मौतों की वजह
कोरोना काल में मज़दूरों की जीवनस्थिति / भारत

शिक्षा व रोज़गार

राजस्‍थान में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट, बेरोज़गार युवाओं के साथ छलावा / रवि

पूँजीवादी न्याय व्यवस्था

“माननीयों” के मुक़दमे साल-दर-साल लम्बित क्‍यों? / गीतिका

कला-साहित्य

कहानी – स्याह और सुर्ख़ (भाग एक) / अन्वेषक

आपस की बात


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments