नये संकल्पों और नयी शुरुआतों के साथ मना शहीदेआजम भगतसिंह का जन्मदिवस

बादली में ‘शहीद सप्ताह’ का आयोजन तथा ‘शहीद पुस्तकालय’ का उद्धाटन

शहीद भगतसिंह के 102वें जन्मदिवस (28 सितम्बर) के अवसर पर नौजवान भारत सभा तथा बिगुल मजदूर दस्ता की बादली इकाई ने 21-28 सितम्बर तक ‘शहीद सप्ताह’ मनाया। 21 सितम्बर को सुबह 7 बजे से साइकिल रैली निकाली गयी तथा शाहाबाद डेयरी की गलियों में नारे लगाते हुए, नुक्कड़ सभाएँ करते हुए लोगों को शहीदों के सपनों से परिचित करवाया गया। ‘भगतसिंह को याद करेंगे, जुल्म नहीं बर्दाश्त करेंगे’, ‘भगतसिंह ने दी आवाज, बदलो-बदलो देश समाज’, ‘भगतसिंह का ख्वाब, इलेक्शन नहीं इन्कलाब’ आदि नारों से पूरा माहौल सरगर्म था। शाहाबाद डेयरी इलाके के कुछ मजदूर साथी भी रैली में शामिल हो गये। इसके बाद कार्यकर्ता रैली के साथ राजा विहार, सूरजपार्क तथा आस-पास के इलाकों में पहुँचे तथा मजदूरों व नौजवानों का आह्नान किया कि वे लोग भगतसिंह के बताये रास्ते पर चलकर ऐसा समाज बनाने के लिए लड़ने का संकल्प लें, जिसका सपना लेकर भगतसिंह और उनके साथी कुर्बान हो गये।

27 सितम्बर को ‘नौजवान भारत सभा’ की ओर से राजा विहार मेेंं ‘शहीद पुस्तकालय’ की शुरुआत की गयी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सामाजिक कार्यकर्ता मीनाक्षी ने शहीद भगतसिंह की फोटो पर मार्ल्यापण करके की। इसके बाद नौजवान भारत सभा की टीम ने ‘शहीदों के लिए…’ गीत प्रस्तुत किया। साथी मीनाक्षी ने विस्तार से शहीदों के सपने, उन सपनों के पूरा न हो पाने की वजहों तथा उन्हें पूरा करने के लिए क्या करना होगा, इस पर चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान पोस्टर प्रदर्शनी तथा पुस्तक प्रदर्शनी भी लगायी गयी। मजदूरों तथा प्रतिनिधियों ने भी अपनी-अपनी बातें रखीं।

नौजवान भारत सभा, बादली के संयोजक रूपेश ने मजदूर बस्ती में पुस्तकालय के महत्तव की चर्चा करते हुए बताया कि मजदूरों को फिर से अपनी क्रान्तिकारी विरासत से परिचित होने के लिए तथा संघर्ष करने के लिए जिम्मेदारी के साथ पढ़ना भी होगा। मजदूर साथियों को अध्‍ययन के लिए समय निकालना ही होगा, पर हर कोई किताबें खरीदकर नहीं पढ़ सकता है, अत: पुस्तकालय एक ऐसा मंच बन सकता है जहाँ मजदूर तथा मजदूरों के बच्चे आकर पढ़ें-लिखें।

कार्यक्रम का समापन ‘तोड़ो ये दीवारें, भर दो अब ये गहरी खाई’ गीत प्रस्तुत करके किया गया।

”शहीद भगतसिंह की विचारधारा और आज का समय” पर विचार गोष्ठी का आयोजन

कारखाना मजदूर यूनियन, लुधियाना की तरफ से शहीद भगतसिंह की याद में उनके जन्मदिन से एक दिन पहले 27 सितम्बर को विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। लुधियाना की ई.डब्ल्यू.एस. कालोनी में आयोजित विचार गोष्ठी का विषय था – ”शहीद भगतसिंह की विचारधारा और आज का समय” और मुख्य वक्ता थे ‘बिगुल’ के सम्पादक साथी सुखविन्दर। इसमें मुख्य तौर पर कारखाना मजदूरों ने भाग लिया।

सुखविन्दर ने कहा कि देश का शोषक हुक्मरान वर्ग जनता के सच्चे नायकों की यादों को पत्थर की मूर्तियों में बदल देना चाहता है। ऐसा ही शहीद भगतसिंह की याद के साथ किया जा रहा है। शहीद भगतसिंह के विचारों और जनता के दुश्मन वर्ग आज उनका नाम ग़लत अर्थों में ले रहे हैं। उन्होंने क्रान्तिकारी आन्दोलन के इतिहास के पन्ने पलटते हुए दिखाया कि शहीद भगतसिंह और उनके साथियों नें भारत में समाजवाद के निर्माण का सपना देखा और इसके लिए संघर्ष किया। उनका मानना था कि भारतीय मेहनतकश जनता की सच्ची आजादी समाजवाद में ही आ सकती है, सिर्फ अंग्रेजों से राजनीतिक आजादी हासिल कर लेने से जनता की हालत में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। सुखविन्दर ने कहा कि आज आजाद भारत में भी मेहनतकश ग़रीबी, भुखमरी, बदहाली की जिन्दगी जी रहे हैं। जितने जुल्म अंग्रेजों ने भारतीय मेहनतकश जनता पर किये, उससे कहीं अधिक जुल्म भारतीय हुक्मरानों के शासन में किये गये हैं। उन्होंने कहा कि शहीद भगतसिंह के सपनों के समाज के निर्माण के पथ पर चलना ही शहीद भगतसिंह की कुर्बानी और विचारधारा को सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।

इसके बाद ताज मोहम्मद, सिद्धेश्वर यादव, नरेन्दर, गोपाल, विजय, सुभाष आदि मजदूर साथियों ने अपने-अपने विचार रखे, जिससे बेहद मूल्यवान विचार-चर्चा छिड़ी। मजदूर साथियों ने जोर दिया कि आज के हालात में संगठन के बिना गुजारा नहीं हो सकता और संगठन के पास ईमानदार और दृढ़ नेतृत्व होना चाहिए। मजदूर साथियों ने कहा कि धार्मिक कट्टरता, जातिवाद और क्षेत्रवाद का संगठन में कोई स्थान नहीं हो सकता। ताज मोहम्मद और सिद्धेश्वर यादव ने अपने गीतों के जरिये शहीदे आजम भगतसिंह को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। मंच संचालन की जिम्मेदारी राजविन्दर और लखविन्दर ने साझे तौर पर निभायी।

गोष्ठी के बाद कारखाना मजदूर यूनियन की टोली ने कालोनी और आसपास के इलाके में शहीद भगतसिंह की राह पर चलने का आह्नान किया और पर्चा भी बाँटा।

नौजवान भारत सभा ने मनाया शहीदे आजम भगतसिंह का जन्मदिन

शहीद भगतसिंह के जन्म दिन पर नौजवान भारत सभा की तरफ से गाँव पख्खोवाल (लुधियाना), गाँव आलोड़ (खन्ना), गाँव भादला (खन्ना) और मण्डी गोबिन्दगढ़ में नुक्कड़ सभाओं, झण्डा और मशाल जुलूस का आयोजन किया गया।

गाँव पख्खोवाल से बड़ी संख्या में नौजवान मशाल जुलूस में शामिल हुए। जोरदार नारे बुलन्द करते हुए हाथों में मशालें लिये नौजवानों का काफिला गलियों से गुजरा। मशाल जुलूस के दौरान गाँव में कई जगहों पर नुक्कड़ सभाएँ की गयीं। नौजवान भारत सभा, पंजाब के संयोजक परमिन्दर ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शहीदेआजम भगतसिंह की सोच की मशाल को जलाये रखना मौजूदा अंधेरे समय की माँग है। लोग आज भी गुलामी काट रहे हैं। ऐसे हालात में नौजवानों को अपने जमीर की आवाज सुननी होगी। नये इन्कलाब की मशाल लेकर चलने को ही आज शहीद भगतसिंह को सच्चे अर्थों में श्रद्धांजलि कहा जा सकता है।

खन्ना के नजदीक के गाँवों अलोड़ और भादले में नौजवानों ने ‘शहीदे आजम अमर रहे’, ‘अमर शहीदों का पैगाम, जारी रखना है संग्राम’, आदि नारे लगाते हुए झण्डा मार्च किया। झण्डा मार्च के दौरान शहीदे आजम की याद में जारी किया गया पर्चा भी बाँटा गया। दोनों ही गाँवों में भारी संख्या में जुटे लोगों के बीच नौजवान भारत सभा, अलोड़ की टीम द्वारा तैयार किया गया नुक्कड़ नाटक ‘गड्डा’ प्रस्तुत किया गया। जतिन्दर, सतनाम और वरिन्दर द्वारा ‘मशालें लेकर चलना कि जब तक रात बाकी है’, ‘हिन्दवासियो रखना याद सानू किते दिलाँ चों ना भुला जाणा’ गीत प्रस्तुत किये गये। अलोड़ और भादले के गाँववासियों को सम्बोधित करते हुए अजयपाल ने कहा कि भगतसिंह का लगाया ‘इन्कलाब जिन्दाबाद’ का नारा आज भी पूरे देश में गूँज रहा है। मास्टर गुरप्रीत ने कहा कि आज की नौजवान पीढ़ी को भगतसिंह से प्रेरणा और मार्गदर्शन लेते हुए समाज बदलने की राह अपनानी होगी। उन्होंने वरियाम सन्धु की लिखी शहीद भगतसिंह को समर्पित कविता ‘शहीद का बुत’ पेश की।

मण्डी गोबिन्दगढ़ में गलियों, मुहल्लों, बाजारों में नौजवान भारत सभा की टोली ने पर्चे बाँटते और नारे लगाते हुए शहीद भगतसिंह का सन्देश आम लोगों तक पहुँचाया। 28 सितम्बर को मण्डी गोबिन्दगढ़ और खन्ना में नौजवान भारत सभा की और से शहीद भगतसिंह को समर्पित पुस्तक प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया।

बिगुल, अक्‍टूबर 2009


 

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