Category Archives: निजीकरण

बेरोज़गारी क्यों पैदा होती है और इसके विरुद्ध संघर्ष की दिशा क्या हो

बेहिसाब तकलीफ़ें, बदहाली और मौत लेकर आने वाली इस भयंकर समस्या से मज़दूर वर्ग कैसे लड़ सकता है? इस सवाल के जवाब से पहले यह ज़रूरी है कि समस्या को अच्छी तरह समझ लिया जाये, और उन शक्तियों को जान लिया जाये जो यह संकट पैदा करती हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान सरकार की नंगई

इस मसले का एक अन्य पहलू यह भी है कि एक मोटे आंकलन के अनुसार इन 300 स्कूलों से क़रीब 15000 अध्यापकों के पद समाप्त हो जायेंगे। इतना तो पहले चरण में ही हो रहा है, दूसरे-तीसरे चरण के आते-आते लाखों अध्यापकों के पद समाप्त होना तय है। यानी नयी अध्यापक भर्तियाँ भी बन्द होंगी। साथ ही साथ इन 300 स्कूलों को पीपीपी के अन्तर्गत ला देने से क़रीब 2.50 लाख छात्र स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो जायेंगे। कहा जा सकता है कि शिक्षा को बिकाऊ माल बना देने की इस नीति से बड़े ठेकेदारों के तो ख़ूब वारे-न्यारे हैं, परन्तु ग़रीब तबक़े के छात्रों के लिए शिक्षा हासिल करना दूभर हो जायेगा।