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नीमराणा में डाइकिन के मज़दूरों पर बर्बर लाठीचार्ज!

8-9 जनवरी की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में नीमराणा औद्योगिक क्षेत्र के क़रीब 2000 मज़दूरों द्वारा ‘मज़दूर अधिकार रैली’ आयोजित की गयी। इस रैली में डाइकिन कम्पनी के मज़दूरों के अलावा होण्डा, टोयोटा, शॉन, टोयडा, नीडेड व नीमराणा की दूसरी अन्य कम्पनियों के मज़दूरों ने भी शिरकत की। यह रैली जब डाइकिन कम्पनी गेट पर पहुँची तो डाइकिन के मज़दूरों ने वहाँ यूनियन का झण्डा लगाना चाहा। लेकिन कम्पनी प्रबन्धन द्वारा बुलाये गये बाउंसरों ने झण्डा उखाड़ दिया। मज़दूरों ने दोबारा झण्डा लगाने की कोशिश की तो वहाँ मौजूद पुलिस उन पर लाठियाँ बरसाने लगी। साथ ही वहाँ मौजूद बाउंसरों ने भी मज़दूरों पर लाठियाँ बरसानी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस की कार्यवाही से गुस्साये मज़दूरों ने पुलिस पर जवाबी पत्थरबाज़ी की। पुलिस ने मज़दूरों पर बेतहाशा लाठीचार्ज किया, आँसू गैस के गोले छोड़े जिसमें 40 से अधिक मज़दूर बुरी तरह से घायल हो गये।

शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान सरकार की नंगई

इस मसले का एक अन्य पहलू यह भी है कि एक मोटे आंकलन के अनुसार इन 300 स्कूलों से क़रीब 15000 अध्यापकों के पद समाप्त हो जायेंगे। इतना तो पहले चरण में ही हो रहा है, दूसरे-तीसरे चरण के आते-आते लाखों अध्यापकों के पद समाप्त होना तय है। यानी नयी अध्यापक भर्तियाँ भी बन्द होंगी। साथ ही साथ इन 300 स्कूलों को पीपीपी के अन्तर्गत ला देने से क़रीब 2.50 लाख छात्र स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो जायेंगे। कहा जा सकता है कि शिक्षा को बिकाऊ माल बना देने की इस नीति से बड़े ठेकेदारों के तो ख़ूब वारे-न्यारे हैं, परन्तु ग़रीब तबक़े के छात्रों के लिए शिक्षा हासिल करना दूभर हो जायेगा।