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बिगुल पुस्तिका – 16 : फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें?

असुरक्षा के माहौल के पैदा होने पर एक क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट पार्टी का काम था पूरी पूँजीवादी व्यवस्था को बेनकाब करके जनता को यह बताना कि पूँजीवाद जनता को अन्तत: यही दे सकता है गरीबी, बेरोज़गारी, असुरक्षा, भुखमरी! इसका इलाज सुधारवाद के ज़रिये चन्द पैबन्द हासिल करके, अर्थवाद के ज़रिये कुछ भत्ते बढ़वाकर और संसदबाज़ी से नहीं हो सकता। इसका एक ही इलाज है मज़दूर वर्ग की पार्टी के नेतृत्व में, मज़दूर वर्ग की विचारधारा की रोशनी में, मज़दूर वर्ग की मज़दूर क्रान्ति। लेकिन सामाजिक जनवादियों ने पूरे मज़दूर वर्ग को गुमराह किये रखा और अन्त तक, हिटलर के सत्ता में आने तक, वह सिर्फ नात्सी-विरोधी संसदीय गठबन्‍धन बनाने में लगे रहे। नतीजा यह हुआ कि हिटलर पूँजीवाद द्वारा पैदा की गयी असुरक्षा के माहौल में जन्मे प्रतिक्रियावाद की लहर पर सवार होकर सत्ता में आया और उसके बाद मज़दूरों, कम्युनिस्टों, ट्रेड यूनियनवादियों और यहूदियों के कत्ले-आम का जो ताण्डव उसने रचा वह आज भी दिल दहला देता है। सामाजिक जनवादियों की मज़दूर वर्ग के साथ ग़द्दारी के कारण ही जर्मनी में फ़ासीवाद विजयी हो पाया। जर्मन कम्युनिस्ट पार्टी मज़दूर वर्ग को संगठित कर पाने और क्रान्ति में आगे बढ़ा पाने में असफल रही। नतीजा था फ़ासीवादी उभार, जो अप्रतिरोध्‍य न होकर भी अप्रतिरोध्‍य बन गया।

अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी

रूस की अक्टूबर क्रान्ति के लिए मज़दूरों को संगठित, शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए हज़ारों बोल्शेविक कार्यकर्ताओं ने बरसों तक बेहद कठिन हालात में, ज़बर्दस्त कुर्बानियों से भरा जीवन जीते हुए काम किया। उनमें बहुत बड़ी संख्या में महिला बोल्शेविक कार्यकर्ता भी थीं। ऐसी ही एक बोल्शेविक मज़दूर संगठनकर्ता थीं नताशा समोइलोवा जो आख़िरी साँस तक मज़दूरों के बीच काम करती रहीं। हम ‘बिगुल’ के पाठकों के लिए उनकी एक संक्षिप्त जीवनी का धारावाहिक प्रकाशन कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि आम मज़दूरों और मज़दूर कार्यकर्ताओं को इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

पार्टी की बुनियादी समझदारी (पैंतीसवीं किस्त)

क्रान्तिकारी कामों का मुख्य आधार बनने के लिए, उन्हें तीन महान क्रान्तिकारी संघर्षों में अनुकरणीय हरावल भूमिना निभानी चाहिए। मार्क्सवादी–लेनिनवादी क्लासिकीय रचनाओं और अध्यक्ष माओ की रचनाओं का अध्ययन करने में उन्हें अगली कतारों में होना चाहिए, वर्ग शत्रु से संघर्ष में शामिल होने में अग्रणी होना चाहिए, उत्पादन के लक्ष्यों को पूरा करने, वैज्ञानिक प्रयोगों को जारी रखने और दिक्कतों से पार पाने में अग्रणी होना चाहिए। पार्टी और राज्य द्वारा सौंपे गये सारे कामों को पूरा करने के लिए उन्हें जनसमुदायों को एकजुट करना चाहिए और उनकी अगुवाई करनी चाहिए।