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दीघा विधानसभा क्षेत्र से भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी का चुनावों में हस्तक्षेप

10 नवम्बर, पटना. (बिगुल संवाददाता)। बिहार विधानसभा चुनावों में पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र में नवनिर्मित भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ने भी पहली बार वारुणी पूर्वा के रूप में अपना उम्मीदवार खड़ा किया था। इस उम्मीदवार को 410 वोट प्राप्त हुए। वारुणी पूर्वा ने बताया कि पिछले कुछ माह से क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ने पटना में अपने कार्यों की शुरुआत की थी। दीघा विधानसभा क्षेत्र बिहार का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है और यहाँ पर क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी का कार्य और पहुँच दो छोटे-से मज़दूर व निम्न मध्यवर्गीय इलाक़ों तक सीमित था। इन क्षेत्रों में क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी पिछले कुछ माह से मज़दूरों व आम मेहनतकश आबादी के मुद्दों को लेकर संघर्षों को संगठित करती रही है।

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इस विधानसभा चुनाव में भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी द्वारा भागीदारी एक रणकौशलात्मक हस्तक्षेप था, जिसके तहत चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी ने समाजवादी कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार किया गया। साथ ही जनता के बीच मौजूद पूँजीपति वर्ग की नुमाइन्दगी करने वाली तमाम चुनावबाज़ पार्टियों और पूँजीपतियों के रिश्ते का भी भण्डाफोड़ किया गया।

चुनावों में रणकौशलात्मक हस्तक्षेप की क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट कार्यदिशा क्या है?

आम तौर पर बुर्जुआ चुनावों और संसद में रणकौशलात्मक भागीदारी के प्रश्न पर मार्क्स और एंगेल्स के समय में भी कम्युनिस्ट अवस्थिति स्पष्ट थी। जिस प्रकार मार्क्स और एंगेल्स ने अपने समय के अराजकतावादी और ”वामपंथी” भटकावों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए इस अवस्थिति को विकसित किया था, उसी प्रकार लेनिन ने भी अपने दौर में मौजूद वामपंथी और दुस्साहसवादी अवस्थितियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए इसी अवस्थिति को विकसित किया। लेनिन के दौर में रणकौशलात्मक भागीदारी की कार्यदिशा इसलिए भी अधिक स्पष्टता के साथ विकसित हुई क्योंकि इस दौर में अन्तरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन में पार्टी का सिद्धान्त भी सांगोपांग रूप ले चुका था। इसका श्रेय भी लेनिन को ही जाता है। कम्युनिस्ट पार्टी कैसी हो, उसका ढाँचा और संगठन कैसा हो, इस बारे में लेनिन का चिन्तन आज भी सभी संजीदा मार्क्सवादी-लेनिनवादी क्रान्तिकारियों के लिए केन्द्रीय महत्व रखता है।

मज़दूरों-मेहन‍तकशों ने बनायी अपनी क्रान्तिकारी पार्टी!

‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी’ मज़दूर वर्ग की एक हिरावल पार्टी है जो कि मार्क्सवाद-लेनिनवाद के क्रान्तिकारी उसूलों में यक़ीन करती है। यह पार्टी मानती है कि सर्वहारा वर्ग का ऐतिहासिक लक्ष्‍य है कि वह क्रान्तिकारी रास्‍ते से बुर्जुआ राज्‍यसत्ता का ध्‍वंस करके सर्वहारा वर्ग की सत्ता क़ायम करे और समाजवादी व्‍यवस्‍था का निर्माण करे। RWPI का मानना है कि मज़दूर सत्ता और समाजवादी व्‍यवस्‍था अन्‍तत: इसी रास्‍ते से बन सकते हैं। लेकिन समाजवादी क्रान्ति से पहले भी एक सही क्रान्तिकारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी को पूँजीवादी चुनावों में मज़दूर वर्ग के स्‍वतन्‍त्र क्रान्तिकारी पक्ष की हैसियत से हस्‍तक्षेप करना चाहिए और यदि वह संसद में अपने प्रतिनिधि भेजने में सफल होती है, तो उसे पूँजीवादी संसद के भीतर से पूँजीवादी संसदीय व्‍यवस्‍था की असलियत को आम मेहनतकश जनता के समक्ष उजागर करना चाहिए, ऐसे पूँजीवादी जनवादी अधिकारों को आम मेहनतकश जनता तक पहुँचाने के लिए हरसम्‍भव प्रयास करना चाहिए जो कि महज़ काग़ज़ पर उन्‍हें मिले हुए हैं, वास्‍तव में हासिल नहीं हैं, और आम मेहनतकश जनता के जीवन में सुधार के लिए जो भी सीमित कार्य किये जा सकते हैं, वे करने चाहिए।