गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन के दमन के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन
एन.ए.पी.एम. के सन्दीप पाण्डेय के नेतृत्व में जांच दल ने गोरखपुर के कारखानों में श्रम कानूनों के उल्लंघन पर चिन्ता जताई
वयोवृद्ध सामाजिक कर्मी कमला पाण्डेय ने मुख्यमंत्री मायावती को फिर पत्र भेजकर मज़दूरों का दमन-उत्‍पीड़न रोकने की मांग की

fistsनई दिल्‍ली, 29 मई। गोरखपुर में मज़दूरों के दमन और उत्तर प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों ने प्रदर्शन किया तथा राज्यपाल के माध्यम से मुख्यमंत्री मायावती को ज्ञापन भेजा। श्रमिक संग्राम समिति के बैनर तले कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कारपोरेशन, हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लि., भारत बैटरी, कोलकाता जूट मिल, सूरा जूट मिल, अमेरिकन रेफ्रिजरेटर्स कं. सहित विभिन्न कारखानों के 500 से अधिक मज़दूरों ने कल कोलकाता के प्रशासकीय केंद्र एस्प्लेनेड में विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली, पंजाब तथा महाराष्ट्र में भी कुछ संगठन इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
कोलकाता में प्रदर्शन के बाद तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. नारायणन से मिला और गोरखपुर में आन्दोलनरत मज़दूरों की मांगों के समर्थन में तथा उत्तर प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में एक ज्ञापन उन्हें सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वे पश्चिम बंगाल के मज़दूरों एवं बुद्धिजीवियों की भावनाओं से उ.प्र. की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती को अवगत कराएं।
प्रदर्शन के दौरान सभा में वक्ताओं ने कहा कि अपने अधिकारों के लगातार हनन के खिलाफ मज़दूरों में नई चेतना जाग रही है और वे समझौतापरस्त पुरानी ट्रेड यूनियनों से अलग नए सिरे से जगह-जगह संगठित होकर संघर्ष कर रहे हैं। शासक वर्ग इस नई प्रवृत्ति को शुरू में ही कुचल देना चाहते हैं। गोरखपुर में पिछले एक माह से संघर्षरत मज़दूरों पर मालिकान और प्रशासन के हमले इसी का उदाहरण है। वक्ताओं ने ऐसे सभी संघर्षों के अग्रणी मज़दूरों का देशव्यापी मंच बनाने की जरूरत पर बल दिया जिससे कि शासकों-शोषकों के हमलों का एक होकर सामना किया जा सके। सभा को विभिन्न कारखाना यूनियनों के नेताओं के अतिरिक्त कोलकाता से प्रकाशित अखबार ‘श्रमिक इश्तेहार’ के संपादक तुषार भट्टाचार्य तथा गाजियाबाद से प्रकाशित पाक्षिक ‘हमारी सोच’ के संपादक सुभाषीश डी. शर्मा ने भी संबोधित किया।
इस बीच मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध सामाजिक कर्मी सन्दीप पाण्डेय के नेतृत्व में जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (एन.ए.पी.एम.), पी.यू.सी.एल. तथा पीपुल्स यूनियन फार ह्यूमन राइट्स (पी.यू.एच.आर.) की एक संयुक्त जांच टीम ने कल गोरखपुर का दौरा किया और 3 मई के गोलीकांड तथा लगातार जारी श्रमिक अशान्ति के कारणों की जांच-पड़ताल की। जांच टीम ने गोलीकांड के बाद से आज तक अस्पताल में भरती घायल मज़दूर पप्पू जैसवाल से मुलाकात की और फिर अंकुर उद्योग के मज़दूरों से मिलने बरगदवां पहुंची जहां वी.एन. डायर्स के दो तालाबंद कारखानों के मज़दूर भी उनसे मिलने पहुंच गए।
मज़दूरों ने जांच दल को फैक्ट्रियों में हो रहे श्रम कानूनों के उल्लंघन और काम की परिस्थितियों के बारे में विस्तार से बताया। टीम ने इस बात पर हैरत जाहिर की कि मजदूरों के घायल होने की स्थिति में कारखानों के अंदर प्राथमिक उपचार तक की व्यवस्था नहीं है। कल ही अंकुर उद्योग में एक मज़दूर की उंगली कट गई तो उसे पट्टी बंधवाने के लिए भी बाहर ले जाना पड़ा। 3 मई की घटना में भी जिन मज़दूरों को गोली या छर्रे लगे उन्हें मालिक या प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। जांच दल ने बाद में गोरखपुर के जिलाधिकारी से भी मुलाकात की। जांच दल में श्री संदीप पाण्डेय के अलावा पी.यू.सी.एल. के फतेहबहादुर सिंह एवं राजीव यादव और पी.यू.एच.आर. के मनोज सिंह शामिल थे। जांच दल 3 जून को लखनऊ में अपनी विस्‍तृत रिपोर्ट जारी करेगा लेकिन गोरखपुर से जारी जांच दल की विज्ञप्ति में गोलीकांड और मज़दूरों पर लाठीचार्ज की न्‍यायिक जांच कराने तथा वी.एन. डायर्स में तालाबंदी समाप्‍त कराकर निकाले गए मज़दूरों को काम पर लेने की मांग की गई है।
इधर लखनऊ में वयोवृद्ध पूर्व शिक्षक नेता एवं अनुराग ट्रस्ट की अध्यक्ष कमला पाण्डेय ने आज मुख्यमंत्री मायावती के नाम एक और पत्र भेजकर कहा है कि गोरखपुर के मज़दूरों पर लगातार जारी दमन-उत्पीड़न को यदि बंद नहीं किया गया तो वे स्वयं गोरखपुर पहुंचकर आमरण अनशन शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि सत्ता के दम्भ में सुश्री मायावती शायद यह भूल गई हैं कि वे प्रदेश के लाखों मज़दूरों की भी प्रतिनिधि हैं। मज़दूरों की आवाज़ को अगर इस तरह से लगातार अनसुना किया जाता रहेगा तो आगामी चुनाव में भी उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
देश के विभिन्न भागों से गोरखपुर में मजदूरों के दमन की निन्दा और मायावती सरकार को ज्ञापन आदि भेजने का अभियान लगातार जारी है। कुछ प्रमुख सामाजिक कर्मियों और बुध्दिजीवियों का एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करने वाला है।

कृपया इस ऑनलाइन याचिका पर हस्‍ताक्षर करके मजदूरों के दमन का विरोध करें : http://bit.ly/kvIuIq

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