गोरखपुर में मजदूरों पर फायरिंग तथा जिला प्रशासन के दमनात्मक रवैये की व्यापक निन्दा
न्यायविदों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा ट्रेड यूनियनकर्मियों ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की माँग की

Injured worker gorakhpur7 मई। गोरखपुर में गत 3 मई को मजदूरों पर हुई फायरिंग के बाद आज तक दोषियों पर कार्रवाई न होने और मजदूरों तथा मजदूर नेताओं के विरुद्ध प्रशासन के दमनात्मक रवैये की कठोर निन्दा करते हुए देशभर के वरिष्ठ न्यायविदों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कर्मियों और ट्रेडयूनियन नेताओं ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से इस मामले में अविलम्ब हस्तक्षेप कर मजदूरों को इंसाफ दिलाने की माँग की है। ज्ञातव्य है कि इस घटना में 19 मजदूर गोली से घायल हो गये थे जिनमें से एक की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।

आज यहां राजकीय दमन के सवाल पर शुरू हुए राष्ट्रीय सेमिनार में भी यह मामला उठाया गया तथा जल्द से जल्द पीयूसीएल तथा अन्य संगठनों की एक संयुक्त जांच टीम गोरखपुर भेजने की घोषणा की गयी।

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के नाम भेजे ज्ञापन के माध्यम से घटना की न्यायिक जांच कराने सहित चार माँगे की गयीं हैं। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख रूप से न्यायमूर्ति राजिन्दर सच्चर, नर्मदा बचाओ आदोलन की मेधा पाटकर, पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रभाकर सिन्हा, राष्ट्रीय महासचिव पुष्कर राज, ‘समयान्तर’ पत्रिका के सम्पादक पंकज बिष्ट, प्रख्यात फिल्मकार आनन्द पटवर्धन, प्रसिद्ध कवि एवं ‘पब्लिक एजेंडा’ के कार्यकारी संपादक मंगलेश डबराल, कवि पंकज सिंह, आल इंडिया सेक्युलर फोरम के राम पुनियानी, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डा. रूपरेखा वर्मा, लेखक-कवियत्री एवं ‘सृजन परिप्रेक्ष्य’ की संपादक कात्यायनी, जिला बार एसोसिएशन लुधियाना के अध्यक्ष अशोक मित्तल, डेमोक्रेटिक लॉयर्स एसोसिएशन पंजाब के कुलदीप सिंह एवं नरिन्दर सिंह, एमसीपीआई पंजाब के हरविलास सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ईश मिश्र, प्रोफेसर पीके विजयन, हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बी.आर. बापूजी एवं डा. शुभदीप, कोलकाता के इतिहासकार देवब्रत बनर्जी, पंजाबी विश्वविद्यालय के प्रो. गुरभगवान गिल, सीटीयू वर्कर्स यूनियन, चंडीगढ़ के भूपिन्दर सिंह, चंडीगढ़ सबआर्डिनेट सर्विसेज इंप्लाइज़ फेडरेशन के रंजीत सिंह, एआईसीटीयू पंजाब के खुशविन्दर संधू, लोकायत, पुणे के नीरज जैन, फोरम फॉर डेमोक्रेटिक स्ट्रगल के विजय सिंह, पीयूसीएल, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष चितंरजन मिश्र एवं महासचिव वंदना मिश्र, प्रसिद्ध स्तंभकार एवं न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव से जुड़े सुभाष गाताडे, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कमलकिशोर राय, जन संस्कृति मंच दिल्ली की भाषा सिंह, नेशनल कैंपेंन अगेंस्ट करप्शन के प्रो. वाई.के. रंजन, सीपीआई-एमएल न्यू डेमोक्रेसी की दिल्ली सचिव अपर्णा, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एस.आर. दारापुरी आदि शामिल हैं।

नई दिल्ली में 125वें मई दिवस की रैली में भाग लेकर लौटे मजदूरों पर गोलीबारी की घटना की विदेश में भी कड़ी निन्दा हुई है। जर्मनी की डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी की कार्यकारिणी के सदस्य इलियट आइज़नबर्ग एवं आई. ओ’कैलाघन, रैडिकल विमेन, आस्ट्रेलिया की डेबी ब्रेनन तथा रैडिकल विमेन, अमेरिका की प्रतिनिधि एन्ने स्लेटर, कनाडा की विल्फर्ड लॉरियर युनिवर्सिर्टी फैकल्टी एसोसिएशन के डा. हर्बर्ट पिमलॉट, इंग्लैंड की सामाजिक कार्यकर्ता क्रिस्टीन टिकनर, लेबर स्टार्ट के संपादक एरिक ली, मलेशिया की सोशलिस्ट पार्टी के जीविन द्रान, पाकिस्तान मजदूर महाज के तुफैल अब्बास सहित अनेक ट्रेड यूनियन कर्मियों तथा बुद्धिजीवियों ने इसे भारत के लोकतंत्र के लिए शर्मनाक घटना बताया है।

वरिष्ठ लेखक कामतानाथ, अजय सिंह, ‘कथाक्रम’ के संपादक आईजी शैलेन्द्र सागर, ‘तद्भव’ के संपादक अखिलेश, मदन कश्यप, आर. चेतनक्रांति, आलोचक वीरेन्द्र यादव, जन संस्कृति मंच, लखनऊ की मुकुल सरल, ‘साझी दुनिया’ की अध्यक्ष मोहिनी मांगलिक, जनचेतना मंच, गोहाना के अध्यक्ष, डा. सी.डी. शर्मा, नैनीताल समाचार के सम्पादक राजीव लोचन शाह, वरिष्ठ रंगकर्मी सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, इप्टा के राकेश पीयूसीएल उ.प्र. के राजीव यादव तथा शाहनवाज आलम, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ताराचन्द एवं जीत बहादुर, जयपुर के नाट्यकर्मी आलोक कौशिक, दधीचि पटेल, पीपुल्स थिएटर चंडीगढ़ के सैमुअल जॉन, बीएआरसी, जयपुर के निसार अहमद, मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखरन नायर, पटियाला के सामाजिक कार्यकर्ता डा. प्यारे मोहन शर्मा, महिंद्रा सत्यम के गौरव बंसल, कारखाना मजदूर यूनियन, लुधियाना के राजविन्दर, टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन पंजाब के लखविन्दर सिंह, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के सूर्य प्रकाश, प्रसिद्ध पंजाबी लेखक मित्तर सैन मीत, कवि अशोक पांडे, दिल्ली के पत्रकार गौरव सोलंकी, भूपेन सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, सुयश सुप्रभ, प्रणव प्रियदर्शी, स्वतंत्र मिश्र, लोक सुरभि मंबई के संपादक विजय प्रकाश सिंह एवं वेद प्रकाश सिंह, गोरखपुर फिल्म समारोह के आयोजक पत्रकार मनोज सिंह, जन संस्कृति मंच, दिल्ली के रंजीत वर्मा, स्त्री मुक्ति लीग चंडीगढ़ की नमिता, नौजवान भारत सभा चंडीगढ़ की कमल, पंजाब युनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में दिशा छात्र संगठन के राजिन्दर, जागरूक नागरिक मंच, इलाहाबाद के रमाशंकर, अनिरुद्ध एवं विजय कुमार, ‘संवेग’ के संपादक प्रसेन सिंह, स्त्री मुक्ति लीग की शालिनी, स्त्री मजदूर संगठन की विमला, दिशा छात्र संगठन के शिवार्थ, नौजवान भारत सभा के लालचन्द, सीटू लखनऊ के एस. बी. इन्दिरा, सीपीआई (एम) छोटे लाल पाल, लेनिन पुस्तक केन्द्र के गंगा प्रसाद, एसएफआई की कुसुम मिश्रा एवं अखिल विकल्प तथा राजस्थान, कर्नाटक, बिहार एवं अन्य राज्यों से आए नागरिक अधिकार कर्मियों और विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं सहित सैकड़ों व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं।

इस बीच लखनऊ तथा गोरखपुर में विभिन्न संगठनों ने उत्तर प्रदेश में बढ़ते दमन-उत्पीड़न के खिलाफ साझा मोर्चा बनाकर व्यापक जनान्दोलन छेड़ने की तैयारी भी शुस् कर दी है। दिल्ली तथा पंजाब से कुछ जांच टीमें भी गोरखपुर जाने की तैयारी कर रही हैं।

मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि गोलीकांड के बाद से जो घटनाएं हुई हैं उनसे गोरखपुर में फैक्टरी मालिक-जिला प्रशासन गठजोड़ एकदम बेनकाब हो गया है। ज्ञापन में मांग की गई है किः

– निहत्थे मजदूरों पर गोलीबारी कराने वाले फैक्टरी मालिक और उसके भाड़े के गुण्डों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए और उनपर मुकदमा चलाया जाए,

– इस पूरी घटना की की न्यायिक जांच करवाई जाए जिसमें स्थानीय प्रशासन और पुलिस की संलिप्तता की जांच भी शामिल हो और दोषी अधिकारियों को दण्डित किया जाए,

– मजदूरों के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं,

– सभी निलंबित 18 मजदूरों को बहाल किया जाए और दो फैक्टरी मालिकों द्वारा की गई गैरकानूनी तालाबंदी तुरंत समाप्त की जाए।

गोरखपुर मजदूर आन्दोलन समर्थक मोर्चा


 

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