Category Archives: शिक्षा और रोज़गार

हरियाणा में क्लर्क भर्ती ने खोली राज्य में बेरोज़गारी की पोल!

हरियाणा में क्लर्क भर्ती ने खोली राज्य में बेरोज़गारी की पोल! दर-दर की ठोकरें खा रहे युवा और उनके हितों का सौदा कर रहे चुनावी मदारी! हरियाणा चयन आयोग के…

बेरोज़गार छात्रों-युवाओं से हज़ारों करोड़ की कमाई कर रही बेशर्म सरकारें

बेरोज़गार छात्रों-युवाओं से हज़ारों करोड़ की कमाई कर रही बेशर्म सरकारें देश की करोड़ों युवा आबादी पिछले 45 वर्षों में अब तक की सबसे भयंकर बेरोज़गारी का सामना कर रही…

इलाहाबाद में एक और प्रतियोगी छात्रा की आत्महत्या!

इलाहाबाद में एक और प्रतियोगी छात्रा की आत्महत्या! हम चुप क्यों हैं? हम किसका इन्तज़ार कर रहे हैं? इलाहाबाद में धूमनगंज के कालिन्दीपुरम में रहने वाली प्रतियोगी छात्रा विनीता वर्मा…

शिक्षा के अधिकार के लिए देशभर में छात्र सड़कों पर!

शिक्षा के अधिकार के लिए देशभर में छात्र सड़कों पर! जेएनयू समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों में फ़ीस बढ़ोत्तरी के ख़िलाफ़ छात्रों के जुझारू आन्दोलनों पर सरकारी दमन और झूठा संघी प्रचार…

विकराल बेरोज़गारी : ज़ि‍म्मेदार कौन? बढ़ती आबादी या पूँजीवादी व्यवस्था?

पिछले 15 अगस्त को देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर से दहाड़ते हुए लम्बा-चौड़ा भाषण दिया और देश की “अल्पज्ञानी” जनता को ज्ञान के नये-नये पाठ पढ़ाये! इस बार माननीय प्रधानमंत्री जी ने ‘भारी जनसंख्या विस्फोट’ को लेकर विशेष चिन्ता भी ज़ाहिर की और उन्होंने जनता को ही इसके लिए ज़ि‍म्मेदार ठहराया।

आधुनिकीकृत मदरसा और शिक्षक बर्बादी और बदहाली के कगार पर

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से शिक्षा तंत्र बुरी तरह से चौपट किया जा रहा है। इसका एक नमूना आधुनिकीकृत मदरसे भी हैं। ग़ौरतलब है कि 1992 में केन्द्र सरकार द्वारा मदरसों के आधुनिकीकरण हेतु उनमें हिन्दी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि आधुनिक शिक्षा देने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था की गयी। इन आधुनिकीकृत मदरसों के शिक्षकों के मानदेय के लिए एक छोटा-सा अंश राज्य सरकार को और बाक़ी केन्द्र सरकार को देना था। राज्य सरकार द्वारा ग्रेजुएट शिक्षकों को 2000 रुपये एवं पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 3000 रुपये जैसी मामूली राशि मानदेय के रूप में वहीं केन्द्र सरकार द्वारा ग्रेजुएट शिक्षकों को 6000 एवं पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 12000 प्रतिमाह दी जाने की व्यवस्था की गयी थी।

भीषण बेरोज़गारी और तबाही झेलती दिल्ली की मज़दूर आबादी

दिल्ली में 29 औद्योगिक क्षेत्र हैं, जिनमें अधिकतर छोटे व मध्यम आकार के कारख़ाने हैं। इन औद्योगिक क्षेत्रों में दिल्ली की कुल 80 लाख मज़दूर आबादी का बड़ा हिस्सा काम करता है। इसके अलावा निर्माण से लेकर लोडिंग, कूड़ा बीनने व अन्य ठेके पर काम हेतु तमाम इलाक़ों में लेबर चौ‍क पर मज़दूर खड़े रहते हैं। परन्तु आज इन सभी इलाक़ों में कामों में सुस्ती छायी हुई है, बल्कि यह मन्दी पिछले तीन सालों से छायी है। देश एक बड़े आर्थिक संकट की आगोश में घिर रहा है और इन इलाक़ों में काम की परिस्थिति और बिगड़ने जा रही है।

मोदी राज में बेरोज़गारी चरम पर पहुँची

युवाओं को कहीं बड़े स्तर पर बेरोज़गारी का सामना करना पड़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 15 से 29 वर्षीय युवाओं में शहरी क्षेत्र में बेरोज़गारी दर 22.95 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 15.5 प्रतिशत थी। शहरी क्षेत्र के पुरुष युवाओं में यह दर 18.7 प्रतिशत और महिला युवाओं में 27.2 प्रतिशत थी। ग्रामीण क्षेत्र में पुरुष युवा 17.4 प्रतिशत और महिला युवा 13.6 प्रतिशत की दर से बेरोज़गारी का सामना कर रहे थे।

‘बसनेगा’ नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी – तेज़ी से बढ़ रही है बेरोज़गारी

‘भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी क़ानून’ अभियान, बसनेगा द्वारा आयोजित एक प्रेस वार्ता में 20 फ़रवरी को ‘बसनेगा’ की नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट का प्रो. अनिल सदगोपाल, प्रो. अरुण कुमार और प्रो. सतीश देशपाण्डे द्वारा लोकार्पण किया गया। मीडिया के सामने बेरोज़गारी के असल हालात को रखा गया।

जनता के पास नौकरी नहीं और सरकार बहादुर के पास नौकरियों के आँकड़े नहीं!

आज देश के नौजवानों के सामने सबसे बड़ी समस्या रोज़गार की है। इतना तो हम सभी जानते हैं कि किसी भी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा की कोई कमी नहीं है। एक-एक नौकरी के पीछे हज़ारों-हज़ार आवेदन किये जाते हैं। पर नौकरी तो कुछ थोड़े ही लोगों को मिलती है। हर साल इन आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ती जाती है। इस तरीक़े से बेरोज़गारी साल दर साल भयंकर रूप से बढ़ रही है। कांग्रेस के समय में बेरोज़गारी यदि दुलकी चाल से चल रही थी तो अब भाजपा के समय में सरपट दौड़ रही है।