13 पॉइण्ट रोस्टर सिस्टम और शिक्षा एवं रोज़गार के लिए संघर्ष की दिशा का सवाल
आरक्षित वर्ग की शिक्षा और नौकरियों में भागीदारी वैसे ही कम हो रही है, ऊपर से यदि 13 पॉइण्ट रोस्टर सिस्टम लागू होता है तो यह आरक्षित श्रेणियों के ऊपर होने वाला कुठाराघात साबित होगा। पहले ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जातियों से सम्बन्धित नौकरियों के बैकलॉग तक पारदर्शिता के साथ नहीं भरे जाते, ऊपर से अब 13 पॉइण्ट रोस्टर सिस्टम थोप दिया गया! इसकी वजह से नौकरियों में लागू किये गये आरक्षण या प्रतिनिधित्व की गारण्टी का अब कोई मतलब नहीं रह जायेगा। यही कारण है कि तमाम प्रगतिशील और दलित व पिछड़े संगठन 13 पॉइण्ट रोस्टर सिस्टम का विरोध कर रहे हैं। निश्चित तौर पर आरक्षण के प्रति शासक वर्ग की मंशा वह नहीं थी जिसे आमतौर पर प्रचारित किया जाता है। आरक्षण भले ही एक अल्पकालिक राहत के तौर पर था किन्तु यह अल्पकालिक राहत भी ढंग से कभी लागू नहीं हो पायी।