Category Archives: बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्‍यायपालिका

पुलिसिया दरिंदगी की एक और मिसाल बना सुल्तानपुर पट्टी

रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर)। आजाद मुल्क और नवोदित उत्तरांचल राज्य के इतिहास में पुलिसिया दमन का एक और काला अध्याय जुड़ गया। ऊधमसिंह नगर के बरा गांव में खाकी वर्दीधारी सरकारी गुण्डा फोर्स (पुलिस) की दरिंदगी को अभी पांच माह ही गुजरे थे कि जिले की गांधी कालोनी (सुल्तानपुर पट्टी) में पुलिसिया ताण्डव की एक और घटना सामने आयी। अभी भी पूरा इलाका खौफजदा है।

भवानीपुर कांड : सीआईडी जांच में खाकी वर्दी वाले हत्यारे साफ बचे

सीआईडी जांच में मिर्जापुर जिले के उन खाकी वर्दी वाले हत्यारों को बेगुनाह करार दे दिया गया है जिन्होंने आज से लगभग ढाई साल पहले भवानीपुर गांव में दिनदहाड़े 16 नौजवानों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी थी। इन हत्यारों की बेगुनाही के लिए सीआईडी को सिर्फ यह साबित करना पड़ा कि मारे गये नौजवान नक्सली थे। सीआईडी ने शासन को सौंपी गयी इस रिपोर्ट में कहा है कि दिन में हुई इस मुठभेड़ पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

अथ सर्वोच्च न्यायालय पुन: उवाच – सम्पत्ति रक्षा के नाम पर हड़ताली मजदूरों की हत्या जायज

न्यायपालिका अपने को जनता के ऊपर आरोपित तानाशाह मान रही है और पूंजीवाद के रक्षक के तौर पर आचरण कर रही है। पर उसे यह समझना चाहिये कि बहुसंख्यक मेहनतकश जनता को इस तरह धमकाने से पूंजीवाद की अवश्यंभावी मौत तो टलनेवाली नहीं ही है बल्कि इस तरह तो बारूद में पलीता और जल्दी लगेगा। कोई भी जनद्रोही व्यवस्था किसी भी प्रकार जनता के आक्रोश से नहीं बच सकती।

जरूरी है कि जनता के सामने क्रान्तिकारी विकल्प का खाका पेश किया जाये

आज चुनावों में हमें एक अलग ढंग से भागीदारी करनी चाहिए। चुनावों में उम्मीदवार खड़ा करना अपनी ताकत फ़ालतू खर्च करना है। इसके बजाय हमें चुनावों के गर्म राजनीतिक माहौल का लाभ उठाने के लिए इस दौरान जन सभाओं और व्यापक जनसम्पर्क अभियानों के द्वारा जनता तक अपनी बात पहुँचानी चाहिए, सभी संसदीय पार्टियों का और पूँजीवादी संसदीय व्यवस्था का भण्डाफ़ोड़ करना चाहिए तथा लोगों को यह बताना चाहिए कि किसी पार्टी को वोट देने से कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा, फ़र्क तभी पड़ेगा जब मेहनतकश जनता संगठित होकर सारी ताकत अपने हाथों में ले ले।