आपने ठीक फ़रमाया मुख्यमन्त्री महोदय, बाल मजदूरी को आप नहीं रोक सकते!
बंगाल के ”संवेदनशील” मुख्यमन्त्री बुध्ददेव भट्टाचार्य बाल श्रम पर रोक लगाने के पक्षधर नहीं हैं! जहाँ 14 वर्ष की आयु से कम के बच्चों को मजदूरी कराये जाने को लेकर दुनियाभर में हो-हल्ला (दिखावे के लिए ही सही!) मचाया जा रहा हो, वहीं मजदूरों के पैरोकार का खोल ओढ़े भट्टाचार्य जी मजदूरों की एक सभा में कहते हैं कि वे बच्चों को मजदूरी करने से इसलिए नहीं रोक सकते, क्योंकि अपने परिवारों में आमदनी बढ़ाने में वे मददगार होते हैं और इसलिए भी ताकि वे काम करते हुए पढ़ाई भी कर सकें। मजदूरों के बच्चों को श्रम का पाठ पढ़ाने वाले बुध्ददेव भट्टाचार्य को संशोधनवादी वामपन्थी माकपा के अध्ययन चक्रों और शिविरों में मार्क्सवादी अर्थशास्त्र के सिध्दान्त का लगाया घोंटा थोड़ा बहुत याद तो होगा ही। जाहिरा तौर पर उन्हें इस बात की जानकारी है कि मुनाफे पर टिकी इस आदमख़ोर व्यवस्था में बाल श्रम को ख़तम ही नहीं किया जा सकता। पूँजीवाद की जिन्दगी की शर्त ही यही है कि वह सस्ते से सस्ता श्रम निचोड़ता रहे और उसे मुनाफे में ढालता जाये। आज भूमण्डलीकरण और वैश्विक मन्दी के दौर में तो मुनाफे की दर लगातार नीचे जा रही है और मुनाफे की दर को कायम रखने के लिए आदमख़ोर पूँजी एशिया, अफ्रीका और लातिनी अमेरिका के पिछड़े पूँजीवादी देशों में सस्ते श्रम की तलाश में अपनी पहुँच को और गहरा बना रही है और वहाँ भी ख़ासतौर पर स्त्रियों और बच्चों का शोषण सबसे भयंकर तरीके से कर रही है क्योंकि उनका श्रम इन देशों में मौजूद सस्ते श्रम में भी सबसे सस्ता है।