पुलिस हमारी रक्षक है या इस लुटेरी व्यवस्था की रक्षा में तैनात दमन-उत्पीड़न का हथियार?
हैदराबाद में पिछले महीने जिस युवा स्त्री डॉक्टर के साथ दरिन्दगी हुई, उसके परिजन जब मदद के लिए पुलिस के पास गये तो 10 घण्टे तक पुलिस उन्हें यहाँ-वहाँ दौड़ाती रही। चारों ओर से हो रही थू-थू के बीच अचानक ख़बर आयी कि पुलिस ने घटना के चारों आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस की बतायी कहानी साफ़ तौर पर फ़र्ज़ी एनकाउण्टर की ओर इशारा कर रही थी मगर फिर भी देश में मध्यवर्गीय सफ़ेदपोशों के साथ ही प्रगतिशील माने जाने वाले अनेक बुद्धिजीवी भी पुलिस की शान में क़सीदे पढ़ते हुए पाये गये।