Tag Archives: वृषाली

मोदी-शाह के फ़ासीवादी राज में स्त्रियों के बद से बदतर होते हालात !

शुचिता और संस्कार का ढोंग करने वाली फ़ासीवादी भाजपा के राज ने इस पतनशील और प्रतिक्रियावादी मानसिकता और मज़बूत किया है। बलात्कारियों और हत्यारों को संरक्षण देने वाली पार्टी की सत्ता हमें स्त्री विरोधी अपराध के आँकड़ों के अम्बार के अलावा और दे भी क्या सकती है?! भाजपा के गुरू गोलवलकर का मानना था कि औरतें बच्चा पैदा करने का यन्त्र होती हैं; इनके माफ़ीवीर सावरकर का मानना था कि बलात्कार का राजनीतिक हिंसा के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एक ऐसी पार्टी से देश की औरतें क्या उम्मीद कर सकती हैं? एक ऐसी पार्टी चिन्मयानन्द, कुलदीप सेंगर, ब्रजभूषण, साक्षी महाराज जैसे बलात्कारी पैदा करती है, आसाराम और डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम जैसे बलात्कारियों को बचाती है, बिल्किस बानो के परिवार के हत्यारों और उसके बलात्कारियों को जेल से रिहा करती है, तो न तो यह इत्तेफ़ाक का मसला है और न ही ताज्जुब का। भाजपा जैसी स्त्री-विरोधी पार्टी यह नहीं करेगी तो और क्या करेगी?

आँगनवाड़ी कर्मियों को ग़ैरक़ानूनी रूप से टर्मिनेट करने वाले केजरीवाल के लाभार्थियों के लिए दावे झूठे हैं!!!

पहले से ही काम के बोझ तले दबी हुई आँगनवाड़ीकर्मियों से अब शिक्षक का काम भी लेकर उन्हें “स्वयंसेविकाओं” के अनुरूप मानदेय थमाया जायेगा। यही आँगनवाड़ीकर्मी जब अपने केन्द्रों पर बँटने वाले खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठा देंगी तो इन्हें बर्ख़ास्त कर दिया जाएगा, वाजिब मेहनताना पाने का संघर्ष करेंगी तो उसे “हिंसक” घोषित कर दिया जाएगा। ज़ाहिरा तौर पर, समेकित बाल विकास परियोजना के लाभार्थियों को लेकर केजरीवाल की चिन्ता महज़ दिखावा है।

सड़क पर तो हम जीते ही थे, अब न्यायालय में भी जीत के क़रीब है दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों का संघर्ष!

दिल्ली सरकार, महिला एवं बाल विकास विभाग और उसके दलालों की बेचैनी इस बात का सबब है कि दिल्ली सरकार के सामने अब कोई रास्ता नहीं बचा है। कुछ वक़्त पहले तक इन्हीं बर्ख़ास्तगियों को सही ठहराने वाला महिला एवं बाल विकास विभाग ऑर्डर जारी कर पुनः बहाली की नौटंकी करने को मजबूर हुआ। लेकिन अनर्गल शर्तों से भरे इस ऑर्डर को महिलाकर्मियों ने नामंज़ूर कर अपने संघर्ष को तब तक जारी रखने का ऐलान किया है जब तक सभी 884 ग़ैर-क़ानूनी टर्मिनेशन रद्द नहीं कर दिये जाते हैं। दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों का संघर्ष न केवल टर्मिनेशन के ख़िलाफ़ है बल्कि न्यूनतम मज़दूरी, कर्मचारी का दर्जा, एरियर का भुगतान व ग्रैच्युटी समेत अन्य कई वाजिब माँगों के लिए भी है। महिलाकर्मियों के संघर्ष के दमन के ज़िम्मेदार आम आदमी पार्टी व भाजपा के ख़िलाफ़ दिल्ली निगम चुनाव में चला व्यापक बहिष्कार आन्दोलन भी आगे जारी रहेगा। न्यायालय में हमारा पक्ष इसीलिए मज़बूत है क्योंकि हमारी एकजुटता ठोस है और हम सड़क पर मज़बूत हैं।

‘फ़्रण्ट लाइन वर्करों’ के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी की नयी जुमलेबाज़ी!

15 अगस्त को लाल क़िले की प्राचीर से प्रधान “सेवक” महोदय उर्फ़ नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान कार्यरत ‘फ़्रण्ट लाइन वर्कर्स’ की जमकर “सराहना” की। इस दफ़े लाल क़िले पर आँगनवाड़ीकर्मियों, आशाकर्मियों व एनएचएम कर्मचारियों को बतौर विशेष “अतिथि” आमंत्रित भी किया गया था। लेकिन प्रधानमंत्री महोदय जी भूल गये कि कौड़ियों के दाम ठेके पर दे दिये गये लाल क़िले पर चढ़कर की गयी ऐसी हवबाज़ी से फ़्रण्टलाइन वर्करों का गुज़ारा नहीं चलता! और न ही थालियों-तालियों, धूप-अगरबत्ती की नौटंकी से ही हम लाखों कामगारों को कुछ हासिल हुआ था।

“राष्ट्रवाद” की ठेकेदार बनी भाजपा और आरएसएस के आतंकवादियों से सम्बन्धों की पड़ताल!

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और इसके तमाम अनुषंगी संगठन अपने जन्मकाल से ही “राष्ट्रवाद” के नाम पर जनता को बरगलाने में लगे रहे हैं। वर्ष 2014 में सत्ता में क़ाबिज़ होने के बाद भाजपा और संघ परिवार ने “देशभक्ति” और “राष्ट्रवाद” की अतिरिक्त ठेकेदारी ले ली है। आज़ादी के आन्दोलन में क्रान्तिकारियों की मुख़बिरी और स्वतंत्रता व राष्ट्रीय आन्दोलन से ग़द्दारी करने वाला संघ परिवार अब धड़ल्ले से देशभक्ति के सर्टिफ़िकेट बाँट रहा है। संघ परिवार के “राष्ट्रवाद” और इनके राजनीतिक पूर्वजों की “देशभक्ति” के इतिहास पर ग़ौर किया जाये तो हक़ीक़त को समझने में देर नहीं लगेगी।

दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की अनूठी मुहिम : नाक में दम करो अभियान

दिल्ली की सैंकड़ो महिलाकर्मी 16 मार्च से तकरीबन रोज़ ही दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में एक अनूठा अभियान चला रही हैं। इस अभियान का नाम है ‘नाक में दम करो’ अभियान। इस अभियान के ज़रिए आँगनवाड़ीकर्मी विशेष तौर पर आम आदमी पार्टी और भाजपा के कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करती हैं। ज्ञात हो कि दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की 31 जनवरी से 38 दिनों तक चली ऐतिहासिक हड़ताल पर ‘आप’ और भाजपा ने मिलीभगत से हेस्मा (हरियाणा एसेंशियल सर्विसेज़ एक्ट) थोप दिया था। इसके बाद आँगनवाड़ीकर्मियों की यूनियन ने हेस्मा के ख़िलाफ़ न्यायालय में केस किया और हड़ताल को न्यायालय के फ़ैसले तक स्थगित किया और स्पष्ट किया कि अगर न्यायालय इस काले क़ानून को रद्द नहीं करती तो दिल्ली की 22000 आँगनवाड़ीकर्मी हेस्मा की परवाह किये बिना दुबारा हड़ताल पर जायेंगी।

आँगनवाड़ीकर्मियों ने चेतावनी प्रदर्शन के ज़रिए दी दिल्ली के दिल में दस्तक!

7 सितम्बर को दिल्ली की आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने दिल्ली सचिवालय पर चेतावनी प्रदर्शन का आयोजन किया। यह चेतावनी प्रदर्शन ‘दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्‍पर्स यूनियन’ के बैनर तले आयोजित किया गया था। इस चेतावनी प्रदर्शन में हज़ारों-हज़ार की संख्या में यूनियन से जुड़ी कार्यकर्ताओं (वर्कर) और सहायिकाओं (हेल्पर) ने गर्मजोशी के साथ भागीदारी की। इस चेतावनी प्रदर्शन को ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ ने न केवल पुरज़ोर समर्थन दिया बल्कि इसमें शिरकत भी की। साथ ही, भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ने भी इस प्रदर्शन में भागीदारी की और इसे अपना पूर्ण समर्थन दिया।

क्या हिरासत में होने वाली यातनाओं को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे पर्याप्त हैं ?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक बेंच ने देश भर के राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (एनआईए), केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), राजस्व ख़ुफिया निदेशालय (डीआरआई), नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) आदि जैसी सभी जाँच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश जारी किया है। कोर्ट का आदेश है कि इन कैमरों में नाइट विजन व रिकॉर्डिंग उपकरण भी लगे हुए हों। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इस क़दम से हिरासत में होने वाले उत्पीड़न पर क़ाबू पाया जा सकेगा।

लॉकडाउन और सरकारी उपेक्षा का शिकार स्कीम वर्कर्स भी बनीं

कोविड-19 महामारी के दौर में सरकार की लपरवाहियों का खामियाज़ा सबसे ज़्यादा मेहनतकश आवाम ने ही भुगता है और अब तक भुगत भी रही है। केन्द्र सरकार ने न तो महामारी को रोकने के लिए ही उचित कदम उठाये तथा न ही इसके नाम पर थोपे गये लॉकडाउन के दौरान ही जनता के सुख-दुख का ख़याल किया। नतीजतन, एक मजदूरों की बहुत बड़ी आबादी अचानक लागू कर दिये गये लॉकडाऊन के बाद पैदल घर वापस सफ़र करने को मजबूर हो गयी। दूसरी ओर स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ताली-थाली बजाने व फूल बरसाने में मशगूल केन्द्र सरकार ने वक़्त रहते ज़रूरी बचाव सामग्री का भी इन्तज़ाम नहीं किया।

सैंया भये दोबारा कोतवाल, अब डर काहे का!

भाजपा एक ऐसी पार्टी के रूप में उभरी है जिसमें सभी पार्टियों के गुण्डे, मवाली, हत्यारे और बलात्कारी आकर शरण प्राप्त कर रहे हैं। इस देश के प्रधान सेवक उर्फ़ चौकीदार ने हाल ही में सीना फुलाते हुए कहा था कि कमल का फूल पूरे देश में फैल रहा है, लेकिन वे यह बताना भूल गये कि दरअसल यह फूल औरतों, दलितों, अल्पसंख्यकों और मज़दूरों के ख़ून से सींचा जा रहा है। एक तरफ़ भयंकर बेरोज़गारी और दूसरी तरफ़ ऐसी घटनाएँ दिखाती हैं कि पूरे देश में फ़ासीवाद का अँधेरा गहराता जा रहा है। गो-रक्षा, लव-जिहाद, ‘भारत माता की जय’, राम मन्दिर की फ़ासीवादी राजनीति सिर्फ़ और सिर्फ़ आम जनता को बाँटने और आपस में लड़ाने के लिए खेली जाती है।