जनता द्वारा दिये अपने नाम – केचुआ – को सार्थक करता केन्द्रीय चुनाव आयोग
चुनाव की तारीख़ें तय करने से लेकर मोदी की सुविधानुसार बेहद लम्बा चुनाव कार्यक्रम तय करने तक, सबकुछ भाजपा के इशारे पर किया जा रहा है। याद कीजिए, 2017 में गुजरात चुनाव के समय तरह-तरह के बहानों से चुनाव तब तक टाले गये थे, जब तक कि मोदी ने ढेर सारी चुनावी घोषणाएँ नहीं कर डालीं और सरकारी ख़र्च पर प्रचार का पूरा फ़ायदा नहीं उठा लिया। ऐसे में, यह कहना ग़लत नहीं होगा कि चुनाव आयोग भाजपा के चुनाव विभाग के तौर पर काम कर रहा है। सोशल मीडिया पर जनता का दिया नाम – केचुआ – अब उस पर पूरी तरह लागू हो रहा है। ज़ाहिर है, फ़ासीवाद ने पूँजीवादी चुनावों की पूरी प्रक्रिया को ही बिगाड़कर रख दिया है।