Category Archives: आवास प्रश्न

दिल्ली के मेहनतकशों को बेघर करके जारी है जी-20 के जश्न की तैयारी

जी-20 के लिए देश की राजधानी को चमकाया जा रहा है। इसका सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है लेकिन उसकी क़ीमत दिल्ली के ग़रीब मेहनतकश अवाम को चुकानी पड़ रही है। दिल्ली के ग़रीब मेहनतकश अवाम को उनके रहने की जगहों से उजाड़ा जा रहा है। पिछले 3 महीनों में 16,000 घर तोड़े गये है जिसमें क़रीब 2,60,000 लोगों को बेघर होना पड़ा है। जी-20 में आए हुए प्रतिनिधि, यानी अन्य देशों के लुटेरे और हुक्मरान जो इन देशों में हमारे मेहनतकश भाइयों-बहनों को लूटते हैं, राजघाट पर गाँधी के समाधि स्थल को देखने जा सकते हैं! इस कारण राजघाट के आसपास के इलाक़ों से मेहनतकशों के घरों को तोड़ दिया गया है। इसके साथ ही महरौली में भी ये प्रतिनिधि ऐतिहासिक भ्रमण के लिए जा सकते हैं इस कारण यहाँ पर दशकों से बसे घरों को तोड़ दिया गया। तुगलकाबाद में भी घरों को तोड़ा गया।

दिल्ली के ‘मास्टरों’ के प्लान में ग़रीब मेहनतकश आबादी कहाँ है?

दिल्ली को दुनिया का सबसे स्मार्ट शहर बनाने के लिए डी.डी.ए द्वारा बीते महीने मास्टर प्लान 2041 पेश किया गया। दिल्ली को आधुनिक और विकसित शहर बनाने के लिए यह चौथा मास्टर प्लान है। इससे पहले 1962, 2001 और 2021 तक दिल्ली में अलग-अलग मास्टर प्लान लागू हो चुके हैं। डी.डी.ए का मास्टर प्लान पर्यावरण को बेहतर बनाने, परिवहन को सुविधाजनक बनाने तथा आधारभूत संरचना को मज़बूत बनाने की बात पर ज़ोर देता है।

अडाणी को 1 लाख 70 हज़ार एकड़ प्राचीन जंगल माइनिंग के लिए सौंपने वाली मोदी सरकार फ़रीदाबाद में दशकों से बसे हज़ारों घरों को वन संरक्षण के नाम पर उजाड़ रही है!

पिछले महीने की सात तारीख़ को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर फ़रीदाबाद ज़िले के लाल कुआँ इलाक़ा स्थित खोरी गाँव के दस हज़ार से ज़्यादा घरों को बिना किसी पुनर्वासन या मुआवज़े के तोड़ने का फ़ैसला फिर से दुहराया। अपने निर्णय पर अड़े रहते हुये हरियाणा सरकार व फ़रीदाबाद नगर निगम को छह हफ़्ते के अन्दर बेदख़ली प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना की असलियत : जुमले ले लो, थोक के भाव जुमले…

प्रधानमंत्री आवास योजना के पाँच साल पूरे हो चुके हैं। इस योजना की शुरुआत साल 2015 में की गयी थी और इसके तहत 2022 तक देश में दो करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया था। कुछ समय पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री ने दावा किया कि इस योजना के तहत 12 लाख नये घर बनेंगे और 18,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन होगा ताकि हाउसिंग और रियल एस्टेट सेक्टर में तेज़ी आये और लाखों बेरोज़गारों को रोज़गार मिल जाये।

उच्‍चतम अन्‍यायालय के आदेश से 48,000 परिवारों को बेघर करने की बर्बर मुहिम शुरू

सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी में रेल पटरियों के पास बनी 48,000 झुग्गियों को अगले तीन महीने में हटा देने का आदेश जारी कर दिया है। यह वही सुप्रीम कोर्ट है जिसे मार्च और अप्रैल में सड़कों पर चल रहे करोड़ों मज़दूरों की हालत पर सुनवाई करने के लिए समय नहीं मिल रहा था। और अब हज़ारों मज़दूरों और उनके बच्‍चों को सड़क पर फेंक देने का आदेश जारी करने में उसे ज़रा भी समय नहीं लगा।

प्रधानमन्त्री आवास योजना की हक़ीक़त – दिल्ली के शाहबाद डेरी में 300 झुग्गियों को किया गया ज़मींदोज़!

2019 के चुनाव से पहले जहाँ एक तरफ़ “मन्दिर वहीं बनायेंगे” जैसे साम्प्रदायिक फ़ासीवादी नारों की गूँज सुनायी दे रही है, वहीं 2014 में आयी मोदी सरकार के विकास और “अच्छे दिनों” की सच्चाई हम सबके सामने है। विकास का गुब्बारा फुस्स हो जाने के बाद अब मोदी सरकार धर्म के नाम पर अपनी चुनावी गोटियाँ लाल करने का पुराना संघी फ़ॉर्मूला लेकर मैदान में कूद पड़ी है। न तो मोदी सरकार बेरोज़गारों को रोज़गार दे पायी है, न आम आबादी को महँगाई से निज़ात दिला पायी है और न ही झुग्गीवालों को पक्के मकान दे पायी है। इसीलिए अब इन सभी अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए मन्दिर का सहारा लिया जा रहा है। मोदी सरकार ने 2014 में चुनाव से पहले अपने घोषणापत्र में लिखे झुग्गी की जगह पक्के मकान देने का वायदा तो पूरा नहीं किया, उल्टा 2014 के बाद से दिल्ली के साथ-साथ देश भर में मेहनतकश आबादी के घरों को बेदर्दी से उजाड़ा गया है। हाल ही में 5 नवम्बर 2018 को दिल्ली के शाहबाद डेरी इलाक़े के सैकड़ों झुग्गीवालों के घरों को डीडीए ने ज़मींदोज़ कर दिया। 300 से भी ज़्यादा झुग्गियों को चन्द घण्टों में बिना किसी नोटिस या पूर्वसूचना के अचानक मिट्टी में मिला दिया गया।