जनवादी व नागरिक अधिकारों के लिए जुझारू जनान्दोलन खड़ा करो!
हम ‘मज़दूर बिगुल’ के पन्नों पर मोदी के सत्ता में आने के पहले से ही बार-बार यह लिखते रहे हैं कि आज के दौर के फ़ासीवाद की ख़ासियत यह है कि यह नात्सी पार्टी व हिटलर तथा फ़ासिस्ट पार्टी व मुसोलिनी के समान बहुदलीय संसदीय बुर्जुआ जनतंत्र को भंग नहीं करेगा। आम तौर पर, यह बुर्जुआ चुनावों को बरक़रार रखेगा, संसदों और विधानसभाओं को बरक़रार रखेगा व काग़ज़ी तौर पर बहुतेरे जनवादी-नागरिक अधिकारों को भी औपचारिक तौर पर बनाये रखेगा। लेकिन पूँजीवादी जनवाद का केवल खोल ही बचेगा और उसके अन्दर का माल-मत्ता नष्ट हो जायेगा। आज हमारे देश में यही हो रहा है।